गुजरात चुनाव से राहुल गाँधी को स्थापित नेता बनाने की जुगाड़ में है कांग्रेस

गुजरात में चुनाव की हलचल चरम पर पहुँचती जा रही है. इसी के साथ नये नेताओं का भी उदय हो रहा है. कुछ महीने पहले आप पार्टी के नेताओं की तरह ही गुजरात में पटेलों के आन्दोलन को लेकर हार्दिक पटेल का उदय हुआ. मीडिया ने हार्दिक पटेल को इसलिए हाथों-हाथ लिया, क्योंकि वो प्रधानमंत्री मोदी का विरोध के लिए विरोध कर रहे थे. गुजरात में पटेलों के प्रदर्शन के उग्र रूप ले लेने के कारण हार्दिक पटेल रातों-रात राष्ट्रीय स्तर के स्वघोषित नेता बन बैठे. इस टाइप के नेता पेड होते हैं पानी के बुलबुले की तरह ये सतह पर उभरते है और फूटते हैं फिर उभरते हैं. कुछ तीन साल से रोज नए-नए नेता बड़ी तादाद में पैदा हो रहे हैं. कोई साल भर पहले जेएनयू में छाती कूटते हुए कुछ छुटभैय्ये नेता सामने आये. कुछ महीने खूब उछल-कूद की. ये कूद-फांद फ्लाप शो बन कर रह गयी. इनके पैदा होने में एक बात कॉमन है, ये चुनाव के दौरान ही पैदा होते हैं. इस बार बम्पर सेल की तरह गुजरात में सबसे अधिक नेता पैदा होने जा रहे हैं. हास्यास्पद बात यहाँ पर ये है कि ये मीडिया के द्वारा प्रचारित होकर आम लोगों के सामने लाये जाते हैं. कुछ साल एक ही पाटीदार नेता हार्दिक पटेल ही था, हार्दिक का चिराग बुझते-बुझते अपने लग्गुओं नेता बना दिया. ऐसे नेताओं के लिए बड़े दुःख के साथ लिखना पड़ रहा है कि ये चुनाव भर ही बारूद भरे कातूस की तरह ठायं-ठायं करते हैं. जैसे ही चुनाव ख़त्म होते हैं. इनका सूर्य अस्त हो जाता है और ये रात की कालिमा में गुम हो जाते हैं. कुल मिलाकर प्रधनमंत्री मोदी की कृपा से गुजरात को कुछ महीनों के लिए फायर ब्रांड नेता मिलने वाले हैं. जिन्हें कुछ न्यूज़ चैनल्स हाईलाईटर बन कर चमकाएँगे. चुनाव परिणाम आते ही इनकी चमक खत्म हो जायेगी. धरना-प्रदर्शन की विज्ञप्तियां छपा के कई सालों में नेता बनते हुए तो देखा, लेकिन आज के दौर में कुछ ही दिनों में कोई पाटीदारों का, तो कोई ओबीसी का, तो कोई जाटों का नेता बन बैठा है. इन्हीं के साथ अब अपनी खुशफहमी की पारी कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गाँधी खेलने जा रहे हैं. इनके सहारे की कांग्रेस को इसलिए ज़रुरत पड़ी क्योंकि कोई डेढ़ दशकों से कांग्रेस राहुल गाँधी को बड़ा नेता बनाने में लगी है लेकिन सफलता नहीं मिल पा रही है.बहुत ही उम्मीद से यूपी में विधानसभा चुनाव जोड़-तोड़ करके लड़ा था ताकि कांग्रेस यूपी में कांग्रेस नंबर 2 पर आ गयी तो थोड़ी सी पार्टी को ऑक्सीज़न मिल जायेगी लेकिन इसके उलट प्रदेश की जनता को समाजवादी पार्टी और कांग्रेस का साथ पसंद नहीं आया और जो अखिलेश यादव पूर्ण बहुमत से सत्ता पर काबिज़ हुए थे. 5 दर्जन विधायकों को नहीं जिता पाए. इसके पीछे सबसे बड़ा माइनस फैक्टर राहुल गाँधी की कांग्रेस रही थी. अब गुजरात में चुनाव के बाद राहुल स्थापित नेता बन पाते हैं या नहीं, ये तो गुजरात के विधानसभा चुनाव परिणाम बताएँगे. 

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