मोदी की नोटबंदी के समर्थक, प्रो. रिचर्ड थेलर बने अर्थशास्त्र के नोबेल विजेता

अर्थशास्त्र के नोबल पुरस्कार की घोषणा के साथ भारत में मोदी सरकार द्वारा की गयी नोटबंदी पूर्ण रूप से सही थी पर भी मुहर लग गयी है. वर्ष 2017 का अर्थशास्त्र के नोबेल पुरस्कार के लिए 72 वर्षीय शिकागो यूनिवर्सिटी के प्रोफ़ेसर रिचर्ड थेलर को व्यवहारिक अर्थशास्त्र मनोविज्ञान पर काम के कारण दिया है. व्यवहारिक अर्थशास्त्र, मनोविज्ञान का अध्ययन है. यह व्यक्ति और संस्थानों की आर्थिक निर्णय प्रक्रिया से जुड़ा होता है.नोबेल कमिटी ने माना कि थेलर व्यवहारिक अर्थशास्त्र के मानोविज्ञान की अच्छी समझ रखते हैं.रिचर्ड थेलर भारत में हुई नोट बंदी के समर्थन में थे. आप भारतीय इकानमी को नज़दीक से फॉलो करते हैं. रिचर्ड का मानना है कि इंसानी स्वभाव किस तरह व्यक्ति के फैसले को प्रभावित करता है और अंत में जाकर किस तरह से बाज़ार के नतीजों को प्रभावित करता है. 72 वर्षीय थेलर को नोबेल पुरस्कार के तहत 11 लाख डॉलर दिये जायेंगे.अर्थशास्त्र के नोबेल पुरस्कार विजेता रिचर्ड थेलर व्यवहारिक अर्थशास्त्र, मानोविज्ञान पर अध्ययनरत है. अगर थेलर के अध्ययन को भारत में मोदी सरकार द्वारा की गयी नोटबंदी से जोड़कर देखा जाए, तो आपको भारत में हुई नोटबंदी से व्यवहारिक अर्थशास्त्र के मनोविज्ञान के अध्ययन में काफी मदद मिली होगी. अर्थशास्त्र पर किये गए ज़बरदस्त अध्ययन के चलते, आपको अर्थशास्त्र का नोबेल पुरस्कार का विजेता बना दिया.कुल मिलकर गहराई से समझा जाये तो तीन साल पहले भारत में मोदी सरकार द्वारा की गयी नोटबंदी को भी नोबेल पुरस्कार मिल गया है. भारत दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था का वाहक है. नोटबंदी के लागू किये जाने के बाद से इसकी आलोचना करने वालों को भी क़रारा ज़वाब मिल गया है.ये बात इसलिए भी पुख्ता होती कि कई वर्षों से भारतीय अर्थव्यवस्था से जुड़े रहने वाले आरबीआई के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन इस नोबेल पुरस्कार की दौड़ में शामिल थे, जो नोटबंदी के विरोध में ही खड़े दिखायी दिये. आरबीआई के गवर्नर पद से जाते-जाते नोटबंदी को असफल बता गये थे.  जबकि रिचर्ड थेलर भारत में हुई नोटबंदी के समर्थन में रहे थे. सवाल ये है कि क्या रघुराम राजन व्यवहारिक अर्थशास्त्र के मनोविज्ञान( Applied economics psychology) को समझ नहीं सके या समझना नहीं चाहा था. खैर जो भी रहा हो, थेलर ने अपने शोधात्मक कार्य से सभी अर्थशास्त्रियों को  पछाड़ते हुए अर्थशास्त्र का नोबेल पुरस्कार जीतने के साथ, भारत में हुई नोटबंदी को भी सही साबित कर दिया है. देखा जाए तो नोबेल पुरस्कार विजेता तो रिचर्ड थेलर बने, लेकिन नोटबंदी के समर्थन में डटे रहने के कारण, पूर्व गवर्नर रघुराम राजन की सोच पर सवालिया निशान भी लगा दिया है और साथ ही नोटबंदी की आलोचना करने वालों के मुंह पर एक जोरदार तमाचा भी पड़ा है.


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