मौलाना मदनी के भाषण के मद्देनज़र आज़ादी के बाद हुए बंटवारे के इतिहास को फिर खंगाला जाना चाहिए

लखनऊ के गोमती तट स्थित झूलेलाल पार्क में आयोजित इजलास तहफ्फुजे मुल्क व मिल्लत कांफ्रेंस में जमीअत उलमा-ए-हिन्द के महासचिव मौलाना महमूद असअद मदनी ने मुख्य अतिथि के रूप में बोलते हुए कहा कि भारत में आज़ादी के बाद मुसलमान बाई चांस नहीं, बाई चॉइस रुके थे. उस समय के 80 % मुसलामानों का मानना था कि भारत ही हमारा मुल्क है. मदनी साहब की इस स्पीच पर कोई शक नहीं किया जा सकता है. यह बात इसलिए लिखी कि जमीअत उलमा-ए-हिन्द कांग्रेस से भी पुराना संगठन है. इनके पास बाकायदा सभी रिकार्ड मौजूद होंगे. ऐसी बात कोई सम्मानित मौलाना हवा में नहीं बोलेगा.अब सवाल ये है कि आज़ादी के बाद बंटवारे की जो बात उठी उसकी पहल हिन्दुओं की तरफ से हुई या मुसलामानों की तरफ से. मुसलमानों को अलग मुल्क दिए जाने की मांग की पहल किसने की थी ? इतिहास, बुक्स और सर रिचर्ड एटनबरो की गाँधी मूवी में पढ़ा और देखा था कि मोहम्मद अली जिन्ना और जवाहर लाल नेहरू के बीच इस मुद्दे पर गरमा-गरम बहस हुई कि हिन्दू हिन्दुस्तान में रहेंगे तो मुसलमान कहाँ रहेंगे. मोहम्मद अली जिन्ना ने अगर मुस्लिमों के लिए अलग देश की मांग की पहल की थी तो बंटवारा धर्म और बहुमत के आधार पर ही हुआ होगा. अगर मौलाना मदनी की बात सही माना जाए तो 20% मुस्लिम ही बनाए गए नए देश पाकिस्तान गए थे तो बहुमत के आधार पर बंटवारा क़तई नहीं हो सकता था. इसका मतलब साफ़ है कि हिन्दू और मुसलामानों के दोनों बड़े नेताओं ने ज़बरिया अपनी इच्छा को आम लोगों पर थोपा था. आज़ादी की लड़ाई हिन्दू और मुसलामानों ने मिलकर लड़ी थी. उस समय के सभी नेताओं और आम लोगों की इस बंटवारे पर सहमति ज़रूरी हो जाती है.मौलाना मदनी साहब की बातें तथ्यातमक हैं तो इसका मतलब है जिन्ना की इच्छा पूर्ति के लिए या किसी अन्य की महत्वाकांक्षा के लिए मात्र 20 प्रतिशत लोगों को एक अलग मुस्लिम देश बनाकर कैसे दिया जा सकता है. पाकिस्तान के रूप में 20 फ़ीसदी लोगों को इतने बड़े भू-भाग दे दिया जाना वो भी बिना बहुमत के ये बात गले नहीं उतरती है. गाँधी मूवी में भी यह बात मुस्लिमों के नेता मोहम्मद अली जिन्ना को कहते दिखाया गया है कि हिन्दू हिन्दुस्तान में रहेंगे तो मुसलामान पाकिस्तान में रहेंगे. अगर मौलाना मदनी सही हैं तो देश के इतिहास में हुई बंटवारे की ये घटना उस समय के नेताओं की अपनी महत्वकांक्षा की पूर्ति  करती मात्र है. इसे देश का दुर्भाग्य ही कहा जाएगा कि 80 फीसदी मुस्लिम और 100 फीसदी हिन्दुओं यानी कुल 180% लोगों से 20 फीसदी लोग इतना बड़ा भू-भाग झटक ले गए. देखा जाए तो पाकिस्तानी मुसलमान तो भू-माफिया निकले जिन्होंने इतनी बड़ी ज़मीन पर बंटवारे के नाम पर कब्जा कर लिया. देखा जाए तो बकौल मौलाना मदनी के भारत के 80 फ़ीसदी मुसलामानों के साथ ठगी हो गयी. मेरे विचार से बंटवारे के इतिहास के पन्नों को एक बार फिर से खंगाला जाना चाहिए, और भारत में ही रह गए मुसलामानों को पाकिस्तान के द्वारा हथिया लिए गए भू-भाग को वापस लिया जाना चाहिए. 

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