सीडी कांड के बाद अस्त हो सकता हार्दिक पटेल का सूरज

कांग्रेस की सोच के विपरीत आखिरकार पटेल मतदाताओं को अपने पाले में करने की कांग्रेस की मुहिम को उस समय झटका लग गया,जब गुजरात में पटेलों को आरक्षण की मांग करने वाले युवा नेता हार्दिक पटेल सेक्स सीडी काण्ड में फंस गए. कांग्रेस हार्दिक पटेल को लेकर ये सोच रही थी कि जैसे गुजरात में चुनाव दस्तक देंगे, इसके साथ हार्दिक के माध्यम से प्रधानमंत्री मोदी को उन्हीं के घर में पटखनी देकर ये सन्देश दिया जा सकता है कि मोदी अब गुज़ारे ज़माने की बात हो चले हैं. लेकिन इसके विपरीत जिस तेज़ी से हार्दिक पटेल का सूरज उदय हुआ था, उसी तेज़ी के साथ अस्त हो गया. हार्दिक पर दाँव खेलने से पहले उसके बारे पूरी जानकारी कर लेनी चाहिए थी कि क्या वो सही रहेगा. 26 वर्षीय अतिमहत्वाकांक्षी युवक हार्दिक पटेल जिस तेज़ी से आगे बढ़ा था, इसी के चलते उसके सहयोगियों में ही दुश्मन पैदा होने की गुंजाइश बढ़ जाती है. ज्यादातर युवाओं की प्रबल इच्छा होती है कि वो शार्टकट से शोहरत और दौलत कमा ले. अगर हार्दिक पटेल में भी ये इच्छा बलवती थी तो उसे चाहिए था कि वो अपने बीते कल को साफ़-सुथरा रखे, लेकिन ऐसा नहीं हो सकता था. आज हार्दिक पटेल जिस रास्ते पर पहुँच गए हैं, उस रास्ते में कीचड़ ही कीचड़ है. जहाँ से साफ़ निकल पाना बहुत टेढ़ी खीर है. हार्दिक पटेल की महत्वाकांक्षाओं ने समय से पहले दम तोड़ दिया. जिस तरह से एक के बाद एक सीडी सोशल मीडिया पर आ रही हैं, उसके बाद हार्दिक के माध्यम से पटेलों को पटाने की कांग्रेस मुहिम को ज़ोरदार झटका लगा है. कांग्रेस भी सोच कर बैठी हुई थी कि इस बार गुजरात में बीस साल का सूखा खत्म हो जाएगा. इसी के चलते कांग्रेस ने अपनी सच के अनुरूप हार्दिक और जिग्नेश पर दाँव खेला था. उम्मीदों के विपरीत बनायीं योजना पर सीडी कांड ने पानी फेर दिया. इस सीडी मुद्दे में कितनी सच्चाई है कितनी नहीं ये बात हार्दिक के उस बयान से पुख्ता हो चली है जिसमें उन्होंने गुजराती नारियों को बदनाम न करने की बात कही है. ये बयान साबित करता है कि सीडी में जो कुछ भी है, वो सच है. जेएनयू के कथित नेता कन्हैया कुमार की तरह ही हार्दिक पटेल का हश्र हो गया, दोनों ने ही मीडिया और सोशल मीडिया के माध्यम से जिस रफ़्तार से विख्यात हुए थे, उसी तेजी से मीडिया ने टीआरपी के चक्कर में  हर श्याह-सफ़ेद पहलुओं को दिखा कर कुख्यात बना डाला. कुल मिलकर गुजरात चुनाव में एक बार फिर से कांग्रेस प्रधानमंत्री मोदी से नहीं जीत पायेगी. उसके एक बार फिर से एक पांच साल का सूखा और काटना पड़ेगा. सारी चुनावी रणनीति धरी की धरी रह गयी.


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