येडा बनकर पेढ़ा खाने में मास्टर डिग्री प्राप्त नेता हैं आप मुखिया अरविन्द केजरीवाल

अरविंद केजरीवाल के माफ़ी मांगों अभियान के बाद कुछ देर के लिए मैं पास्ट(भूतकाल) में चला गया. कुछ बड़ा पाने के लिए दिल्ली के मुख्यमंत्री लीक से हटकर काम करने के लिए तैयार रहते हैं. दिल्ली की शीला दीक्षित सरकार के खिलाफ जब विधानसभा चुनाव में उतरे तो उनके खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोप लागाये थे. इस चुनाव में बहुत अच्छा न कर पाने के कारण बहुमत नहीं मिला था. जिसके चलते आम आदमी पार्टी के मुखिया अरविन्द  केजरीवाल चुनाव लड़े थे, उसी पार्टी के समर्थन से दिल्ली में पहली बार सरकार बना ली. सत्ता संभालने के कुछ महीने बाद 2014 के लोकसभा चुनाव की तारीखें आ गयी तो केजरीवाल मुख्यमंत्री से भी बड़ा पद पाने की जुगत में लग गए और ये प्रचारित करने लगे कि समर्थन से बनायी सरकार काम नहीं कर पा रही है और केंद्र की सत्ता के चक्कर में दिल्ली के मुख्यमंत्री पद को 49 दिन में त्याग कर लोकसभा की तैयारी में जुट गये. इसके पीछे सोच थी कि अन्ना हजारे के जन आन्दोलन के कारण देश में वो अपनी पहचान बना चुके हैं, इन उम्मीदों पर नरेंद्र मोदी ने पानी फेर दिया. आप ही नहीं सभी दलों को जोर का झटका देते हुए मोदी ने केंद्र में पूर्ण बहुमत की सरकार बना ली. केजरीवाल को जितनी सीटों की उम्मीद रही होगी उसके विपरीत मात्र 4 सीटें ही हासिल कर पाए. बड़े के चक्कर में दिल्ली का मुख्यमंत्री पद भी चला गया था. एक साल के अन्दर दिल्ली के विधानसभा चुनाव होने ही थे तो ये सोच कर आप मुखिया एक बार फिर से चुनाव मैदान में आ डटे. इसी के साथ अपने चुनाव प्रचार में दिल्ली की जनता से ये कह कर कि माफ़ी मांगने लगे कि हमने कांग्रेस के समर्थन से सरकार नहीं चलाई इसके लिए दिल्ली के लोग माफ़ कर दें. यहीं से केजरीवाल के राजनीतिक जीवन में पहली और माफ़ी मांगने की शुरुआत थी. दिल्ली की जनता इनके झांसे में आ गयी और अन्ना के जन आन्दोलन से मिले ईमानदार के तमगे के साथ एक बार फिर से जनता ने प्रचंड बहुमत देते हुए. आम आदमी पार्टी की झोली में 70 में से 67 सीटें इनकी झोली में डाल दी थीं. इसके बाद इनकी जनता के लिए काम न करने के कारण जब फजीहत होने लगी तो ये प्रचारित करना शुरू कर दिया की केंद्र की मोदी सरकार हमें काम नहीं करने दे रही है. स्वघोषित ईमानदारी का तमगा लटका कर बीजेपी के किसी भी नेता पर भ्रष्टाचार का आरोप लगाने से नहीं चूके. मोदी सरकार में वित्तमंत्री अरुण जेटली पर डीसीए में किये घोटाले पर उन्हें घेरने का प्रयास किया. कुछ न साबित कर पाने पर जेटली ने इन पर  मानहानि का दावा ठोंक दिया. इसी बीच पंजाब और गोवा के विधानसभा चुनाव होने थे. पंजाब में लोकसभा की चार सीटों ने उत्साह भर दिया था. जिसके चलते सीटों के मामले में छोटे राज्य पंजाब और गोवा में चुनाव लड़ने का मन बनाया. पंजाब के विधानसभा चुनाव में उतरने के लिए बनाए घोषणा-पत्र की बुकलेट के मुख पृष्ट पर जनता को पटाने के स्वर्ण मंदिर के साथ झाडू की फोटो छाप दी. जिसके कारण सिख समुदाय में खासी नाराज़गी पैदा हो गयी. बाज़ी उलटी पड़ती जानकार तुरंत केजरीवाल ने लोगों से माफ़ी मांग ली ये शायद इनकी राजनीतिक जीवन की दूसरी माफ़ी थी. इसके पीछे ये सोच थी कि दिल्ली की जनता की तरह पंजाब के लोग भी माफ़ करते हुए यहाँ की सत्ता इन्हें सौंप देंगे. पंजाब विधानसभा के चुनाव के दौरान आकाली दल के नेता मजीठिया पर ड्रग बिकवाने का आरोप मढ़ दिया था. इसके बावजूद गोवा और पंजाब में सत्ता के आस-पास भी नहीं पहुँच सके. हाल ही में मजीठिया से अपने लगाए आरोप के लिए तीसरी माफ़ी मांग ली. आप मुखिया ने एक बार फिर से लोकसभा 2019 में माफ़ी मांगों, सत्ता पाओ की सोच के तहत माफ़ी मांगों अभियान की शुरुआत कर दी है. ताकि अगर केंद्र में खिचड़ी सरकार आती है तो 20-30 सीटें हासिल करके के बड़े पद का जुगाड़ लग जाए. इसी उम्मीद के चलते  गडकरी से चौथी और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता कपिल सिब्बल से माफ़ी पांचवीं माफ़ी मांगी है. अब मिस्टर क्लीन कितना क्लीन रहते हैं या क्लीन बोल्ड हो जायेंगे ये आने वाला वक़्त ही बतायेगा. फिलहाल केजरीवाल का सफ़र ए माफ़ी ज़ारी है. जिसका अभी कोई अंतिम पड़ाव नज़र नहीं आ रहा है. अब तो जनता भी इनके बारे में समझ गयी है कि ये येडा बनकर पेढ़ा खाने में मास्टर डिग्री प्राप्त नेता हैं.

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