भीमराव अम्बेडकर के नाम के बीच में पिता रामजी का नाम जोड़ने से समय से पूर्व ही गरमा गयी राजनीति
अक्सर लोग बोल देते हैं कि नाम में क्या रखा है. लेकिन बीते दिनों यूपी की योगी सरकार ने भारतीय संविधान के निर्माता भीम राव अम्बेडकर के पूरे नाम को लिखने को लेकर विवाद पैदा हो गया है. प्रदेश सरकार का कहना है कि बाबा साहेब का पूरा नाम संविधान के पृष्ठ पर जो हस्ताक्षर हैं उसमें उनका पूरा नाम भीमराव रामजी अम्बेडकर लिखा है. पूरे नाम को लिखे जाने को लेकर बहुजन समाज पार्टी और सरकार आमने-सामने आ गए हैं. बसपा सुप्रीमो मायावती का कहना है कि बाबा साहेब के नाम में रामजी जोड़कर प्रदेश सरकार सस्ती और नक़ली लोकप्रियता हासिल करने का प्रयास कर रही है. पूरे नाम को लिखे जाने को लेकर भाजपा सांसद उदितराज कहना है कि नाम के बीच में रामजी लिख कर अनावाश्य विवाद खड़ा किया गया है जिससे दलित भी नाराज हैं. उदितराज की सोच उत्तर-प्रदेश के हिसाब से है. शायद उन्हें नहीं मालूम कि यूपी में लोग पिता का सरनेम लिख कर काम चला लेते हैं. यकीन दक्षिण भारत के राज्यों महाराष्ट्र और गुजरात में अपने नाम के बीच में पिता का नाम और सरनेम लगाया जाता है. यहाँ तक जम्मू-कश्मीर में भी लोग पिता का नाम अपने नाम के साथ लिखते हैं. एच डी देवेगौडा को सभी जानते हैं कर्नाटक के मुख्यमंत्री और बाद में यूनाइटेड फ्रंट के केंद्र की सत्ता में आने पर प्रधानमंत्री बनें. एच डी देवेगौडा का पूरा नाम हरदरहल्ली डोडेगोडा देवेगौडा है इसमें डोडेगोडा उनके पिता का नाम है. लम्बे और कठिन उच्चारण के कारन उन्होंने एच डी देवेगौडा लिखने लगे होंगे. ये है दक्षिण के राज्य में पिता के नाम के साथ नाम पिता के नाम को लिखने का चलन. गुजरात में देखे तो राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी का पूरा नाम मोहनदास करमचन्द्र गाँधी था. कर्मचन्द्र गांधी आपके पिता का नाम था. इसी तरह से नरेंद्र मोदी ने जब शपथ ली थी तो उन्होंने अपना नाम नरेंद्र दामोदरदास मोदी बोल कर ली थी. दामोदरदास मोदी आपके पिता का नाम था. इसी तरह कश्मीर में देखें तो आइएएस(भारतीय प्रशासनिक सेवा) के सेकेण्ड टॉपर अतहर आमिर उल शफी खान पूरा नाम हैं. आपके पिता का नाम मोहम्मद शफी खान है. इनके नाम के साथ शफी खान इनके पिता का नाम है. एक मूवी आई थी "अब तक छप्पन" इसमें जब महाराष्ट्रियन पुलिस अधिकारी साधू अगासे यूपी से मुंबई पुलिस सेवा में ज्वाइन करने जाता है तो उससे जब साधू अगासे नाम पूछता है तो वो जतिन शुक्ल बताता है. इस पर साधू अगासे कहता है कि क्या बाप नहीं है ,उनका नाम क्यों नहीं बोला. तब वो अपना नाम जतिन जनार्दन शुक्ला बताता है. पिता का नाम हिंदी भाषी राज्यों में ही नहीं लिखा जाता है. बसपा मुखिया मायावती का रामजी जोड़े जाने पर बहुत हल्के में टिप्पणी करना की ये सस्ती और नक़ली लोकप्रियता पाने के लिए किया गया है. बाबा साहेब भीमराव अम्बेडकर के नाम के साथ पिता का नाम रामजी जोड़े जाने पर बहुत ज्यादा ऐतराज होगा, लेकिन वो आज की राजनीतिक परिस्थितियों के चलते कड़े शब्दों में नहीं बोल सकती हैं. क्योंकि बसपा का जन्म ही 'तिलक(पंडित या पुजारी) तराज़ू(बनिया) और तलवार(ठाकुर) इनके मारो जूते चार के नारे के साथ हुआ था. इसीलिए बाबा साहेब का पूरा नाम भीमराव रामजी अम्बेडकर में से रामजी न हताते तो विरोध अधूरा रह जाता. इसके बावजूद बहुत ज़्यादा न पा पाने के चलते बसपा सुप्रीमो बनने के बाद मायावती ने ब्राह्मणों और ठाकुरों वोट साधने के बाद ही सत्ता पर पूरी तरह से काबिज हो पायी थीं. शायद यही राम विरोधी चेहरा साबित करने के लिए ही बीजेपी ने रामजी के नाम पर घेरे रखने का मन बना लिया है. आज जब सभी राज्यों में राम नाम की लूट मची हुई है. सभी छोटे-बड़े दलों के नेता अपने आप को हिन्दू साबित करने पर तुला हुआ है जैसा की गुजरात में राहुल गाँधी जनेऊधारी बन कर खूब लम्बा-चौड़ा टीका लगाकर चुनाव मैदान में उतरे थे. यही हाल अन्य राज्यों भी है. बिहार में लालू भी सजा सुनाये जाने के पहले अपने पुत्रों के साथ बहुत धीमी जुबान से राम मंदिर निर्माण में अदालत का फैसला मानने की बात करने लगे थे. जसके चलते बीजेपी को उप चुनाव में मुंह की खानी पड़ी थी. पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी दुर्गा मूर्ति विसर्जन पर रोक लगा देती थीं वो अब रामनवमी के जुलुस निकाले जाने की पक्षधर बन गयी हैं. अब देखना ये है कि संविधान निर्माता वाले रामजी और अयोध्या वाले रामजी की कौन अपने पाले नें कर ले जाता है. ये लोकसभा महासंग्राम के चुनाव परिणाम बताएँगे.



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