सतही राजनीति से ज़्यादा नहीं है, चिदंबरम का कश्मीर की स्वायत्तता पर दिया बयान
अंग्रेजी का एक शब्द होता है autonomy. जिसका हिंदी अर्थ होता है, स्वायत्तता. स्वशासित समाज या स्वयं शासन. यूपीए के पूर्व वित्तमंत्री पी चिदंबरम ने इंग्लिश में दिए अपने बयान में कश्मीरियों को autonomy roights देने की बात कही. कश्मीर के लोगों को स्वायत्तता का अधिकार देने की बात कह कर कांग्रेस विवाद में फंसा दिया. जब इस मुद्दे पर पलटवार जब प्रधानमंत्री मोदी ने किया कि कांग्रेस देश खंडित करने की बात कर रही है. इस स्वायत्तता शब्द पर विवाद बढ़ने पर कांग्रेस के वरिष्ठ नेता सुर बदलते हुए कहने लगे कि मैंने आज़ादी की बात नहीं, स्वायत्तता की बात कही है. मेरे बयान का गलत अर्थ निकाला गया है. अब विचार करने योग्य बात ये है कि चिदम्बरम के स्वायत्तता के अधिकार का क्या कुछ दूसरा अर्थ होता है. 15 अगस्त 1947 को भारत को अंग्रेजों ने आज़ाद कर दिया था. उसके बाद से लगभग 48 साल तक भारत पर कांग्रेस ने ही राज किया था. कश्मीर में अंतिम हिन्दू राजा हरि सिंह थे. उसके बाद कश्मीर भारत के साथ आ गया था. हिन्दू शासक का मतलब ही ये हुआ कि वहां पर मुस्लिमों से अधिक हिन्दू रहते होंगे. समय अपनी रफ़्तार से भागता रहा. कई उतार-चढ़ाव देखने वाले कश्मीर में धीमे-धीमे हिन्दूओं की आबादी कम तो मुस्लिम आबादी अधिक हो गयी. राज-पाट युग अवसान हुआ. अन्य राज्यों की तरह ही कश्मीर को भी मुख्यमंत्री के द्वारा चाले की प्रक्रिया शुरू हुई. 30 मार्च 1965 को कांग्रेस के गुलाम मोहम्मद सादिक कश्मीर राज्य के प्रथम मुख्यमंत्री गुलाम मोहम्मद सादिक बने. इनके बाद कांग्रेस के सैयद मीर कासिम ने कश्मीर की बागडोर 1971 से 1975 तक संभाली थी. इसी दौरान फारूख अब्दुल्ला के पिता शेख अब्दुल्ला ने नेशनल कांफ्रेंस पार्टी का गठन कर चुनाव लड़ा. कांग्रेस को चुनाव में हराकर शेख मुख्यमंत्री बने. कश्मीर से कांग्रेस के पैर उखड़ते ही यहाँ की सरकारों में अस्थिरता आने लगी. गौर करने वाली बात ये है कि कश्मीर में 1965 से 1975 के बीच, जब-तक कांग्रेस सत्ता में रही तब तक सरकार स्थिर क्यों रहीं, ये सोचने योग्य सवाल है. सन 1977 से 2016 आते आते तक कश्मीर ने 7 बार राष्ट्रपति शासन झेला. इस दौरान कांग्रेस सिर्फ 1 बार 2005 में कश्मीर की सत्ता में वापसी कर सकी. अब सवाल कांग्रेस के पूर्व वित्तमंत्री पी चिदम्बरम किस स्वायत्तता की बात कर रहे हैं. जब 1965-75 कश्मीर की सत्ता पर काबिज़ रही थी तो क्या उस समय ही स्वायत्तता थी. अगर नहीं थी तो उस समय क्यों नहीं किसी कांग्रेस के लीडर ने स्वायत्तता की वक़ालत की. अब जबकि कांग्रेस के लिए कश्मीर में सत्ता पर काबिज़ हो पाना दूर की कौड़ी हो गया है तो आज ये स्वायत्तता की बातें कर रहे हैं. शुरू में जब तक चिपक कर राज किया तब कश्मीरियों की स्वायत्तता की याद क्यों नहीं आयी. नेशनल कांफ्रेंस, अवामी कांफ्रेंस ,पीडीपी के शासनकाल में ही अस्थिरता क्यों रही. ये एक अनसुलझा सवाल है. आज जबकि पीडीपी-बीजेपी गठबंधन की सरकार सब कुछ सुधारती चली आ रही है तो ये स्वायत्तता की याद कांग्रेस को क्यों आने लगी क्या कांग्रेस के मुख्यमंत्री ही कश्मीर के रहे हैं. फारुख अब्दुल्ला, उमर अब्दुल्ला और स्वर्गीय मुफ़्ती मोहम्हद सईद और महबूबा मुफ़्ती क्या कश्मीर के नहीं हैं. पी चिदम्बरम का स्वायत्तता के अधिकार पर दिए बयान को गहराई से देखा और समझा जाए तो कांग्रेस को कश्मीर में शान्ति बहाली होने की संभावनाएं रास नहीं आ रही हैं. पत्थरबाज़ गायाब, आतंकवादियों को भारत की आर्मी गोली ठोंक कर दुनिया से गायब कर देती है. अलगाववादी सही राह पर आने केलिए तैयार हो गए हैं, उससमय ये स्वायत्तता का बयान सतही राजनीति से ज्यादा नहीं लगता है.



Comments
Post a Comment