बजरंबली के आशीर्वाद से ही नहीं चल पाती है बाबाओं की बाबागीरी
बाबा गुरमीत राम रहीम सिंह को उसके किये की सज़ा न्यायालय ने उसके कर्मों के अनुरूप दे दी है, लेकिन इस कठोर सज़ा के बाद ये मान लिया जाए की बाबाओं के पैदा होने का सिलसिला ख़त्म हो जाएगा. ऐसे तथाकथित बाबा टाइप के भगवान आगे भी जन्म लेते रहेंगे. इसका सीधा सा सच है समाझ में फैली धर्मान्धता और गरीबी. धनवान व्यक्ति धर्मान्धता की पट्टी आँखों में बांधकर इनके आशीर्वाद लेकर धनवान से और अधिक धनवान बन जाता है, वहीँ गरीब व्यक्ति इनके दिए प्रसाद से अपने परिवार का पालन पोषण कर के एक ऐसे व्यक्ति को जो आम इंसान होता है उसे भगवान या महान बाबा सिर्फ इसलिए मान लेता है कि उसने उस गरीब के पेट की आग को बुझाया होता है, यही लोग उस कथित भगवान या बाबा के प्रचार और प्रसिद्धि का माध्यम बन जाते हैं. गरीब तबके के लोगों बनाए इस बाबा की प्रसिद्धि श्याह और सफ़ेद करोड़पतियों के बीच पहुँचती है तो लोग ये इस प्रसिद्धि के प्रति वशीभूत होकर उससे अपने बिगड़े काम बनाने पहुँचने लगते हैं. जिनके बिगड़े काम को बना कर ये अकूत संपत्ति इकठ्ठा कर लेता है, जो इसके बाबा रुपी भगवान के रूप का विस्तार करते हैं. बहुत गहराई से देखा जाए तो बाबा में आम व्यक्ति जैसी ही शक्ति होती है, लेकिन कमजोरों से मिले शब्दों के यशगान और अमीरों से मिले धन के कारण ये आम से ख़ास बन जाते हैं. इनकी ताक़त में वृद्धि तब होती है जब इनके संपर्क राजनीतिक दलों के नेताओं से हो जाते हैं. जैसा की अब तक पैदा हुए बाबाओं आश्रम बाबू , रामपाल, जाकिर नाइक और हालिया जेल गए राम रहीं को देखकर समझा जा सकता है. इन बाबाओं में एक एक कला बहुत ज़बरदस्त होती है, ये अपनी लच्छेदार बातों से सामने वाले को सम्मोहित कर लेते हैं. इनकी उन लोगों के सामने एक नहीं चल पाती है जो इनसे बड़े तांत्रिक टाइप के होते हैं. इन बाबाओं से जुडी एक बहुत रोचक बात यह है कि आज तक उत्तर-प्रदेश में कोई भी बाबा पैदा नहीं हो सका. ये नहीं है कि यूपी के लोग भगवान में आस्था नहीं रखते हैं, इन लोगों की आस्था बाबाओं के बनिस्बत भगवान में अधिक होती है. इसी के चलते आज तक कोई भी बाबा यूपी में अधिक दिन तक पैर नहीं जमा पाता है. कई घटनाएँ ऐसे यूपी के कथित बाबाओं से जुड़ी हैं जो जमने और फलते-फूलते उसके पहले ही उखाड़ फैंके जाते हैं. ऐसा कैसे हो जाता है उसके पीछे उत्तर-प्रदेश लोगों पर नज़र डाली जाए तो यूपी में सबसे अधिक बजरंगबलि बाबा के पूजक निकलेंगे. ज्येष्ठ माह भर हनुमान जी का आशीर्वाद पाने के लिए भंडारे करते हैं. शायद इसीलिए राक्षस रुपी बाबाओं की छाया यूपी के लोगों पर नहीं पड़ पाती है. सभी हनुमान चालीसा पूरी नहीं तो थोड़ी बहु याद ही होगी,जिसकी शुरुआत में ही लिखा है कि 'भूत पिशाच निकट नहीं आवे, महावीर जब नाम सुनावे' बस शायद इसीलिए इन ढोंगी बाबाओं की यूपी के लोगों पर बाबागीरी नहीं चल पाती है.


Comments
Post a Comment