कांग्रेस के जोड़-तोड़ के बावजूद गुजरात पर आये सर्वे सटीक साबित होंगे

गुजरात चुनाव पर दो राष्ट्रीय चैनल्स के सर्वे बता रहे हैं कि बीजेपी गुजरात में जीत रही है. ये सर्वे विरोधियों को हज़म नहीं हो रही है. क्यों नहीं हज़म हो रहे हैं ये समझ से परे है. 2014 के लोकसभा इलेक्शन के बाद से अब तक एक-दो राज्यों को छोड़ दें तो प्रधानमंत्री मोदी ने ज्यादतर राज्यों को फतह किया है. इन विरोधियों को इस बात को सोचना और समझना चाहिए कि प्रधानमंत्री बनने के बाद नरेंद्र मोदी ने जो कुछ किया उसे हमेशा दुष्प्रचारित करने के बाद भी प्रधानमंत्री मोदी को राज्यों में जीतने से नहीं रोक सके. सफलता क्यों मिलती जा रही है इस बात पर ज़रा भी चिन्तन-मनन किया होता तो मुख्य विपक्षी पार्टी कांग्रेस अब तक कई राज्यों में पीएम मोदी को सफलता पाने से वंचित कर सकती थी. कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों ने सिर्फ एक ही बात जोर दिया कि केंद्र की मोदी सरकार के सभी फैसलों का विरोध के लिए विरोध करते रहेंगे. पीएम मोदी के लिए बस यही बात सफलता पाने में वरदान साबित हुई है. कांग्रेस को सबसे बड़ा सदमा लोकसभा में लगा था उन्हें 543 सीटों में से कुल जमा 44 सीटें ही मिली जिसने उसके सोचने समझने की शक्ति को क्षीण कर दिया. अगर एक बार भी इस हार पर चिंतन किया होता तो नरेंद्र मोदी को हारने में सफल हो सकते थे. मोदी राज्य-दर-राज्य जीतते रहे और हताश कांग्रेस लोकसभा की हार की खार के चलते हारती रही. यूपी समेत कई राज्यों में चुनाव एक साथ हुए थे. सबसे ज्यादा चुनाव प्रचार के लिए समय यूपी को दिया था. पंजाब में जीत से उत्साहित कांग्रेस ने इस जीत का जश्न जमकर मनाया,लेकिन इस जीत पर ज़रा सा भी चिंतन कर लिया होता तो समझ में आ जाता कि मोदी को कैसे जीत से कैसे रोका जा सकता है. कुछ ऐसा ही रहा जिसके चलते कांग्रेस को गुजरात और हिमाचल प्रदेश सर्वे के अनुसार फिसलते नज़र आ रहे हैं. इन सर्वे से साफ़ है कि कांग्रेस अब तक गुजरात फतह की सही राह नहीं पकड़ पायी है. यूपी में नोटबंदी का आमजन क्या असर रहा सोचने की जगह इसका विरोध के लिए विरोध करते रहे. इसी का परिणाम रहा कि कांग्रेस को एतिहासिक हार का सामना करना पड़ा. कुछ ऐसी ही गलती एक बार फिर से दोहराते हुए. कांग्रेस ने अपने उपाध्यक्ष को जीएसटी विरोधी स्क्रिप्ट थमा दी है और वो बचकानी तरह से जीएसटी की फुलफार्म गब्बर सिंह टैक्स बताते फिर रहे हैं. आज कांग्रेस जी धरातल पर खड़ी है, वो बहुत ही फिसलन भरी है. हर कदम फूंक-फूंक कर न धरा तो एक झटके में बिखरती चली जायेगी. गुजरात में एक बार फिर से नकारात्मक प्रचार को हथियार बनाकर सत्ता पाना सपने देखने जैसा है. जिस व्यक्ति ने गुजरात राज्य को पूरी उम्र दे दी, उस नरेंद्र मोदी ने 14 साल तक कांग्रेस को वापसी करने नहीं दिया उसने अपने गृह राज्य में कुछ तो किया होगा. कुछ ऐसे गुजरातियों को जानता हूँ जो मुझसे ये कहते हैं कि आप लोगों ने हमारे मोदी जी को छीन लिया इतना मान सम्मान दिया कि वो आप लोगों के ही होकर रह गए हैं. सकारात्मक सोचें तो ये बात गुजरातियों के प्यार को दर्शाती है. नकारात्मक सोचें तो पीएम बनने के बाद मोदी पराये हो गए हैं. बस यही बात विरोधियों को समझ में जिस दिन आ गयी उसी दिन मोदी को जीत से वंचित करने में सफलता पा जायेंगे.       

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