मोदी युग में वीरू के 'जुगाड़' शब्द पर विचार किया जाना चाहिए

न्यूज़ पेपर से पता चला कि वीरू(क्रिकेटर वीरेंद्र सहवाग) ने ये कह कर छक्का मार दिया कि अगर मेरा जुगाड़ होता तो मैं इंडिया टीम का हेड कोच बन जाता. यह बात चयन सलाहकार समिति के सदस्यों सौरव गांगुली, वी. वी. एस. लक्ष्मण और सचिन तेंदुलकर इन तीनों को ही बुरी लगी होगी. लेकिन पूर्व कप्तान सौरव गांगुली को ज़्यादा बुरी लग गयी. किसी पत्रकार ने जब गांगुली से वीरू के इस बयान पर टिप्पणी करने को कहा तो वो भड़क कर बोले रवि शास्त्री का चयन गलत नहीं है. वीरू का बयान मूर्खतापूर्ण हैं. अगर दादा के इस बयान को बहुत गहराई में घुस कर देखा जाए तो वीरू कि जुगाड़ वाली बात बहुत हद तक सही मालूम होती ही. रवि शंकर शास्त्री ये है भारतीय क्रिकेट टीम के हेड कोच का नाम. टीम में डायरेक्टर के पद पर रहते हुए भी कोई बड़ी उपलब्धि नहीं पा सके थे, न ही खेल जीवन में ही कुछ ख़ास कर पाए हैं. वीरू के जुगाड़ वाली बात के हिसाब से टीम के वर्तमान हेड कोच के क्रिकेट करियर के आंकड़ों पर नज़र डाली जाए तो वो बहुत गरीब टाइप के नज़र आते हैं. बस एक ओवर में 6 छक्के वाली उपलब्धि इनके साथ जुड़ी हुई है. हेड कोच शास्त्री ने टेस्ट मैच-80खेले. रन-3830 बनाए. 11/12 शतक और अर्ध शतक लगाए. औसत35.79 रहा. उच्चतम स्कोर 206 रहा.गेंदबाजी करते हुए कुल 151 विकेट लिए. यह है हेड कोच रवि शास्त्री के टेस्ट आंकड़े. अब बात करते हैं एकदिवसीय के आंकड़ों की. कुल मैच 150 खेले. रन-3108 बनाए. 4/18 शतकऔर अर्ध शतक लगाए. औसत-29.04 रहा.उच्चतम स्कोर 109 रहा. विकेट-129 लिए. प्रथम श्रेणी के मैचों में भी कुछ ख़ास नहीं किया है. इतने गरीब आंकड़ों वाले को अपने मुकाबले कोच बनते कोई कैसे देख सकता है जिसने अपने क्रिकेट करियर में धुंआधार बल्लेबाजी की हो. वो भी महानतम बल्लेबाज़ सचिन के साथ तो कुछ तो बुरा लगना तो बनता ही है. वीरेंद्र सहवाग ने टेस्ट-92 खेले. रन-7890 बनाए. 22/30 शतक और अर्ध शतक ठोंके. औसत-52.16 का रहा. उच्चतम स्कोर 319 रहा. गेंदबाजी-39 विकेट भी लिए. अब वीरू के  एकदिनी आंकड़ों पर नज़र डालते हैं. एकदिनी मैच-240 खेले. रन-8025 बनाए. औसत- 34.84 रहा. 15/37 शतक और अर्ध शतक मारे. उच्चतम स्कोर 219 रहा. गेंदबाजी करते हुए 92 विकेट भी लिए. जबकि वीरू रागुलर बॉलर नहीं थे. अगर टीम के वर्तमान हेड कोच रवि शास्त्री के आंकड़ों और वीरेंद्र सहवाग के आंकड़ों को आमने-सामने रखा जाए तो वीरू के डिपार्टमेंटल स्टोर जैसे आंकड़ों के सामने रवि शास्त्री के आंकड़े पंसारी की छोटी सी दूकान जैसे दिखते है. अगर किसी के साथ अन्याय होता है तो वो चिल्लाएगा ही जैसे की वीरू चिल्ला रहे हैं. चयन सलाहकार समिति के तीनों सदस्यों ने हेड कोच का चयन किस आधार पर किया है, ये तो वो ही जाने. अगर रवि शास्त्री के टीम डायरेक्टर रहते हुए जीत-हार के आधार पर चयन किया गया है तो दक्षिण अफ्रीका के भारत दौरे में दौड़ा-दौड़ा कर टीम के पिटने का भी आंकलन किया जाना चाहिए था. मिले-जुले परिणाम ही हेड कोच की नियुक्ति पर सवाल खड़े करते हैं.दोनों फार्मेट के आंकड़ों को तौला जाएँ तो वज़न वीरू एक किलो तो रवि शास्त्री 100 ग्राम ही दिखाई देते हैं. वीरू की जुगाड़ वाली बातों से ज़्यादातर क्रिकेट प्रेमी पूरी तरह से सहमत होंगे. देश के लोकप्रिय प्रधानमंत्री मोदी जी इस बात पर जोर दे रहे हैं कि खेलों को बढ़ावा दिया जाए तो इस तरह के जुगाड़ की गुंजाइश नहीं रखनी चाहिए. पीएम मोदी ने ही कहा था कि अपने खेल से भी देश की छवि चमकती है. इसके बाद भी जुगाड़ बाज़ी हुई है तो सिरे से गलत है. एक बार फिर से हेड कोच की चयन प्रक्रिया बिना जुगाड़ के की जानी चाहिए. कुल मिलाकर तीनों चयन सलाहकारों समिति के सदस्यों की जवाब देहि बनती है कि रवि शास्त्री ही क्यों ? और वीरेंद्र सहवाग क्यों नहीं?


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