विपक्षी दलों के नेताओं अगर ज़रा भी शर्म हो तो अमेरिका की तरफ भी देख लेना
ट्वीटर का मतलब कुछ ऐसे लोगों का झुण्ड जो फ़ालतू की बातें लिखता है. ट्वीटर कुछ मानसिक रूप से बीमार लोगों की हताशा ही लिखी मिलती है. जो मन में आ गया, 12-15 साल के बालकों की तरह लिख दिया. जब लोग गरियाने लगते हैं तो ट्वीट को डिलीट कर देना इनकी आदतों में सुमार हो गया सा लगता है. ऑन लाइन एक पत्रिका के माध्यम से देश की सबसे पुरानी राजनीतिक पार्टी कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गाँधी ने ढोकलाम गतिरोध पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर तंज कसा.उन्होंने कहा कि "मुझे आशा है कि 56 ईंच के बलवान के पास स्थिति से निपटे के लिए कोई प्लान होगा." क्या अब इन नेताओं के लिए देश से ऊपर हैं इनकी महत्वाकांक्षाएं. एक सड़ी-गली मानसिकता का पड़ोसी देश जोकि भूमाफिया जैसी हरक़तें करता चला आ रहा है. उसकी सतही हरक़तों पर कुछ न विरोध में न बोलने की जगह अपनी हताशा का प्रदर्शन करना कहा तक जायज़ है. माना कि देश में दो दल बीजेपी और कांग्रेस राजनीतिक प्रतिद्वंद्वी हैं. उनमें मत-भेद हो सकते हैं. एक दूसरे पर किसी भी तरह के आरोप प्रत्यारोप लगाए चलेगा. लेकिन जब कोई बाहरी देश अपने देश के साथ बेजा हरक़त करता है, उसके विरुद्ध एक साथ मज़बूती से खड़े दिखाई देना चाहिए. नाकि उसे बढ़ावा देने की बात करनी चाहिए. सत्ता की लालसा में देश की इज्ज़त दाँव पर लगाने का क्या औचित्य है. कांग्रेस ने लगभग 60 वर्षों तक राज किया. आज अगर बीजेपी सत्ता में है तो एक अच्छे विपक्ष की भूमिका निभाते हुए उसे 5 साल सत्ता चलाने का पूरा अधिकार देश की जनता ने दिया है. एक पत्रिका में पढ़ा था कि किस तरह दुश्मन देश पाकिस्तान ने किसी राष्ट्रों के सम्मलेन में कुछ मुस्लिम देशों के साथ मिलकर भारत को दबाने की रणनीति बनायी थी. उस समय केंद्र में कांग्रेस की सरकार थी के प्रधानमंत्री स्वर्गीय पीवी नरसिम्हा राव थे. इस सम्मेलन में विपक्षी दल के नेता बीजेपी के अटल बिहारी वाजपेई थे. राव इस समिट में अटल को ले गए थे. जब पाकिस्तान ने वहां पर कश्मीर को चार मुस्लिम देशों के साथ घेरने की कोशिश की और कश्मीर को राष्ट्र की मान्यता देने की बात कही तो अटल ने मुंह-तोड़ जवाब देते हुए कहा था कि अगर आप लोग कश्मीर को मान्यता देंगे तो हम इजराइल के साथ मिलकर सिंध प्रान्त को राष्ट्र की मान्यता दे देंगे. इसके बाद पाकिस्तान की बोलती बंद हो गयी थी. कुछ ऐसा था पहले का सत्ता पक्ष और विपक्ष. इस मुद्दे पर प्रधानमंत्री नरसिम्हा राव ने अटल बिहारी वाजपेई की जमकर तारीफ़ की थी. आज गाँधी परिवार की भक्ति में कांग्रेस के वरिष्ठ और कनिष्ठ नेताओं को अपनी सतही मानसिकता और उँगलियों पर कंट्रोल नहीं हैं, ये बात कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गाँधी के ढोकलाम पर किये ट्वीट से समझ में आ जाती है. कांग्रेस और अन्य विरोधी दलों को ये नहीं भूलना चाहिए कि अगर चाइना देश को हानि पहुंचाता है तो इसमें उनकी भी हानि सुनिश्चित है. दुनिया का सबसे शक्तिशाली देश अमेरिका भी देश पर संकट के समय आपसी मत-भेद भूल जाता है जब उसकी संसद पर हमला होता है. याद होगा क्लिंटन और मोनिका कांड. जब मोनिका लेविंस्की ने राष्ट्रपति बिल क्लिंटन पर अपने यौन शोषण का आरोप लगाया था. अमेरिका की संसद ने एकजुट होकर क्लिंटन को महाभियोग से बचाया था और मोनिका लेविंस्की को मोटी धनराशी देकर कोर्ट केस वापस लेने के लिए मनाया था. ये सिर्फ इसलिए कि इससे दुनिया में अमेरिका की छवि खराब न हो. बीते दिनों अमेरिक के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप पर भी एक पोर्न स्टार ने ये खुलासा किया कि ट्रंप ने उसके साथ राष्ट्रपति बनने से पूर्व शारीरिक संम्बंध बनाए थे. 2016 में राष्ट्रपति पद का चुनाव लड़ रहे ट्रंप के वकील ने मुंह बंद रखने के लिए 1 लाख 40 हज़ार डॉलर भी दिए थे. क्या ये बात राष्ट्रपति पद की प्रत्याशी हिलेरी क्लिंटन को नहीं पता होगी. अगर हिलेरी और उनकी पार्टी चाहती तो अपने प्रतिद्वान्द्वी डोनाल्ड ट्रंप के खिलाफ पोर्न स्टार स्टॉर्मी डेनियल्स को मुंह खोलने के लिए मुंह मांगी कीमत दे सकती थीं. दूसरे देश के नेताओं में कुछ तो मोरल है. जोकि भारत के नेताओं से उन्हें अलग खड़ा दिखाता है. बहुत ही शर्मनाक बात, देश और कांग्रेस के लिए है कि उनका राष्ट्रीय अध्यक्ष चाइना और भारत के बीच सीमा विवाद पर अपने देश के ही प्रधानमंत्री का मखौल उड़ा रहा है. इसीलिए भारत आजादी के 70 साल बाद भी रेंग रहा है और जापान जैसे देश तरक्की करते हुए कहाँ से कहाँ पहुँच गए हैं.



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