इतना न गिरो कि बाद में, उठना भी मुश्किल हो जाए
मोसुल में आतंकी संगठन आइएस-आइएस द्वारा अगवा सभी 39 हिन्दुओं को मार दिया गया. इस बात की पुष्टि विदेशमंत्री सुषमा स्वराज ने की. इस नाजुक मामले पर भी कांग्रेस ने अपनी सड़ी-गली मानसिकता का परिचय देते हुए सत्ता और वोट के चक्कर में राजनीति शुरू कर दी. चिल्लाने लगे कि मोदी सरकार ने इस बात को चार साल तक छिपाये रखा, जबकि इन सभी की हत्या किये जाने की पुष्टि इन में शामिल एक व्यक्ति हरजीत मसीह ने तीन साल पहले कर दी थी. इसी बात से समझा जा सकता है कि कांग्रेस देश के नागरिकों के प्रति कितना ज़िम्मेदारी से सोचती है. वो मोसुल शहर जहां अल-बगदादी के आतंकवादी मार-काट कर कर रहे हैं. चारों तरफ मौत का आतंक फैला हुआ है. कोई भी गैर-मुस्लिम या उस क्षेत्र का निवासी मिल जा रहा था. उसे आतंकवादी मार दे रहे थे. चारों तरफ लोगों के चीथड़े बिखरे पड़े हो ऐसे क्षेत्र से कोई व्यक्ति बच कर निकल आये इस बात पर पहले तो भरोसा नहीं होगा. जो मोसुल क्षेत्र की जानकारी नहीं रखता है वो आम लोग या उसके घर के लोग इस बात पर भरोसा कर सकते हैं कि चलो अपना भाई या बेटा आतंकियों के चंगुल से ज़िंदा बच कर आ गया. इसके पीछे इस व्यक्ति के परिजनों की सोच इमोशनल होगी. थोड़ा कांग्रेसियों की सड़ी-गली सोच के अनुसार एक बात और लिखता हूँ. दर्ज़न भर से ज्यादा देशों में क्रिकेट खेला जाता है. कई हज़ार लोग स्टेडियम में तो करोड़ों लोग घर पर बैठ कर सजीव प्रसारण देखते हैं. मैच पूरे रोमांच पर है और फील्डिंग कर रही टीम के गेंदबाज़ द्वारा फैंकी गेंद को बल्लेबाज़ हिट करता है. गेंद तेज़ गति से बल्ले के पास से निकल कर विकेटकीपर के ग्लब्ज़ में फंस जाती है. अपील होती है और मैदान का अम्पायर आउट नहीं देता है, तो विरोधी टीम मैदानी अम्पायर से आउट था या नहीं का फैसला जानने के लिए टीवी अम्पायर(थर्ड अम्पायर) को रेफर करने की अपील करती है. थर्ड अम्पायर स्लो मोशन में रिप्ले देखकर आउट है या नहीं है का निर्णय लेता है. टीवी अम्पायर कई तरीके से रिप्ले देखने के बाद अपना निर्णय देता है. रिप्ले देखकर उसे समझ में आ जाता है कि गेंद ने बल्ले का बाहरी किनारा छुआ था. यह बात मैदान में खडा अम्पायर नहीं देख पाया है, तो थर्ड अम्पायर उसके नॉट आउट के फैसले को उलट देता है और बल्लेबाज को आउट क़रार दे देता है. क्रिकेट में तो विकेट के रूप में खिलाड़ी आउट होता है. जब इस आउट के बाद टीम हार जाती हैं तो टीम के खिलाड़ियों को और देश क्रिकेट प्रेमियों बहुत दुःख होता है. अब आते हैं कांग्रेस की ओछी राजनीति की तरफ. 39 भारतीयों की हत्या कर दी गयी है. इस बात को आतंक से घिरे देश से किसी तरह से भाग निकला व्यक्ति अपने देश पहुँच कर बताता है. उसका इस घटना पर बयान है कि उसे और उसके साथियों को आतंकवादियों ने गोली मार दी थी. उसके 39 साथियों की मौत हो गयी उसे पैर में गोली लगी थी तो वो किसी तरह से बच कर वापस भाग आया. यह बात इसी के घटनाक्रम के साथ विदेशमंत्री सुषमा स्वराज के संज्ञान में आती है. क्या देश के बहुत ही ज़िम्मेदारी के पद पर बैठे व्यक्ति को आसानी से किसी भी व्यक्ति की इस बात सच मान लेनी चाहिए थी. जैसा की आज देश की सबसे पुरानी पार्टी के नेता कह रहे हैं? अगर कांग्रेस के नेताओं को इतना ज़्यादा बच के भाग निकले हरजीत मसीह की बातों पर भरोसा था, तो इस मुद्दे पर तीन साल पहले चिल्ल-पौ करनी थी. हरजीत को इलेक्ट्रानिक मीडिया और प्रिंट मीडिया के सामने लाकर कहलानी चाहिए थी. आज ये बात कह रहे हैं कि 39 भारतियों की आतंकवादियों द्वारा ह्त्या की बात को बीजेपी चार साल छिपाये रही. इन 39 लोगों की ह्त्या कर दिए आने की बात छिपाने में कांग्रेस को कौन सा और कैसा भाजपा को नफा दिख रहा है उसका खुलासा करना चाहिए. इससे पूर्व भी कांग्रेस और अन्य विरोधी रोहित वेमुला की मौत पर मीडिया बाज़ी कर चुके हैं. कांग्रेस के नेताओं और अन्य विरोधी दलों के नेताओं से नीम चढ़े, करेले जैसा सवाल. अगर विदेश मंत्री सुषमा आज से लगभग चार साल पहले आतंकियों के चंगुल से बच कर, भाग आये हरजीत मसीह की बात पर बिना आधिकारिक पुष्टि किये, विश्वास करके यह घोषणा 2014 कर देतीं कि सभी 39 अपह्रत भारतीयों की आइएस-आइएस आतंकवादियों ने ह्त्या कर दी है. इस घोषणा के बाद ये 39 निर्दोष लोग ज़िंदा भारत लाये जाते तो क्या कांग्रेस समेत देश के सभी लोग इसे एक बहुत ही गैर जिम्मेदाराना हरकत न कहते. तब ये आज ये सिल-पौ मचाते घूम रहे होते कि इन सभी को मार दिए जाने की पुष्टि किये बिना ही मरा घोषित करके बहुत ही गैर जिम्मेदारी का परिचय दिया है. विदेशमंत्री को इस्तीफा दे देना चाहिए. बेचारे आतंकवादियों पर भाजपा हमेशा आरोप लगाती रहती है. कुछ इसी तरह के बयान आ रहे होते. सत्ता पाने की लालसा में इतना भी अंधा नहीं हुआ जाता है, कि देश का भला-बुरा न समझ में आये. इतना भी न गिरो कि बाद में उठना भी मुश्किल हो जाए.ये पब्लिक है सब जानती है.




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