राधे माँ ने एसएचओ संजय को प्रसाद के रूप में दिव्य द्रष्टि प्रदान कर ही दी

भक्ति भावना के चक्कर में एसएचओ साहेब को निलंबन की मार झेलनी पड़ रही है. बताया जा रहा है कि विवादों से लोकप्रिय हुई राधे माँ को दिल्ली प्रवास के दौरान अचानक नंबर एक या नंबर 2 लग गयी, कहीं भी निपटने का जुगाड़ न लगा तो सीधा दिल्ली के विवेक विहार थाने में लैंडिंग कर गयीं. राधे माँ को थाने में उम्मीद से ज़्यादा रिस्पांस मिला, देखते ही एसएचओ साहेब ने सम्मान देते हुए राधे माँ को अपनी कुर्सी पर स्थापित कर दिया. कुछ किलोमीटर दूर हनीप्रीत और बाबा राम रहीम की उपस्थिति से प्रेरणा न ले पाने वाले एसएचओ साहेब ने ऐसा क्यों किया ये वही बता सकते हैं. ये सोच-सोच कर सर चकरघिन्नी हुआ जा रहा है, जो राधे माँ अपने विवादास्पद कैरेक्टर के कारण नेशनल फेम की महिला हैं, उनके बारे में पुलिस नहीं जानती है, तो आम आदमी कैसे जान सकता है. सबसे मजेदार बात तो ये रही की थाने के 5 सिपाही भी एसएचओ संजय शर्मा जी के साथ करबद्ध खड़े हो गए. इस सुअवसर की किसी दिल जले ने वीडियो और फोटो बनाकर सोशल मीडिया पर डालकर संजय शर्मा जी को इंटर नॅशनल फेम का पुलिसकर्मी बना दिया सोशल मीडिया पर थाने में एसचओ संजय की कुर्सी पर माँ विराजमान हैं और वो पास हाथ बांधे खड़े आशीर्वाद के इंतज़ार में हैं. राधे माँ ने आशीर्वाद न दिया हो,लेकिन उच्च अधिकारियों ने आशीर्वाद के रूप में संजय जी को निलंबित और आवभगत में शामिल सिपाहियों को लाइन हाज़िर कर दिया. अरे संजय जी आपको अपने नामाराशि महाभारत के संजय की तरह दिव्यद्रष्टि नहीं मिली थी ,जो  राधे माँ के नाम की हड्डी गले में फंसा ली. महाभारत के संजय ने बाकायदा कुरुक्षेत्र के युद्ध की लाइव कमेंट्री धृतराष्ट्र को घर बैठे सुना दी थी. कुछ तो नाम के कारण ऐसी शक्ति मिल ही जानी थी. वैसे देखा जाए तो एसएचओ संजय शर्मा और उनके सहयोगी पुलिस कर्मियों को राधे माँ की कृपा से प्रसाद के तौर पर निलंबन और लाइन हाज़िर फल मिला हो, लेकिन राधे माँ को नंबर 1 और नंबर 2 के चक्कर में थाने के अन्दर आधे दर्ज़न भक्त जन ज़रूर मिल गये. एसएचओ संजय शर्मा जी पर ये कहावत फिट बैठती है कि 'हवन करते हाथ जल गये' अब आधुनिक संजय को महाभारत का संजय बनने में वक्त नहीं लगेगा.

Comments