एचसी के 'आप' के 20 विधायकों की बर्खास्तगी के मामले की दुबारा सुनवाई के निर्देश पर केजरीवाल क्यों इतना उल्टा-सीधा हुए जा रहे हैं
आम आदमी पार्टी के 20 विधायकों को अयोग्य ठहराये जाने के मामले में दिल्ली हाई कोर्ट के राहत दिए जाने के फैसले को दिल्ली सरकार के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल ने 'सत्य की जीत हुई' कह के ख़ुशी जाहिर की है. साथ में ये भी टुकड़ा लगा दिया कि दिल्ली की जनता द्वारा चुने गये प्रतिनिधियों को गलत तरीके से बर्खास्त किया गया था. ये दिल्ली के लोगों की बड़ी जीत है. और बधाई दे डाली. अब लगने लगा है कि आप मुखिया किसी भी बात बोलने से पहले उस पर चिंतन मनन नहीं करते हैं. इसीलिए आधा दर्ज़न लोगों पर आरोप लगाने के बाद माफी माँगने में जुटे हुए हैं. कुछ ने माफ़ कर दिया है तो कुछ इस मामले में डिस्काउंट करने के मूड में नहीं हैं. पंजाब विधानसभा चुनाव के दौरान आकाली नेता मजीठिया पर पहले तो शेर की तरह दहाड़ते हुए ये आरोप लगाया कि वो ड्रग की तस्करी करके पंजाब के लोगों का जीवन बर्बाद कर रहे हैं. मंच से ये भी चैलेन्ज दे दिया कि अगर मजीठिया ने मुझे 6 महीने में गिरफ्तार नहीं किया तो मैं उनको 6 महीने बाद गिरफ्तार कर लूंगा. शायद ये बात मुंगेरीलाल की तरह सपने देखने के कारण कही होगी.क्योंकि 'आप' को पंजाब में 4 लोकसभा सीटें जीतने में सफलता मिली थी. इसी वज़ह से केजरीवाल को पंजाब की सत्ता पाने की पूरी तरह से ग़लतफ़हमी हो गयी थी. अब एक बार फिर से ये ग़लतफ़हमी पाल कर चल रहे हैं कि जिन सम्मानित लोगों पर आरोप लगाए हैं उनसे माफी मांग लूँगा तो लोकसभा में बहुमत न भी हासिल कर पाए तो इतनी सीटें तो जीत लेंगे कि केंद्र में अगर दूसरी बार मोदी सरकार नहीं आती है तो गैर भाजपाई दलों के साथ मिलकर सरकार बनाएंगे तो कुछ बड़ा हासिल हो सकता है. यह बात मुख्यमंत्री केजरीवाल को इसलिए समझ में आ रही है क्योंकि पहली बार बहुमत न मिलने पर 49 में सत्ता का त्याग कर दिया था. इस पर जब बहुत फजीहत हुई तो दिल्ली के विधानसभा चुनाव में नारा ही गढ़ लिया था कि हमारी पार्टी को माफ़ कर दे, अबकी बार सत्ता में आये तो जनता की सेवा करेंगे, कुर्सी छोड़कर भागेंगे नहीं. इस माफ़ी के झांसे में आकर जनता ने प्रचंड बहुमत दे डाला. इसके बावजूद आम लोगों के के लिए काम करने की जगह ये प्रचारित करना शुरू कर दिया कि मोदी काम नहीं करने दे रहे हैं. पर्दे के पीछे से अपनी पार्टी के 20 विधायकों को लाभ के पदों पर बैठा दिया. जब इस बात का खुलासा हुआ तो इन बीसों को बर्खास्तगी की मार झेलनी पड़ी. कोई भी पढ़ा-लिखा व्यक्ति इस बात को बेहतर जानता है कि दो सरकारी पदों पर काबिज हो कर लाभ नहीं कमाया जा सकता है. इस मामले में माननीय उच्च न्यायालय ने राष्ट्रपति की अधिसूचना पर रोक लगाते हुए चुनाव आयोग को 20 विधायकों की बर्खास्ती मामले पर दुबारा से सुनवाई के निर्देश दिये हैं. इधर मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल दोबारा सुनवाई की बात को लेकर ऐसे खुश हो रहे हैं मानो सभी विधायकों की बर्खास्त को फिर से बहाल करने निर्देश दिया है. केजरीवाल जी कोर्ट के आदेश और निर्देश में अंतर होता है. कोर्ट के निर्णय को दो अर्थी भाषा में न लिखा करें. वरना न्यायालय की नाराज़गी झेलनी पड़ सकती है. राजनीति में तो चल सकता है. लेकिन क़ानून के मामले में ऐसा नहीं चल पाता है. जैसा कि आप मान हानि के मामले में झेल रहे हैं. कोर्ट आपको अपनी तरफ से माफ़ी नहीं दे सकता है. जिसका अपमान किया है वह व्यक्ति ही कोर्ट के बाहर माफ़ कर सकता है और मुकदमा वापस ले सकता है. मुख्यमंत्री केजरीवाल को ये बात समझनी चाहिए कि क़ानून देश के नागरिक को पूरी तरह से अपने को निर्दोष साबित करने का का मौक़ा देता है. जब आतंकवादी टाइगर मेमन की फांसी के मामले को न भूलिये, उसे भी माननीय शीर्ष अदालत ने फांसी पर माफ़ी की सुनवाई आधी रात में की थी. ये तो आप के विधायक हैं, जो माननीय कहे जाते है, तो फिर
उनके मामले में दोबारा सुनवाई क्यों नहीं हो सकती है.
उनके मामले में दोबारा सुनवाई क्यों नहीं हो सकती है.



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