पाकिस्तानी हीरो अली जफ़र का महिला कलाकारों के यौन शोषण और छूने का मामला : इस छुई-छुव्वल गेम पर अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर नियम बनाये जायें

शान्ति दूतों के देश पाकिस्तान में लम्पट कलाकार अली ज़फर नाम के शान्ति दूत कलाकार ने गायिका मीशा सफी नामक दो बच्चों की माँ पर एक नहीं कई बार हाथ साफ कर दिया. इस के बावजूद पाकिस्तान के हुक्मरान और मीडियाकर्मी सन्नाटा खींचे हुए हैं. छी...क्या यार इन पाकिस्तानियों का हर स्तर पर स्तर गिरता जा रहा है. स्तर को ऊपर उठाने की जगह ये पाकिस्तानी और अधिक गिर चुके हैं. बीते माह इनका शान्ति दूत प्रधानमंत्री अमेरिका गया तो वहां उसकी एयरपोर्ट पर पैन्ट उतरवा ली. इसके बावजूद अपने आचरण को सुधारने की जगह एक शांति दूत आशिफा मामले में इधर ताक-झाँक करके नकली टेसुवे बहा रहा था. उसके पूर्व  कोई क्रिकेट खिलाड़ी भी कश्मीर को लेकर बहुत तनाव में था. उसकी बातों से लग रहा था कि कहीं उसको दिल सीने से निकल के कश्मीर में न आ गिरे. कुछ इसी तरह की हालत इन पाकिस्तानियों की हो चुकी हैं. पाकिस्तान सरकार उधारे की ज़िन्दगी जीने के बाद भी भारत में अगल-बगल झाँकने के साथ अपना मिलान करने में जुटे रहते हैं. बेचारी पाकिस्तानी अवाम दाल में टमाटर के तड़के के लिए परेशान है. उसे हरियाली ये दिखाते हैं कि पाकिस्तान में भारत के मुकाबले पट्रोल बहुत सस्ता है. जैसी कचरा दिमाग पाकिस्तान सरकार है, उसी तरह जनता को भी बना दिया है. जनता जनार्दन को चाहिए कि अपने हुक्मरानों से कहें कि सस्ते पट्रोल से गाडी तो चल सकती है लेकिन 300 रूपये किलो के टमाटर से दाल में तड़का कैसे लगाएं. ऐसा नहीं है कि सारे गधे उधर ही पाए जाते इधर भी मिलते हैं, जो पट्रोल महँगा होते ही, पट्रोल लगे आदमी की तरह चिल्लाने हैं. इस बात को नहीं समझते कि भारत में 10 रुपये किलो जो टमाटर बिक रहा है वो पाकितान में 3 रुपये में बिक रहा है, तो इधर से टमाटर लेकर उधर जाओ और उधर गाडी की टंकी पट्रोल या डीजल से फुल कर के इधर वापस आ जाओ और फर्राटे भरो. अब देखिये कितना अंतर है इनकी और हमारी सोच में, पाकिस्तान की फिमेल सेलिबिटीयां अपने साथी कलाकार पर हाथ साफ करने का आरोप लगाती हैं. सही बात भी है, ऐसा फिल्म लाइन में महिलाओं के साथ सभी देशों में होता है. लेकिन हमारे देश की सेलेब्रिटीयां हाथ साफ़ तो करवा लेती हैं, लेकिन दूसरे के कथित शोषण पर हाथों में तख्तियां लेकर ऐसे खड़ी हो जाती हैं, मानो साक्षात गंगा नदी जैसी पवित्र. कुछ लोगों का मानना है कि ये बेचारियाँ जब भौकाल कम हो जाता है तो कुछ इसी तरह का करके धन और इच्छाओं की पूर्ति इसी तख्ती प्रदर्शन से कर लेती हैं. हाल ही में किसी सेलिब्रिटी ने भारत के वीर जवान पर आरोप लगाया कि वो मेरे स्तन की तरफ घूर-घूर के देख रहा था. इस सेलिब्रिटी को कैसे समझ में आया कि वो जवान स्तनों को सेक्स की द्रष्टि से घूर रहा था, हो सकता हैं वो बेटे की द्रष्टि से देख रहा हो. कितनी अजीब सी बात है कि पडोसी और हमारे देश का माहौल में कितना अंतर है. शान्ति दूतों का देश होने के बावजूद वहां की सेलिब्रिटी अपने यौन शोषण की बात को उठाने से गुरेज़ नहीं करती हैं, जैसा कि मीशा-जफ़र के मामले में हुआ है. मीशा सफी के समर्थन में एक अदद पत्रकार और मेकअप कलाकार उतर आये. एक ने अली जफ़र पर बोट पार्टी में चुंबन लेने का प्रयास कर रहे थे कहा तो दूसरी ने कहा कि सेल्फी के दौरान मुझे गलत तरीके से छू रहे थे. पहली बार पता चला है कि सही तरह से और गलत तरीके से भी छुआ जाता है. अच्छा ही रहा ये सही गलत तरीके से छूने वाली बातें हम लोगों के स्कूल लाइफ़ के दौरान नहीं थीं, वरना छूई-छुव्वल के चक्कर में सभी दोस्त जोकि अति नाबालिग होने के बावजूद कई-कई बार जेल यात्रा कर चुके होते. अब पाकिस्तानी विदेश मंत्री और क्रिकेटर शाहिद अफरीदी को चाहिए कि इन सभी मोहतरमाओं के साथ जो छूई-छुव्वल गेम अली जफ़र ने खेला है. उन्हें न्याय दिलाने के लिए अपने आका हाफिज सईद से कहें. अगर ये बात बेरोजगार बैठे यूएन तक पहुँच गयी तो वो टीम समेत जाँच के लिए पाकिस्तान न पहुँच जाए.  इन दोनों कलाकारों की तस्वीर देखने के बाद समझ में आ गया कि ये अली ज़फर पहले कबाड़ी का काम करता होगा.



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