नोटबंदी और जीएसटी विरोधियों को 8 नवम्बर को व्यापारियों से मिलेगा करारा जवाब
एक शब्द होता है अफवाह. इसकी रफ़्तार करेंट से भी तेज़ होती है. दुनिया के किसी कोने में अफवाह को फैलने पहुँचने में सेकेण्ड का सौवां हिस्सा भी नहीं लगता. आज के सोशल मीडिया के दौर में तो अफवाह की रफ़्तार का पूछिए ही नहीं. किसी भी तरह की खबर को फैलाना हो सोशल मीडिया पर उसे पोस्ट कर दें. बस फिर देखिये ये कितनी तेजी से इस छोर से उस छोर तक पहुँचती है. हाल ही में मध्य प्रदेश में सुनियोजित किसान आन्दोलन हुआ था. देखते ही देखते सोशल मीडिया पर इससे सम्बंधित खबर पढ़ कर ऐसा लगा कि पूरा मध्य प्रदेश का किसान आंदोलित हो गया है. इसकी सच्चाई जानने के लिए भोपाल में रहने वाले फेस बुक फ्रेंड से संपर्क साधा तो उसकी बातें सुनकर समझ में आ गया कि मोदी सरकार विरोधियों का ऑर्गनाइज्ड मूवमेंट था. इस किसान आन्दोलन पर वो बन्दा भी आश्चर्य व्यक्त करते हुए बोला कि सब कुछ ठीक-ठाक था, अचानक ये कैसे हुआ समझ में नहीं आया. उसकी इस मुद्दे पर प्रतिक्रया के बाद जिस तेजी से आन्दोलन शुरू हुआ था, उसी तेजी से ये समाप्त भी हो गया. इससे ये बात साफ़ हो गयी कि आज जो कुछ भी अचानक हो रहा है वो प्रायोजित होता है. 8 नवम्बर को कांग्रेस समेत अन्य विरोधी दल, पिछले साल 8 नवम्बर को हुई नोटबंदी का विरोध दिवस मनाएगी. और जीएसटी को भी कोसेंगे. इस कोसने की वज़ह जानने के लिए एक धुर मोदी विरोधी व्यापारी से इस पर प्रतिक्रिया जाननी चाही. उनकी तरफ जीएसटी पर सवाल उछाला. उम्मीद थी कि वो जीएसटी पर मोदी सरकार विरोधी बयान देंगे. लेकिन इसके उलट उनका जवाब सुनकर अपने कानों पर भरोसा न कर सका. व्यापारी मित्र (ज्यादा पढ़े-लिखे नहीं हैं) ने काउंटर पर रखा पेन उठाकर मुझे जीएसटी पर पूरा ज्ञान दे डाला. जीएसटी को अच्छा बताते हुए अपनी बात ख़त्म करते हुए बोले कि अगर मोदी कुछ इसी तरह के गुड वर्क करते रहे तो अगली बार मैं भी उन्हें वोट दूंगा. आज की तारीख़ में जो भी व्यापारी सन्नाटे की बात कहता है, वो इसी नोटबंदी और जीएसटी पर फैलाई गयी अफ़वाह की देन है. जीएसटी से व्यापारी परेशान है. चीजे महंगी हो गयी हैं लोग भूखे मर रहे हैं अत्यादि बहुत सी अफवाहें सोशल मीडिया के माध्यम से फैलाई गयी हैं. इसी के चलते लोग लोगों में भ्रम की स्थिति पैदा कर दी गयी है. अब दुकानदारों ने भी इस अफवाह के खिलाफ कमर कस ली है. अब व्यापारी भी उपभोक्ता को स्वयं समझाते हैं कि भाई साहब जीएसटी से आपका क्या लेना-देना है, वो तो सरकार को हमें देना है. कुछ घटनाओं के बाद ये बात समझ में आ गयी कि नोटबंदी और जीएसटी पर विरोधियों अफवाह फैलाने की योजना अब जल्द ही फेल हो जानी है. व्यापारी भी अब इनके झांसे में नहीं आने वाला है. व्यापारियों को भी समझ में आ चुका है कि नोटबंदी और जीएसटी के विरोधी सिर्फ विरोधी ही हैं, इनका बिजिनेस से कोई लेना-देना नहीं है. 8 नवम्बर को इन नोटबंदी और जीएसटी विरोधियों को भी समझ में आ जाएगा कि अब इसके विरोध का कोई नफा चुनाव में नहीं मिलना है.




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