मार्गन स्टैनली के मुताबिक़ 10 वर्षों में भारत की अर्थव्यवस्था 6 खरब डॉलर होने की उम्मीद
कुछ बहुत बड़े वाले बुद्धिजीवियों का मानना है कि देश की अर्थव्यवस्था चौपट हो चुकी है. महंगाई बढ़ती जा रही है.आने वाले कुछ दिनों में चारों तरफ हाहाकार मच जायेगा आदि बहुत कुछ लिखा और बोला जा रहा है. इनमें सबसे ज़्यादा वो बुद्धिजीवी हैं जो आड़ा-तिरछा लिख कर अपने आप को स्वघोषित महान बनाने में लगे हुए हैं. सोशल मीडिया पर मोबाइल और लेपटॉप पर लिखने वाले, देश की अर्थव्यवस्था पर ऐसे टिप्पणी करते कि लगने लगता है कि अगला नोबल पुरस्कार इन्हें ही मिलने वाला है. पट्रोल महंगा होने और बाज़ार के गिरने का सीधा सा कारण भविष्य में उत्तर कोरिया के तानाशाह का युद्ध पर अपनाया गया अड़ियल रवैया है. इस स्थिति में सभी पट्रोलियम पदार्थ संपन्न देश दूसरे देशों को पट्रोल न देने पर अपना रुख कड़ा कर लेते हैं. यही बाज़ार के गिरने का कारण भी बन जा है. कुछ स्वार्थी नेता चुनाव नज़दीक आते ही अपने आप को स्थापित इकानामिस्ट के रूप में पेश करके बहुत कुछ फ़ालतू का बोलने से भी परहेज नहीं करते हैं. ऐसे लोगों की बेसिर पैर की बातों को दरकिनार करते हुए, वैश्विक वित्तीय सेवा फर्म मॉर्गन स्टैनली का कहना है कि आगामी 10 सालों में भारतीय अर्थव्यवस्था 6 खरब डॉलर (करीब 393 खरब रुपये) होने की उम्मीद है, जो कि दुनिया की तीसरे सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था होगी।वैश्विक वित्तीय सेवा फर्म मॉर्गन स्टैनली ने अपनी रिपोर्ट में यह बात कही है।यानी अर्थव्यवस्था में दोगुना से ज्यादा उछाल आ जाएगा। रिपोर्ट के मुताबिक इसके पीछे डिजिटलीकरण का महत्वपूर्ण योगदान होगा। मॉर्गन स्टैनली के मुताबिक, भारत का डिजिटलीकरण अभियान आने वाले दशक में जीडीपी (सकल घरेलू उत्पाद) की वृद्धि दर को 0.50-0.75 प्रतिशत (50-75 आधार अंक)बढ़ाएगा। मॉर्गन स्टैनली के अनुसंधान (भारत) के प्रमुख रिद्धम देसाई ने पत्रकारों से कहा, 'हमें उम्मीद है कि डिजिटलीकरण जीडीपी की वृद्धि दर को 0.5-0.75 प्रतिशत बढ़ाएगा। हमारा पूर्वानुमान है कि 2026-27 तक भारत की अर्थव्यवस्था 6 खरब डॉलर की ओर बढ़ेगी और उच्च मध्यम आय की स्थिति हासिल कर लेगी।
उन्होंने यह भी कहा कि आने वाले दशक में भारत की वास्तविक और सांकेतिक जीडीपी की सालाना वृद्धि दर क्रमश: 7.1 प्रतिशत और 11.2 प्रतिशत हो जाएगी। बुधवार को जारी इंडिया डिजिटल लीप-द ट्रिलियन डॉलर ऑपरट्यूनिटी का हवाला देते हुए देसाई ने कहा कि जीएसटी के क्रियान्वयन समेत अन्य छोटी समस्याओं के अलावा, 2018 में आर्थिक गतिविधियों में बदलाव की संभावना है। यह भारत को 6.1 खरब डॉलर के बाजार पूंजीकरण के साथ दुनिया के पांच शीर्ष इक्विटी बाजार में शामिल करने की दिशा में अग्रसर करेगा। इसी के साथ 2027 तक भारत 1.8 खरब डॉलर की बाजार पूंजी के साथ सूचीबद्ध वित्तीय सेवा क्षेत्र में दुनिया का तीसरी सबसे बड़ा देश होगा। अगले 10 सालों में भारत का उपभोक्ता क्षेत्र भी बढ़कर करीब 1.5 खरब डॉलर पहुंच सकता है। इन बातों को पढने के बाद भैंस की पीठ पर बैठकर बयानबाज़ी करना छोड़ दो और स बात को मान लो कि केंद्र की मोदी सरकार जो कर रही है, उससे भविष्य में उजाला होना ही होना है.




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