बनारस हिन्दू यूनिवर्सिटी में बवाल अचानक तो नहीं हो सकता, इस कौन को पकड़ना ज़रूरी है

बनारस हिन्दू यूनिवर्सिटी(बीएचयू) में छात्रा से लड़के छेड़खानी करते हैं. छेड़खानी का शिकार छात्रा इस बात की शिकायत गार्ड से करती हैं,लेकिन वो कोई एक्शन न लेकर मूक दर्शक बना रहता है. इस बात की खबर अन्य छात्राओं को लगती है, छात्राओं का कैम्पस में जमावड़ा शुरू हो जाता है. नारेबाज़ी के साथ बवाल शुरू हो जाता है. जो अब तक जारी है. इस छेड़खानी की शिकायत लेकर वीसी से मिलने पहुंची छत्राओं पर सुरक्षा में तैनात गार्ड लाठी चार्ज कर देते हैं. इस लाठी चार्ज की प्रतिक्रिया में आगज़नी और पथराव होने लगता है. छत्राओं के समर्थन में होस्टल के छात्र भी जुट जाते हैं. कुछ ही दिनों में इतना बवाल हो जाने से हिंदी मूवी की याद आने लगी है, जिसमें घटनाएँ तेज़ी से बदलती हैं. क्या ये छेड़खानी पहली बार हुई थी. अगर इससे पहले भी छेड़खानी की घटनाएँ होती रहीं थीं, तो क्या छाताओं इस बात की शिकायत वीसी से लिखित रूप में की थी. इस शिकायती पत्र की कोई कॉपी पीड़िता छात्राओं के पास मोबाइल युग में ज़रूर सेफ़ होनी चाहिए. सवाल ये है कि जो छात्र-छात्रायें एकजुट होकर इतना सब कर सकने में सक्षम थे, तो उन्हें चाहिए था कि उन टपोरी किस्म के लड़कों को मिलकर पीट डालना चाहिए था. ये सवाल इसलिए किया कि पीएम मोदी जब दो दिन के दौरे पर बनारस में थे, क्या तभी इन लोगों में इस छेड़खानी के विरुद्ध आवाज़ उठाने की हिम्मत आयी? अगर ऐसा था तो बवाल के पहले इन छात्र-छाताओं को चाहिए था कि सोशल मीडिया के माध्यम से या स्वयं थाणे या चौकी जाकर बात की शिकायत पुलिस से करनी चाहिए थी. आज के सोशल मीडिया युग में अदने से व्यक्ति से लेकर पीएम र प्रेसिडेंट तक इस तरह की घटनाओं को पहुंचाया जा सकता है. क्या ये बात आज के समय के फ़ास्ट इन छटाओं और छात्रों को नहीं मालूम थी. जहां तक पुलिस सोशल मीडिया के माध्यम से पुलिस की मदद लेने की बात है तो वैसे भी आज-कल उत्तर प्रदेश पुलिस अपनी छवि सुधारने के लिए अपना सोशल मीडिया पेज चला रही है. इस तरह की आये दिन होने वाली छेड़खानी की घटनाओं की बात अगर ये छात्राएं सोशल मीडिया के माध्यम से या 100 नम्बर या 1090 से करतीं तो इस पर सुनवाई इसलिए त्वरित होती कि देश के पीएम मोदी दो दिन के दौरे पर बनारस पहुँचने वाले थे. अब सवाल ये है कि इस आगजनी, पथराव, लाठीचार्ज़ आदि की घटना इतनी हाईटेक सुरक्षा के समय कैसे हुआ जोकि जांच का विषय है. इस बात पर भी सवाल उठना ज़रूरी है कि ये आग अचानक लगी या सुलगाई गयी है. क्योंकि आज-कल छोटे-छोटे मुद्दों से लाभ उठाने के लिए सरकार विरोधी मीडिया और नेता हमेशा तत्पर रहते हैं,  इस बात को न्यूज़ चैनल्स, प्रिंट मीडिया और सोशल मीडिया पर चल रही नेताओं की बयानबाजी से समझा जा सकता है. बीएचयू जैसे सम्माननीय संस्थान में शिक्षा लेने पहुंचने वाले विद्यार्थियों से इस तरह के हिंसक आन्दोलन की किसी को भी उम्मीद नहीं होगी. इतना सब कुछ हो गया ये अचानक संभव नहीं है, इसके पीछे स्वार्थी तत्वों का हाथ होने से इनकार नहीं किया जा सकता है.


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