लोकसभा चुनाव-19 में जनता को जीएसटी का लॉलीपॉप थमाने की जुगत में कांग्रेस

एक मसल है कि "सूत न कपास जुलाहो में लट्ठम-लट्ठा". कुछ इसी तर्ज पर बरेली में आयोजित जन्म शताब्दी समारोह में प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष राज बब्बर ने कहा कि राहुल गाँधी के प्रधानमन्त्री बनने पर जीएसटी की पुनः समीक्षा होगी और 18 प्रतिशत से अधिक जीएसटी लागू नहीं लगेगा. साथ ही ये टुकड़ा भी लगाया कि युवाओं, किसानों और छोटे व्यापारियों का हित ध्यान में रखा जाएगा. आगे यह भी कहा कि राष्ट्रवाद के नाम पर बीजेपी और आरएसएस युवाओं को गुमराह कर रहे हैं. कांग्रेस कार्यकर्ताओं का आह्वान करते हुए कहा कि कार्य कर्ता अपनी ताक़त को पहचाने पाखंडी और प्रपंची बीजेपी नेताओं से मुकाबले के लिए तैयार रहें. न समझ में आने वाली बात ये है कि लोकसभा चुनाव 2019 में होने हैं. पिछले लोकसभा चुनाव में कांग्रेस कुल जमा 44 सीटे ही जीत सकी हैं. 2019 में कांग्रेस को 272 का जादुई आंकड़ा पाने के लिये 228 सीटें और जीतनी पड़ेंगी और तब जाकर राहुल गाँधी देश के प्रधानमन्त्री बन पायेंगे. प्रधानमन्त्री बनने के लिए, कम पड़ रही इन सीटों को किस तरह से बीजेपी से खींचकर अपनी तरफ लाती है, एक बहुत ही नामुमकिन सा लगता है. ये इसलिए कि पीएम मोदी आज भी अपनी ईमानदार छवि बरकरार रखे हुए हैं, गरीबी और बेरोज़गारी दूर करने के लिए समर्पित भाव से प्रयासरत हैं. ऐसे में पिछले दस साल तक सत्ता में काबिज़ रहने के बाद भी किसान की हालत जस की तस रही, बेरोज़गारों की संख्या बढ़ती रही. इन दस सालों में मंदी के कई दौर आये, जिसकी वज़ह से ग्रेजुएट की तो बात छोडिये देश की सबसे बड़ी मैनेजमेंट की संस्था आइआइएम और आइआइटी के युवाओं को भी मंदी की मार कई बार झेलनी पड़ी थी. ये नहीं था कि महंगाई नहीं बढ़ी थी. हाँ यह ज़रूर हुआ था कि बयानबाजी से राज बब्बर ने ग़रीबों को 12 रूपये में भर पेट भोजन जरूर करवाया था. सब से हवा-हवाई बयान नेशनल कान्फेंस फारुख अब्दुला का था, जिन्होंने 1 रूपये में लोगों को भर पेट भोजन करवाया था. ये हालात तब थे जब नोटबंदी और जीएसटी जैसा कोई देश हित का कार्य केंद्र की मनमोहन सरकार ने नहीं किया था. सत्ताच्युत होने के बाद इन तीन सालों में कौन सा ऐसा देश हित में कार्य किया है, जिसकी वज़ह से 228 सीटें प्लस कर के राहुल गांधी देश के प्रधान मंत्री बन जायेंगे. 18 परसेंट तक जीएसटी का लॉलीपॉप किसानों, छोटे व्यापारियों, और युवाओं को थमाने का प्रयास उत्तर-प्रदेश के अध्यक्ष राज बब्बर ने ज़रूर किया है. कांग्रेस 2019 के लोकसभा चुनाव में भी नोटबंदी के साइड इफेक्ट ज़रूर बताती, लेकिन यूपी के विधानसभा चुनाव में मिली बुरी हार ने इस मुद्दे को तिलांजलि देने पर मज़बूर कर दिया. अब ऐसे हालात में कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष राज बब्बर का राहुल गांधी को प्रधानमन्त्री बना देना मसल को जतलाता जान पड़ता है. 
    

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