पाकिस्तान के गले की हड्डी बना गया आतंकवादियों का सरगना हाफ़िज़ सईद

भारी विरोध के बावजूद पाकिस्तान देश में बैठकर आतंकवादी गतिविधियों को अंजाम देने वाले विभिन्न संगठनों जुड़े आतंकवादियों और इनके आकाओं को भरपूर सहयोग देता चला आ रहा है. आतंकी घटनाओं की त्रासदी झेल रहे देशों ने कई बार पाकिस्तान को इस बात की चेतावनी दी कि वो अपने देश से संचालित होने वाली आतंकवादी गतिविधियों को रोके, लेकिन पाकिस्तान ने कभी भी इस बात को नहीं माना कि सके देश से ये गतिविधियाँ संचालित होती हैं. कई बार भारत ने हाफ़िज़ सईद के आतंकी घटनाओं में शामिल होने के सबूत दिए पर पाकिस्तान इन  सबूतों को झुठलाता रहा है. विश्व समुदाय के दबाव के बावजूद पाकिस्तान अपने देश में सक्रिय आतंकवादियों और इनके मुखियाओं के होने की बात को नकारता रहा है. आतंकवाद के मुद्दे पर चाइना कूटनीति के तहत हमेशा पाकिस्तान के साथ ही खादादिखायी दिया. भारत ने जब भी चाइना से इस मुद्दे पर सहयोग कर इन आतंकी संगठनों के मुखियाओं का पुरजोर विरोध करने के लिए साथ आने को कहा तो वो किनारा कर इनके समर्थन में जा खड़ा हुआ. अक्सर ऐसा होता है कि कमजोर व्यक्ति को अगर ज़्यादा शक्तिशाली बना दो तो वो पलटकर ताक़त प्रदान करने वाले पर ही वार कर देता है. इसी का परिणाम है कि आज हाफिज सईद अपने आपको पाकिस्तान की आर्मी और सरकार से भी ज्यादा ताक़त रखने वाला समझने लगा है. इसी का नतीजा है कि आतंकवादी संगठन का सरगना पाकिस्तान की सत्ता पर काबिज़ होने के ख्वाब देखने लगा है. बीते दिनों सईद का बयान आया कि वो अपनी राजनीतिक पार्टी बनाकर चुनाव लड़ेगा. उसके इन हौसलों को हवा तब मिली अब नवाज़ शरीफ की सीट ख़ाली होने पर इसने अपने समर्थित आतंकवादी को नवाज़ की पत्नी के खिलाफ चुनाव मैदान उतारा, जीतने में सफलता भले ही न मिली हो लेकिन हाफ़िज़ सईद का समर्थित उम्मीदवार दूसरे स्थान पर आने में सफल हो गया था. शायद इसी वज़ह से पाकिस्तान का प्रधानमंत्री बनने की इच्छा बलवती हुई. जब- जब पाकिस्तान से हाफ़िज़ सईद पर लगाम लगाने की बात उठी उसने उसे हल्के में लिया. आज जबकि हाफ़िज़ सईद राजनीतिक पार्टी बनाकर चुनाव लड़ने पर अमादा है तो पाकिस्तान सरकार अपने देश ए चुनाव आयोग से उसकी पार्टी पर बैन लगाने के लिए कह रही है.सवाल ये है कि पाकिस्तान सरकार हाफ़िज़ सईद को चुनाव लड़ने से क्यों रोकना चाहती है. अगर बकौल पाकिस्तान हाफ़िज सईद आतंकवादी नहीं है तो उसकी पार्टी पर बैन क्यों लगाया जाए. अगर उस पर आतंकवादी होने के आधार पर पाकिस्तान सरकार बैन चाहती है, तो विश्व समुदाय को क्या जवाब देगी. सभी देशों में उस देश का नागरिक कुछ भी सामजिक गतिविधियों को करने के लिए स्वतंत्र होता है. यह बात पाकिस्तान का चुनाव आयोग भी जानना चाहेगा कि हाफिज सईद को पार्टी बनाने से किस आधार पर रोका जाए. लोकतंत्र में सभी को पूरी आज़ादी होती है कि वो कहीं भी आ-जा कुछ भी करने के लिए स्वतंत्र है. भविष्य में हाफिज सईद जैसे पाले हुए आतंकवादी सांप पाकिस्तान को ही डंसने के लिए तैयार बैठे हुए हैं. आने वाले समय में अति महत्वाकान्क्षी हाफ़िज़ सईद   पाकिस्तान के गले में फंसी हड्डी साबित होने वाला है. देखना ये है कि हाफ़िज़ सईद पाकिस्तान का पीएम बनता है कि या उसे आतंकवादी घोषित किया जाता है. इन दोनों में से किसी एक बात से कम में पाकिस्तान सरकार को छुटकारा मिलने वाला नहीं है. दुनिया की नज़रें पाकिस्तान पर होंगी. एक गलत क़दम पाकिस्तान के लिए आत्मघाती होगा.

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