सचिन की तरह ही मोदी भी राजनीति के भ्रष्टाचारियों के खिलाफ विध्वंसक पारी खेल रहे हैं
प्रधानमंत्री मोदी और महान क्रिकेटर सचिन एक जैसी प्रतिभा के धनी हैं, दोनों ही में धैर्य के साथ और लक्ष्य की तरफ बढ़ने की एकाग्रता एक सामान है. आज जब भी भारतीय क्रिकेट टीम कोई मैच हारती है तो उस समय क्रिकेट के भगवान सचिन तेंदुलकर की याद आ जाती है. दर्ज़नों माइल स्टोन स्थापित करने वाले सचिन शायद ही कभी किसी मैच में खराब खेले हों. टेस्ट और एक दिवसीय में उनके रनों का औसत देखा जाए तो टेस्ट 53.79 के औसत से 15,921 और फटाफट क्रिकेट में 44.83 के औसत से 18,426 रन बनाए हैं. शतकों का शतक जमाने वाले दुनिया के अकेले बादशाह. औसत के हिसाब से हर मैच में 45 रन बनाये. भारत की जीते या हारे लेकिन ने एक दिवसीय में 45 और टेस्ट मैच में लगभग 54 रनों का सचिन का योगदान रहता ही था. क्रिकेट के दोनों फार्मेट में अदभुत महारत हासिल था. मैच में उनकी एकाग्रता और धैर्य के साथ खेली पारियों को कभी नहीं भूला जा सकता है. वहीं फटाफट क्रिकेट में मैदान में उतरते ही फास्ट हो या फ़िरकी गेंद हो उस पर कोई रहम नहीं करते थे. कई अहम मैचों में विरोधी टीम की बनायी रणनीति के विरुद्ध अपनी बल्लेबाजी में भी बदलाव करते रहते थे. सचिन क्रिकेट की दुनिया में विलक्षण प्रतिभा के धनी थे. विरोधियों की सचिन के खिलाफ कोई भी रणनीति सफल नहीं हो पाती थी. सबसे ख़ास बात सचिन में ये थी कि वो विरोधी टीम के गेंदबाज़ से अपने मनमुताबिक़ बॉल करवाना बहुत बेहतर जानते थे. आस्ट्रेलिया में खेली जा रही एक सीरिज में कप्तान स्टीव वां ने तेज़ गेंदबाज़ ग्लेन मैग्राथ को समझा दिया कि सचिन को बाहर बॉल डालते रहना, ताकि वो ऑफ स्टम्प से बाहर निकलती गेंदों को कम खेलते हैं. कई ओवर गेंद हो जाने के बाद सचिन ने ग्लेन मैग्राथ के सामने मिडिल स्टम्प खोल कर खड़े हो गए, और उन्हें अंदर गेंद करने के लिए उकसाने लगे. बस इसी झांसे और गुस्से में मैग्राथ कप्तान की बात को भूल कर सचिन को अन्दर गेंद फैंकने लगे, जो इनके लिए मुंह मांगी मुराद थी. कुछ इसी तरह की रणनीति वो कई देशों के साथ अपनाने रहे हैं. गेंदबाजों से अपने मनमुताबिक गेंदें डलवाने और उन्हें बेरहमी से पीटना प्रिय काम था. सचिन अपनी स्टाइलिश और धुंआधार बल्लेबाजी के कारण सभी देशों में लोकप्रिय हैं, लेकिन सबसे ज्यादा चाहने वाले क्रिकेट प्रेमी आस्ट्रेलिया में पाए जाते हैं. यह बात तब सामने आई जब सचिन आस्ट्रेलिया दौरे पर नहीं जा रहे थे. तब आस्ट्रेलियाई क्रिकेट बोर्ड ने बीसीसीआइ को लिखित भेजा था कि सचिन के दौरे पर न आने के कारण टिकटों की बिक्री नहीं हो रही है. इसलिए उन्हें टीम के साथ भेजा जाए. ऐसी ही बहुत से रोचक किस्से सचिन तेंदुलकर के साथ जुड़े हुए हैं. कभी भी आक्रामक न होने वाले सचिन अपनी आलोचनाओं का जवाब शतक मार कर देते थे. किसी मैच में शतक न बना तो न्यूज़ चैनल्स चिल्लाने लगते थे कि अब सचिन चुक गए हैं उनका क्रिकेट करियर ढ़लान पर है. अगर महानतम बल्लेबाज़ सचिन और प्रधानमंत्री मोदी के बीच की समानता को देखें तो आज मोदी एक तरफ तो सारे विरोधी एक तरफ दिखाई देते है. आज पीएम मोदी अपना काम करते रहते हैं, चाहे विरोधी कितना ही चिल्ल-पौ मचाये. कभी भी किसी भी फैसले को लेने में न हिचकने वाले प्रधानमन्त्री मोदी अपने साढ़े तीन साल के कार्यकाल में कई बार सचिन की याद दिला चुके हैं. जो तीव्र इच्छा शक्ति सचिन में दिखाई देती थी वही आज पीएम मोदी में भी देखी जा सकती है. विरोधियों को समय पर सबक सिखाना पीएम मोदी से बेहतर कोई नहीं जानता है.





Comments
Post a Comment