परिस्थितिजन्य साक्ष्य यही इशारा कर रहे हैं कि प्रद्युम्न का हत्यारा स्कूल के अन्दर ही है

एक पिता सुबह अपने मासूम बच्चे को घर से स्कूल छोड़ता है. आधे घंटे के अंतराल में उस नन्हीं सी जान के घर स्कूल से फोन जाता है कि आपके बच्चे को चोट लग गयी है,जल्दी आ जाएँ. अपने दिल के टुकड़े के चोटिल होने की खबर से ही उसके माता-पिता को कितना दर्द हुआ होगा इसे समझा जा सकता है. स्कूल पहुंचने पर उस मासूम की माँ ने जब अपने नन्हें लाडले को मृत शरीर में देखा होगा, तब उस माँ को कितनी पीड़ा हुई होगी उसे महसूस किया जा सकता है. जब माता-पिता को ये मालूम पड़ा होगा कि उनके मासूम बच्चे की किसी ने हत्या कर दी है तो उन दोनों के दुख और दर्द की कोई सीमा नहीं रह गयी होगी. वो पिता जो सुबह अपने मासूम को बड़ा इंसान बनेगा के सपनों के साथ स्कूल छोड़ कर आया है, उसे अन्दर ही अन्दर ये बात कितना घायल कर रही होगी कि वो आज अपने मासूम बेटे को मौत के मुंह में डाल आया था. जब किसी की सबसे प्रिय चीज़ खो जाती है उसके दर्द को तभी समझा जा सकता है, जिसने इस दर्द को खुद झेला हो. माँ-बाप के दर्द का कोई हिसाब नहीं लगाया जा सकता है. इस मासूम बच्चे की हत्या किसने ?और क्यों ? की ये एक बहुत ही पेचीदा सवाल है. आधे घंटे के अंतराल में एक मासूम बच्चा स्कूल में प्रवेश करता है और उसकी हत्या हो जाती है और स्कूल प्रशासन तुरंत स्कूल बस के कंडक्टर आरोप लगाता है कि इसने हत्या की है. ये स्कूल बस कंडक्टर अपना गुनाह पुलिस के सामने क़ुबूल भी कर लेता है. पहली बार किसी ह्त्या के केस का इतनी त्वरित गति से खुलासा हो जाने की बात पहली बार सुनी है. सवाल ये है कि कंडक्टर हत्या करने की बात स्वीकार कर ली और पुलिस ने इसे किस आधार पर मान भी लिया, समझ से परे है. क्या पुलिस के पास इस बात के पुख्ता सबूत हैं कि स्कूल बस कंडक्टर ने हत्या  की है? क्या जो भी सबूत उसके हत्या करने के समय के जुटाए हैं, वो कोर्ट में उस मासूम की हत्या को साबित कर चालक को सज़ा दिलाने में पर्याप्त हैं? शायद नहीं होंगे.  रहस्यमय हत्या में चश्मदीद गवाह न होने पर घटनास्थल पर मिले परिस्थितिजन्य साक्ष्यों को सबूतों के तौर पर पेश किया जाता हैं? कंडक्टर को हत्या करते किसी ने भी नहीं देखा था. बस उसने ही इस बात को स्वीकार किया कि उसे गलत काम करते मासूम प्रद्युम्न ने देख लिया, तो उसने उसकी हत्या कर दी.सवाल ये है कि प्रद्युम्न ने उसे ऐसी कौन सी अश्लील हरक़त करते देख लिया जो उसकी मृत्यु का कारण बन गयी? सवाल ये है कि ड्राइवर अगर कुछ गन्दी हरक़त कर रहा था, तो किसके साथ, इसका मतलब है कि प्रद्युम्न ने कंडक्टर के साथ किसको देखा, जिसने बदनामी के डर से मासूम की हत्या कर दी. जैसा की कंडक्टर कह रहा है. अगर मनोविज्ञान की थ्योरी से सोचा जाए तो एक 7 साल का बच्चा, किसी को टॉयलेट में हस्तमैथुन करते देखता है तो क्या उसको ये क्रिया समझ में आ सकती है  कि ये गन्दा काम है. शायद नहीं में ही जवाब होना चाहिए. हत्या का समय ऐसा है कि उस समय स्कूल पहुंचे विद्यार्थी और क्लास टीचर क्लास रूम में होंगे. बाक़ी बचते हैं स्कूल के क्लर्क, स्टाफ चपरासी, गार्ड, बस कंडक्टर और ड्राइवर ही सामान्य तौर पर स्कूल परिसर में या टॉयलेट या गैलरी में हो सकते हैं. अगर प्रद्युम्न स्कूल टाइम से पहुंचा है तो उस मासूम का बैग क्लास रूम में मिलना चाहिए था, नाकि टॉयलेट के बाहर उसके मृत शरीर के पास. जैसा कि सभी स्कूलों में Prayer होती है, अगर प्रद्युम्न देर से स्कूल पहुंचा और वो प्रार्थना सभा में शामिल नहीं हो सका तो वो क्लास रूम में बैग रखकर बाहर ही खड़ा होगा. कुछ ऐसे सवाल उनके जवाब खोजे जाएँ तो कातिल तक आसानी से पहुंचा जा सकता है.1- अगर प्रद्युम्न हत्या वाले दिन स्कूल में प्रार्थना सभा के समय नहीं पहुँचा तो सज़ा के तौर पर किस स्थान पर था. 2- ये स्थान क्लास रूम और टॉयलेट से किस दिशा में है. 3- प्रार्थना सभा के बाद अगर वो बैग लेकर उस स्थान से चला तो क्लास रूम पहुँचने के लिए क्या उसे टॉयलेट के सामने से जाना पड़ा था. 4- अगर प्रद्युम्न टॉयलेट के सामने से गुज़रा था तो उसने हत्यारे को ऐसा क्या करते देख लिया जो उसकी हत्या कारण बना. 5-  कंडक्टर ने हस्तमैथुन करते देख लिए जाने के कारण उसकी हत्या कि ये थ्योरी गले न उतरने वाली लग रही है. 6-कोई भी व्यक्ति हत्या तभी करता या करवाता है अगर वो लोगों की नज़र में सम्मानित होता है और कोई घ्रणित कार्य करते देख लिए जाने पर उसे अपने सम्मान की धज्जियाँ उड़ने का डर होता है.  तो क्या 7 वर्ष के मासूम बच्चे प्रद्युम्न ने स्कूल के किसी बड़े सम्मानित व्यक्ति को आपत्तिजनक स्थिति में देखा है. जिसे इस बात का डर हो गया कि हो सकता है, प्रद्युम्न उसकी इस घ्रणित हरक़त को घर में अपने माता-पिता से बता सकता है और वो सम्मान और पद दोनों से वंचित हो जाएगा. कुल मिलाकर दुनिया की बुराइयों के बारे में कुछ न समझने वाले मासूम का हत्यारा स्कूल के अन्दर ही है. बाहरी व्यक्ति हत्या इसलिए नहीं कर सकता है कि मुझे हमेशा तो यहाँ रहना नहीं है तो वो व्यक्ति हत्या जैसा क़दम कभी नहीं उठाएगा. हत्यारे और हत्या से जुड़े तार सभी स्कूल के अन्दर की तरफ इशारा कर रहे हैं. कुछ इसी तरह से राजधानी लखनऊ के एक मिशनरी स्कूल में भी कक्षा 9 के छात्र की लाश मिली थी जिसे स्कूल प्रशासन ने आत्महत्या किये जाने की थ्योरी से आगे नहीं बढ़ने दिया था और पुलिस ने भी इस थ्योरी को मान लिया था.  

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