ट्रेन हादसों के लिए जिम्मेदार कौन,आतंकी साज़िश या आती-जाती सरकारें

केंद्र सरकार को इस बात पर ध्यान देना चाहिए कि लगातार ट्रेन दुर्घटनायें उत्तर प्रदेश में ही क्यों हो रही हैं, कहीं कोई साज़िश तो नहीं है, क्योंकि कुछ महीने पहले खुफिया विभाग ने भी इस बात की तरफ इशारा किया था कि यूपी आतंकियों के निशाने पर है. समाचार पत्रों में भी लिखा गया था कि उत्तर प्रदेश में भगवा आतंकवाद के रूप में घुस कर आतंकवादी अराजकता फैला सकते हैं. इसके बाद कई युवाओं के तार आतंकवादी संगठनों से जुड़े पाए गए थे, जो पकड़े गए या फिर पुलिस की गोली से मार गिराए गए थे. अगर ये बात नहीं है तो रेल विभाग को चाहिए कि रेल ट्रैक जोकि अंग्रेजों की बिछाई हुई है, को किसी भी सरकार ने रिमेन्टेन न के बराबर किया, जबकि इसका मिस यूज जमकर किया गया. जैसा कि यूपीए-1 में लालू प्रसाद यादव जब रेलमंत्री बने थे, तो रेलवे विभाग कई सौ करोड़ के मुनाफे में चलता रहा था. इस लाभ का कारण एक ओवरलोडिंग भी था. इस दौरान भी रेल ट्रैक को दुरुस्त रखने के लिए काम कम, लाभ अधिक पाने के लिए ज्यादा काम किया गया. अगर आती-जाती सरकारें इसके रख-रखाव पर बराबर ध्यान देती रहती तो आज इनकी इतनी खस्ता हालत न होती. वर्तमान की केंद्र सरकार ने इस तरफ ध्यान तो दिया लेकिन रेल मार्ग की पटरियों को बदलने का कार्य किया लेकिन ज़रुरत से ज़्यादा तेज़ गति से नहीं किया. सरकारी काम आज़ादी के बाद से सफाई से कम हाथ की सफाई से ज़्यादा होते रहे, इसी के परिणाम स्वरुप देश का सबसे विशालकाय रेलवे विभाग अपनी विशालता के कारण उपेक्षित रहा है. कुछ ही राज्य ऐसे होंगे जो रेल विभाग को सहयोग देते होंगे, वरना ज़्यादातर राज्य वोट बैंक की राजनीति के चक्कर में प्रदेश की जनता के लिए और ट्रेनें चावावाने की मांग तो तपाक से कर देते हैं लेकिन, सहयोग के नाम पर ख़ाली झोली दिखा देते हैं. केंद्र को चाहिए कि रेल विभाग से सम्बंधित सुधार कार्यों में प्रदेश की भी भूमिका को सुनिश्चित करे ताकि किसी भी तरह के रेल से जुड़े सुधारों पर त्वरित कार्य किया जा सके. अगर अपने राज्य में ट्रेन पाने का अधिकार चाहिए तो उसके लिए सहयोग करना ज़रूरी किया जाए. दुर्घटना के बाद ये राजनीति न हो कि ये तो केंद्र सरकार की ज़िम्मेदारी है. वृक्ष से फल प्राप्त करने के लिए उसके रख-रखाव का ध्यान नहीं दें तो वो भी समय बाद नष्ट हो जाते हैं. जिस तरह से भविष्य में पानी मिलता रहे के लिए जल ही जीवन है, इसकी बचत करें पर जोर दिया जाता रहा है, उसी तरह की कुछ ऐसी ही योजना रेलवे विभाग और अन्य विभागों के लिए भी चलाई जानी चाहिये. इसके लिए सरकार को युद्ध स्तर पर कार्य करना पड़ेगा, तभी विशालकाय रेल विभाग दुरुस्त हो सकेगा. वरना वो दिन दूर नहीं जब लोग जान की चिंता में ट्रेन से सफ़र करना छोड़ दें.

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