सोशल मीडिया पर थोड़े से लालच में बिक रहा है मोदी विरोधियों का ईमान

अभी तक तो देश में तथाकथित सेक्युलर ही हुआ करते थे.आज पता चला कि तथाकथित विरोधी भी होते हैं,जिनका काम सिर्फ "विरोध के लिए विरोध करना रहता है". देश के भीतर रजनीति में नकारात्मक राजनीति का कई दशक पुराना सम्बन्ध है. इस नकारात्मक राजनीतिक उठा-पटक को खत्म करने का श्रेय वर्तमान पीएम नरेंद्र मोदी को है. मुख्यमंत्री बनने के बाद से नरेंद्र मोदी गुजरात में कुछ ऐसी ही राजनीति से दो-चार होते रहे हैं. लगभग 14 साल तक मुख्यमंत्री पद संभालने के बाद इस नकारात्मक राजनीति की व्यूह रचना को ध्वस्त करके ही प्रधानमंत्री बने थे. ईमानदारी से गुजरात राज्य संवारने के बाद अब वो देश की पटरी से उतरी अर्थ व्यवस्था को सुधारने में लगे हुए है. पहले चरण में नोटबंदी की, उसके पश्चात जीएसटी(गुड्स एंड सर्विस टैक्स) लागू किया. इसके बाद से सबसे ज़्यादा परेशान वो लोग हो गए जो रुपये की 6 अठन्नी के चक्कर में रहते थे और इसी तरह से काली कमायी को घरों में कैद कर रखा था. ऐसे लोगों को प्रधानमन्त्री मोदी का फैसला रास नहीं आया जो आज धीरे-धीरे गोलबंद हो गए. कई वर्षों से काली कमाई को जमा करने वालों की आँख की किरकिरी बनने बन चुके नरेंद्र मोदी को काले धनाड्य हज़म नहीं कर पा रहे हैं. शॉर्टकट के एकदम से रोडपति से करोड़पति बनने वाले ऐसे ही लोगों ने नकारात्मक राजनीति करने वालों के ये मददगार इसलिए बन गए हैं जो किसी भी सूरत में नरेंद्र मोदी दूसरी बार प्रधानमंत्री बनने देना नहीं चाहते हैं. इन्हें इस बात का बहुत बेहतर अंदाजा है कि अगर नरेंद्र मोदी दोबारा पीएम बन गए तो ऐसे काले धनवान एकदम बर्बाद हो जायेंगे. किसी भी तरह से मोदी को पीएम पद से हटाने की मुहिम को अमलीजामा पहनाने हुए आज शोसल मीडिया को अपना हथियार बना लिया है. सोशल मीडिया पर मोदी विरोधियों की तादाद में एकदम से इज़ाफा हुआ है.अगर गहराई से देखें तो ये इजाफा संख्या के बढ़ने के बनिस्बत विरोध करने वालों का सोशल मीडिया के एकाउंट में ज़्यादा हुआ है. एक व्यक्ति कई फेक आईडी बनाकर विरोध में जुटा हुआ है. इनको धन कौन दे रहा है इसे आप स्वयं समझ सकते हैं. ये विरोध के लिए विरोध करने वाले लोग, कुछ लोगों का ग्रुप बनाकर, कोई एक मोदी विरोधी पोस्ट डालकर उसपर खुद ही लाइक और कमेंट्स करके सामान्य रूप से सोशल मीडिया में चहलकदमी करने वालों को भ्रमित करते हैं कि मोदी देश की जनता के लिए कुछ नहीं कर रहे हैं. इसके विपरीत आम आदमी जानता है कि भ्रामक और मक्कारी भरा प्रचार है. ये बात इसी से साबित होती है कि इनके झूठे प्रचार के झांसे में नहीं आ रही है. इसीलिए राज्य दर राज्य जीतते जा रहे हैं.कल की ही घटना है एक कथित विरोधी ने पोस्ट डाली कि पट्रोल वहीँ सस्ता होता है जहां पर चुनाव हो रहे हैं और ये बीजेपी शासित राज्य हैं. अब ऐसे कम अक्ल लोगों को कौन समझाये कि हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस की सरकार है. जब उसके विरोध को टटोलने के लिए उसे झूठ कहा कि पट्रोल सस्ता हो गया है, केंद्र सरकार द्वारा चलाये जा रहे पट्रोल पम्प पर 65 रूपये लीटर मिल रहा है. इस पर इस बंदे ने कई सवाल इन पत्रोप पम्प की जानकारी में पूछ डाले. तो उसको ये तर्क देते हुए कि भारतीय जन औषधि केंद्र के बारे में मालूम है जो केंद्र सरकार ने खोले हैं, इसी तर्ज़ पर ये पम्प भी खोले गए हैं. झटके में वो बोल गया कि भारतीय जन औषधि केंद्र की जानकारी मुझे भी है. जहां बहुत ज़्यादा सस्ती दवाएं मिल रही हैं. उसके इस बात के कहने पर मैंने उससे कहा कि पट्रोल सस्ता नहीं है तो चिल्ला रहे हो और विरोध कर रहे हो जबकि जीवन रक्षक दवाएं सस्ती है उन पर भी पोस्ट डालो. इस पर वो बन्दा खिसिया गया और ऑनलाइन से ऑफ लाइन हो गया. बा ऐसे ही होते हैं देश के तथाकथित विरोधी जिन्हें जो भी पोस्ट इन्हें पेमेंट करने वाले ने दे दी उसे ही पोस्ट करते रहेंगे.

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