घटनाक्रम से लगता है, चौंकाने वाला होगा प्रद्युम्न की हत्या का खुलासा

आख़िरकार गुरुग्राम के नामी-गिरामी स्कूल रयान इंटरनेशनल में हुई मासूम प्रद्युम्न की हत्या के बाद तुरंत खुलासा करते हुए स्कूल की एक बस के कंडक्टर की गिरफ्तारी में फिट की गयी हरयाना पुलिस की थ्योरी को उस समय झटका लगा, जब कोर्ट में कंडक्टर ने माननीय न्यायाधीश के सामने हत्या करने की बात से इनकार कर दिया. जिस तेज़ी के साथ हरयाना पुलिस ने हत्या के कुछ ही समय बाद स्कूल बस के कंडक्टर को यह कहते हुए गिरफ्तार किया कि उसकी शर्ट में पानी से धोये गए खून के धब्बे मिले हैं और इसे मारे घबराहट के पसीना बहुत आ रहा था,इस आधार पर उसे हत्या के आरोप में गिरफ्तार किया है, और साथ ही यह भी थ्योरी थी कि कंडक्टर अशोक ने हत्या करने का जुर्म भी स्वीकार कर लिया है. पुलिस की थ्योरी माने तो हत्या करने के पीछे कंडक्टर अशोक को मासूम ने टॉयलेट में हस्तमैथुन करते देख लिया था. अगर हत्या और गिरफ्तारी के पूरे घटनाक्रम पर नज़र डालें तो ये पूरी कहानी एक सी क्लास हिंदी मूवी जैसी ही दिखाई देती है. इस ह्त्या मामले में एक बात सभी को खटक रही थी कि गुरुग्राम की पुलिस ने हत्या का खुलासा जिस तेजी से किया है, इतनी तेज़ी से स्काटलैंड यार्ड की पुलिस भी नहीं का सकती है.
स्कूल बस कंडक्टर के गिरफ्तार किये जाने के बाद भी मासूम छात्र प्रद्युमन के माता-पिता यही बात कहते रहे की कंडक्टर ने हत्या नहीं कि है, लेकिन हत्या के बाद पहुंची पुलिस ने कंडक्टर को बलि का बकरा बनाते हुए कहना शुरू कर दिया कि स्कूल बस कंडक्टर ने प्रद्युम्न की ह्त्या करने की बात को स्वीकार कर लिया है. न्यूज़ चैनल्स के कैमरे सामने कंडक्टर अशोक भी हत्या की बात को यह कहते हुए हामी भरता दिखाया गया कि प्रद्युम्न ने टॉयलेट में उसको गन्दी हरकत करते देख लिया था, ये बात वो सबको बता देगा इस डर से हत्या कर दी. इस बात को मान भी लिया जाए कि कंडक्टर पर पुलिस ने किसी भी तरह का कोई दबाव नहीं डाला था. उसने हत्या करने की बात को आत्मग्लानि वश स्वीकार कर लिया तो सोचने वाली बात ये है कि क्या कोई व्यक्ति पुलिस के सामने हत्या की बात को स्वीकार कर लेता है, तो क्या घटनास्थल से सबूतों को इकठ्ठा करके के केस को पुख्ता नहीं करेगी. पुलिस की इस बचकानी थ्योरी को कंडक्टर अशोक ने न्यायालय के सामने साफ इनकार करते हुए धराशायी कर दिया, फजीहत जो हुई, सो अलग से. जिस तरह से प्रद्युम्न की हत्या हुई, उसके तुरंत बाद पहुंची पुलिस ने जिस तेज़ी से कंडक्टर अशोक को इक़बालिया जुर्म के आधार पर गिरफ्तार किया. उससे यह बात साफ़ है कि स्कूल प्रशासन किसी छोटे-बड़े रसूखदार को बचाने में लगा हुआ है. जिस तरह से हत्या के आरोप में गिरफ्तार किया गया है,  इसमें जान पड़ता है कि पुलिस भी किसी रसूखदार को बचाने में भागीदार है. यह बात पुलिस के छेददार सबूतों से ही समझी  जा सकती है. मासूम की हत्या से कभी भी पर्दा न उठ पाता, अगर हरयाना के मुख्यमंत्री मनोहर खट्टर ने प्रद्युम्न के माता-पिता के दर्द को न समझा होता. माता-पिता की सीबीआइ जांच की मांग को स्वीकार कर लिया. अब जांच सीबीआइ के पास पहुँच चुकी है. दूध का दूध, पानी का पानी होने से इनकार नहीं किया जा सकता है. सीबीआई को नए सिरे से घटनास्थल से सारे साक्ष्यों को इकठ्ठा करके मासूम  प्रद्युम्न की हत्या से हत्यारे तक पहुँचने के लिए सभी तारों को जोड़ना पड़ेगा. इसमें बस कंडक्टर अशोक काफी मददगार साबित होगा. ये बात इसलिए लिखी है क्योंकि अशोक ने ही अपने वकील को बताया था कि उसे 25 लाख रुपये हत्या की स्वीकृति पर देने का किसी ने ऑफर दिया है. जिस तरह तेज़ी से मासूम प्रद्युम्न की हत्या हुई है, उससे यही लगता है कि हत्यारा स्कूल के अन्दर का ही है. जिसे ये बात का बहुत अच्छे से मालूम थी कि सुबह के समय क्लास शुरू हो जाने के बाद, स्कूल की सभी गैलरी में सन्नाटा पसरा रहता है. इस कारण उसको किसी ने भी नहीं देख पायेगा,लेकिन हत्यारे को यह नहीं मालूम है कि पाप किया तो आसानी से जा सकता है, लेकिन उसको अधिक समय तक छिपाया नहीं जा सकता है. इस हत्या में सभी न्यूज़ चैनल्स अपनी अलग-अलग तरह की थ्योरी फिट करके जांच को दिशा कम, दिशाहीन ज्यादा कर देते हैं.लेकिन खबरिया चैनल्स के कैमरों ने पहले दिन से लेकर बाद तक के घटनास्थल से मिले विजुअल साक्ष्यों को क़ैद कर लिया हैं, इनसे जांच में खासी मदद मिलने की उम्मीद है. यह कहने की ज़रूरत नहीं है कि सीबीआइ स्कूल के मुख्य द्वार से लेकर स्कूल स्कूल कार्यालय और क्लास रूम तक सभी को संदेह के घेरे में लेकर जांच करेगी. मासूम प्रद्युम्न की उम्र के लिहाज से हत्या साज़िशन तो नहीं हो सकती है, लेकिन अप्रत्याशित ज़रूर हो सकती है. लेकिन इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता है कि जो चाकू इस मासूम की गर्दन पर चला है. उसे सभी खबरिया चैनल्स नया बता रहे हैं. जोकि घटनास्थल पर जांच को भ्रमित करने के लिए जानबूझ कर छोड़ा गया कम, हत्या के बाद घबराहट में फेंका गया ज़्यादा लग रहा है. हत्यारा छोटा-बड़ा कोई भी रसूखदार हो सकता है, वो कौन है? उसके सीबीआइ के शिकंजे में जल्द आने की उम्मीद है. घटनाक्रम से तो यही लगता है कि इसका खुलासा सभी को चौंकाने वाला होगा.


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