सोशल मीडिया पर टहलते हैं तो भैंस के आगे बीन बजाने वाली कहावत को याद रखें...

एक कहावत अक्सर सुनता रहा हूँ. लेकिन इसका क्या अर्थ होता है ये अब तक नहीं जा पाया था. लेकिन जब से सोशल मीडिया में टहलना शुरू किया, तब से इसका अर्थ समझ में आने लगा है. कुछ देर पहले एक फेस बुक वाकर पश्चिम बंगाल में टीएमसी की महिला नेता खूब गर्म जोशी से रोहिंग्या को अपना प्यार देती हुई दिखाई दे रही हैं. पोस्ट के वीडियो को देखने के बाद मिस्टर फेस बुक वाकर विशेषज्ञता का ज्ञान बघारते हुए लिख रहे थे कि ये फेक वीडियो है. उन महारथी के फेक वीडियो कहे जाने पर थोड़ा सा स्पाइसी कमेंट क्या दिया वो दादा तन गए और देश भक्त से ले कर सेकुलर तक की सारी उपाधियाँ खुद को दे डालीं. वैसे तो ऐसे लोगों से  खेलने में बहुत आनंद आता है, लेकिन जब इन्हें इस बात का पता चल जाता है, तो ये सभी अलग-अलग कैटगिरी गालियाँ बकने लगे. ऐसे लोगों की गालियों में भी आनंद है. इस आनंद के बाद आगे बड़ों तो कोई आधे-अधूरे ज्ञान के तहत बता रहा होता है कि टीचरों की भर्ती योगी तब कर रहे हैं, जब ये उप चुनाव की दोनों सीटें हार गये. इन भर्ती  का इन महान फेस बुक वाकर ने सीधा सम्बन्ध मुख्यमंत्री योगी से जोड़ दिया. अगर इस बन्दे ने कोर्ट के लिए निर्णय को एक हफ्ता  पहले पढ़ लिया होता तो पोस्ट को न लगाता.  पोस्ट को पढ़ने के बाद समझ में आने लगा कि इन्हें कुछ भी समझाना भैंस के आगे बीन बजाने जैसा है.  कभी-कभी इन युवाओं की लिखी बातें पढ़कर लगता है कि ये शारीरिक रूप से तो बड़े हो गए हैं, लेकिन मानसिक रूप से कब बड़े होंगे पता नहीं. अक्सर राहुल गाँधी बोलते हैं कि मोदी जी कुछ नहीं कर रहे हैं. ये सब पढ़ने के बाद लगता है कि देश के अच्छे दिन आये या न आये लेकिन कांग्रेस के बुरे दिन आते रहेंगे. राहुल गाँधी समेत सभी अच्छे दिन कहाँ आये पर बात करने वालों को अच्छे दिन क्या होते हैं नहीं पता तो उन्हें देश की चिंता से ज्यादा अपनी चिंता करनी चाहिए.  इन लोगों को ये पता होना चाहिए कि देश की चिंता करने के लिए जनता ने ही एक अदद नरेंद्र मोदी को देश का प्रधानमंत्री इसीलिए बनाकर दिल्ली में बैठाया है. इसे पढ़ने बाद हो सकता है लोग फेस बुक में टहलना छोड़ने लगें. उन से यही कहना है कि सभी लोग फेस बुक पर खूब  टहलो. इससे सुगर कम होती है. इसके लिए किसी भैंस टाइप के एफबी वाकर के सामने बीन बजा दो, वो चालू हो जाएगा और सुगर लेवल घटता जाएगा. बस इसे बढ़ने से रोकने के लिए शेयर और लाइक से परहेज करें. किसी ने सच कहा है जिंदगी में बहुत मौज मिली, एक दिन नहीं रोज़-रोज़ मिली, चाहा था सोशल मीडिया पर एक बुद्धिमान दोस्त बनाना, लेकिन यहाँ बुद्धिमानों की फ़ौज मिली. भैय्ये मार्क जुकरबर्ग अगर फेस बुक क्रियेशन के समय इंडिया में होते तो इसको बनाने का खयाल ज़रूर त्याग देते. 

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