कथित बाबाओं के रसूख़ को ख़त्म करने के लिए ज़रूरी है मज़बूत न्याय व्यवस्था की
जब से न्यूज़ चैनल्स और न्यूज़ पेपर्स की बाढ़ आई है, उसके कई वर्षों के बाद किसी नामी-गिरामी व्यक्ति को इतनी कवरेज नहीं मिली, जितनी की डेरा सच्चा सौदा के बाबा गुरमीत राम रहीम सिंह को मिली है. जिस अंदाज़ में अपने डेरे से गुरमीत राम रहीम अपनी लग्जीरियस गाड़ियों के काफ़िले के साथ जिस हनक के साथ न्याय के मंदिर की चौखट पर पहुंचा था, किसी को भी इस बात का अंदाजा नहीं था कि असीमित ख्याति प्राप्त फ़िल्मी स्टाइल का बाबा की सच्चे न्यायाधीश के हाथों कुछ ही घंटों में घंटी बजने वाली है. जब न्याय के मंदिर के अन्दर से निर्णय निकल कर बाहर आया, उसके बाद एक ख्याति प्राप्त बाबा कुख्यात बन चुका था. आज आनन-फानन में गिरफ्तारी कर कुकर्मों के अनुरूप जेल की सलाखों के पीछे डाल दिया गया. गिरफ्तारी से लेकर अभी तक कोई न कोई न्यूज़ चैनल कुख्यात बाबा के डेरे के अन्दर का सच दिखाता रहता है. जिस तरह से डेरे से हथियारों का ज़खीरा बरामद हुआ है, उससे सभी की समझ में यह बात बेहतर आ चुकी है कि बाबा के डेरे में क्या-क्या स्याह होता रहा है. सी क्लास की फिल्मों के कॉमेडी नायकों जैसे कपड़े पहनने वाले के देखते ही देखते कई करोड़ लोग उसके फालोवर कैसे बन गए चिंता का विषय है. बाबा बनने के बाद मिली शोहरत से राजनीति में अपनी मज़बूत पकड़ बना लेना कोई बड़ी बात नहीं है. लेकिन एक मुम्बईया फ़िल्मी कैरेक्टर जैसे किसी व्यक्ति से नेताओं का जुड़ाव एक अनजाने खतरे की तरफ इशारा करता हुआ दिखायी दे रहा है. अभी तक तो दक्षिण भारत के राज्यों में ही यह बात देखि जाती थी कि रील लाइफ के हीरो को वहन की जनता रियल लाइफ का हीरो मान कर उसे पूजती थी. एम जी रामचंद्रन,एन टी आर और जे जयललिता जब अभिनेता से नेता बने तो उनके चाहने वालों ने उन्हें हाथों हाथ लिया. आज भी यही पैटर्न दक्षिण भारत में चला आ रहा है. अन्य राज्यों से भी निकले अभिनेता और अभिनेत्रियों ने राजनीति में हाथ आज़माए, लेकिन राजनीति में जो शोहरत और सम्मान दक्षिण भारत के फ़िल्मी कलाकारों पाया, उसका पासंग बराबर भी ये कलाकार नहीं पा सके. नका फ़िल्मी करियर देखे तो ये सभी सफल कलाकार रहे थे. राजनीति के गलियारों में घुसकर अपनी पकड़ बना रहे गुरमीत सिंह उर्फ़ बाबा राम रहीम ने भी अपने 5 फ़िल्में अपने लिए बनवायी. बाबा रूपधारी गुरमीत सिंह सी क्लास फिल्मों से बाबा के रूप में तो करोड़ों लोगों पर छाया, लेकिन सफल नेता बनने से पहले ही अपने किये कुकृत्यों के चलते जेल जाना पड़ गया. एक अजीब से कॉमेडी कैरेक्टर के छपे हुए कलरफुल कपड़े धारण करने वाले व्यक्ति ने करोड़ों लोगों को अपने सम्मोहन में कैसे ले लिया हैरान करने वाली बात है. सोचिये ऐसा व्यक्ति छल-कपट से बाबा बनने के बाद नेता बनकर राज्य की सत्ता संभाल लेता तो लोकतंत्र की धज्जियाँ उड़ जातीं. अगर देश की न्याय व्यवस्था मज़बूत न होती तो बाबा अपनी बाबागीरी की सज़ा न पा पाते, जिसने समय पर सही फैसला ले लिया. देश में बाबाओं की चापलूसी करने वाले विभिन्न दलों के नेता की आज भी कमी नहीं है. इन नेताओं को बेहतर पता है कि सत्ता तक पहुँचाने में इनका आशीर्वाद आज की राजनीति में ज़रूरी है. जो हुआ अच्छा ही हुआ कि बाबा की पोल समय रहते खुल गयी, वरना जिस तरह के डेरा सच्चा सौदा के अन्दर के हालात को आज न्यूज़ चैनल दिखा रहे हैं, अगर गुरमीत सिंह राम रहीम, बाबा से नेता बनने में सफल हो जाता तो तब क्या होता.


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