अब समझ में आया क्रेज़ शब्द का अर्थ

अक्सर लोग एक शब्द 'Craze' को बोलते हैं. यह शब्द ज़्यादातर किसी फिल्म के सुपर हिट कलाकार के लिए बोला जाता हैं. कई दशक पहले लोग इतना चिल्मी किस्म फ़िल्मी नहीं होते थे. लेकिन दशक बीतते-बीतते मुंबई की मायानगरी में बदलाव आने के साथ फिल्मों को बनाकर धन कमाने वालों में होड़ सी मच गयी. इस 'Craze' शब्द की शुरुआत सुपर स्टार स्वर्गीय राजेश खन्ना के आने के बाद हुई. राजेश खन्ना ने रोमांटिक हीरो के रूप में कई सुपर हिट फ़िल्में दी. इसी दौरान में जब भी 'Craze' शब्द बोला जाता तो देव आनंद का नाम भी शामिल  किया जाता था. राजेश खन्ना के आने के पहले उस समय देव आनंद का दर्शकों में जबरदस्त 'Craze' हुआ करता था. खास कर लड़कियों के दिल में उनकी मज़बूत पैठ हो गयी थी. फिल्म  कलाकारों पर लिखने वाले देव आनन्द पर लिखते थे कि नीले सूट में देव आनंद को देखकर हर उम्र लड़कियां पागल हो जाती थीं. ऐसा ही कुछ राजेश खन्ना को भी लेकर कहा जाता था. उनके लिए दीवानी लड़कियां उनका नाम अपने शरीर पर गुदवा लेती थी. युवकों में भी उनके जैसा हेयर स्टाइल, सफारी सूट आदि को अपनाने की होड़ सी मच गयी थी. कोई भी मूवी हॉल में लगती थी तो दर्शकों की लम्बी लाइन टिकट खिड़की पर जुट जाती थी. हफ्ते भर की टिकट बुक हो जाती थी. ऐसा नहीं है कि देव आनंद और राजेश खन्ना के समय में बेहतरीन कलाकार न रहे हों. मौजूद थे लेकिन जो शोहरत देव आनंद और राजेश खन्ना ने लोगों के बीच पाई वो किसी भी कलाकार ने नहीं पायी थी. राजेश खन्ना के समकालीनों अमिताभ बच्चन भी रहे लेकिन लोगों में उनके प्रति दीवानगी नहीं देखी गयी, इसकी वज़ह शायद यह हो सकती है कि अमिताभ रोमांटिक हीरो के स्थान पर एंग्री यंग मैन के रूप में हर वर्ग को स्वीकार रहे. अमिताभ बच्चन लोगों में विशेष इस मायने में रहे कि उन्होंने रोमांटिक रोल में न जमने के बाद भी कॉमेडी और ट्रेजिडी रोल बेहतरीन तरह से निभाये थे. आज अमिताभ महानायक के रूप में अपने को स्थापित कर चुके हैं.  'Craze' शब्द क्यों लिखा उस पर बात करते हैं. कोई भी व्यक्ति अगर ऐसी हरक़त कर दे जिसकी उम्मीद न की जाए तो उसे क्रेजी कह देते हैं. अगर 'Craze' का अर्थ देखा जाए तो सनक, बावलापन, पागलपन, उन्माद आदि होते हैं. फिल्म के हीरो के लिए ये शब्द तारीफ़ में लिखे जाते हैं. लेकिन इसको राजनीतिज्ञ को देखते हुए लिखा  या बोला जाए तो आज़ादी के पहले महात्मा गाँधी का आम लोगों में ज़बरदस्त क्रेज़ था. उनकी एक आवाज़ पर पूरा देश उठ खड़ा होता था. देश ही नहीं विदेश में भी उनके फालोवर और चाहने वालों की कमी नहीं थी. इस बात को हॉलीवुड के निर्माता सर रिचर्ड एटनबरो अपनी गांधी मूवी के माध्यम से सिल्वर स्क्रीन पर दिखाया है. भारत ने 1 हज़ार साल की गुलामी से निकलने के बाद 70 साल के स्वतंत्र भारत में करीब 4 साल पहले स्टेशन पर चाय बेचने वाले जैसे ही अपने कदम रखे, देखते ही देखते आम और ख़ास लोगों में में दिखायी दे रहा है.  नरेंद्र मोदी के पीएम बनने के बाद आज इस 'Craze' शब्द ने अपना सही अर्थ जाना है. अगर देखा जाए तो देश में सभी लोगों में प्रधानमंत्री के रूप में नरेंद्र मोदी का ज़बरदस्त 'Craze' है. इसका इस बात से अंदाजा लगाया जा सकता है कि पीएम मोदी को मानने वालों को चमचा या चाटुकार कहने के स्थान पर मोदी भक्त कहा जाता है. इसको इस बात से समझा जा सकता है कि 2014 से लेकर अब तक पीएम मोदी राज्यों फतह करते चले जा रहे हैं और जनता उन्हें  इस जीत में भरपूर समर्थन दे रही है. आम लोगों के इस प्यार का प्रधानमंत्री मोदी ने भी गलत  फायदा न उठाया न दूसरों को उठाने दे रहे हैं. उनके गुडवर्क के कारण 70% लोगों में 'Craze' है. बाकी के 30  प्रतिशत विरोधी आज इस 'Craze' शब्द को सही अर्थ दे रहे हैं इन विरोधियों में उन्माद, पागलपन, बावलापन सनक आदि देखने को मिल रही यही इस 'क्रेज़' शब्द का सही अर्थ है. जैसे भी हो मोदी को नीचा दिखाने के लिए विरोधियों में उन्माद('Craze') देखा जा सकता है. अगर कहीं पर विरोधी जीत जाते है तो पागलपन( 'Craze') की  हद तक खुश होने लगते है. सभी विरोधियों की बातों और हरक़तों बावलापन('Craze') देखा जा सकता . देश और समाज के लिए कुछ भी अच्छा न करने के बाद भी गठबंधन करके पीएम मोदी को उखाड़ फैंकने की सनक ('Craze') सवार है. इस 'Craze' शब्द अर्थ में बीजेपी के नेता और सांसद शत्रुघ्न सिन्हा पागलपन और बावलेपन की हरक़तों के चलते एकदम फिट बैठते है. कई दशकों से क्रेज़ और क्रेज़ी शब्द का अर्थ जानने की उत्सुकता इसलिए थी कि किसी अच्छे इंसान को मानने में 'Craze' कैसे  सकता है जबकि 'Craze'का अर्थ पागलपन,उन्माद बावलापन, सनक आदि होता है. कुल मिलाकर  'Craze' शब्द का यह निचोड़ निकला कि किसी नेक दिल इंसान           के प्रति अच्छी और बुरी सोच रखने वालों को क्रेजी ही कहा जाएगा.



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