फिल्म कलाकारों को राष्ट्रीय मुद्दे पर बोलने से पहले अपने गंदे गिरहबान में झाँक लेना चाहिए
राष्ट्रीय मुद्दों पर अक्सर बॉलीवुड के कलाकारों को फ़ालतू की बातें करते ही देखा है. शाहरूख खान, सलमान खान, आमिर खान, महेश भट्ट, रणवीर सिंह, ऋषि कपूर अनुराग कश्यप आदि कई बार विवादों में घिरते रहे हैं. आज कल एक ट्वीटर नाम की बीमारी फैली हुई है. फेस बुक जैसी महामारी इससे थोड़ा पहले ही फ़ैल चुकी थी, ट्वीटर पर अक्सर कुछ स्वघोषित पत्रकार गिरोहबंद तरीके से कुछ भी लिखकर गालियाँ खाते हैं और पेट पालने (मौज-मस्ती की ज़िन्दगी जीने के लिए) के बहाने मोटा माल समेटते रहते हैं. हाल ही में जम्मू के कठुआ में जो हुआ क्या सच है क्या झूठ है में न जाकर इन फ़िल्मी लोगों की भूमिका की बात करूंगा. पहले करीना कपूर खान फिर स्वराभास्कर और एक कोई और हिरोइन ने तख्ती पकड़ कर कर राष्ट्रीय शर्म की बात कही थी. इन फ़िल्मी कलाकारों को यह गलतफहमी कैसे हो गयी कि लोग इन्हें कोई महान हस्ती मानते हैं. संरक्षित काले हिरन को मारने वाले, हिट एंड रन का केस कर चुके, एके-47 रखने जैसी घटनाओं में जेल जाने वाले इन कलाकारों को ये गलतफहमी कैसे हो गयी कि जो लोग इन्हें रुपहले पर्दे पर देखने के लिए 5 सौ रुपये का टिकट लेते हैं. इनके फालोवर हैं. इन सभी कलाकारों को ये बात अच्छे से समझ में आ जानी चाहिए, वो ये कि ये सब मूवी देखने वाले दर्शकों के लिए मात्र मनोरंजन का साधन हैं. ज़्यादातर लोग जानते हैं कि फिल्म बॉलीवुड जितना सुनहरा और चमकदार दिखता है उसके अन्दर कहीं ज़्यादा अँधेरा भरा हुआ है. तेज़ रौशनी में अपनी एक्टिंग को अंजाम देने वाले ये कलाकार लाइटों के पीछे के अँधेरे को कभी नहीं देख पाते हैं. अगर देख लेते तो कभी भी राष्ट्रीय समस्याओं पर तख्ती या सस्ती बयानबाज़ी करने से बचने का प्रयास करते. जिनका जीवन फूहड़ संवाद एक्टिंग, अश्लील फोटो छपवा कर सस्ती लोकप्रियता के लिए बीता है, ताकि ये कम समय में ज्यादा प्रसिद्धि पा सकें को टिकट खरीदने वालों से इससे ज़्यादा की उम्मीद नहीं करनी चाहिए. सभी को याद होगा दिल्ली का निर्भया बलात्कार काण्ड. इस दिल दहला देने वालिओ घटना में निर्भया के साथ 6 लोगों बर्बरतापूर्वक बलात्कार करने के बाद एक बलात्कारी ने निर्भया के लोहे की रॉड घुसेड़ने जैसी वारदात को अंजाम दिया था, तब इन फ़िल्मी लोगों को अगर सच्ची राष्ट्रीय महसूस हुई होती तो निर्भया बलात्कार और हत्या के बाद से आज तक मासूमों और महिलाओं के साथ देश भर में 1 लाख 75 हज़ार बलात्कार न होते और इन घटनाओं को रोकने के लिए सरकार पहले ही कोई सख्त क़दम उठा लेती. सभी जानते हैं कि शॉर्टकट से धन और शोहरत कमाने वाले कितने तन और मन के उजले हैं. हॉलीवुड फिल्मों की फोटो कॉपी का हिंदी संस्कार बनाने वाले महेश भट्ट को सभी लोग जानते हैं. महेश भट्ट और इनकी बेटी पूजा भट्ट ने आज से करीब 2 दशक पहले सुर्खियाँ बटोरने के लिए इतना निचे गिर गए थे कि आज बीस साल बाद भी कोई बाप सोच कर ही थरथरा जाए. पूजा भट्ट और महेश भट्ट ने एक मैगज़ीन के लिए बेहद बोल्ड पोज दिया था। इस मैगज़ीन कवर पेज पर पूजा भट्ट अपने पिता महेश भट्ट की गोद में बैठी हुई है और दोनों एक दूसरे के होंटों पर kiss कर रहें हैं। ये kiss काफी बोल्ड था। हिंदुस्तान तो क्या, बाप-बेटी की ऐसी तस्वीर किसी ने कभी विदेशों में भी नहीं देखी थी। इस तस्वीर को देखने के बाद खूब हंगामा मचा था। लोग बाप-बेटी के रिश्ते पर भी सवाल उठाने लगे थे। इस मामले ने और भी तूल तब पकड़ा जब महेश भट्ट ने कह दिया कि अगर पूजा भट्ट उनकी बेटी नहीं होती तो वो उससे शादी कर लेते, क्या कोई बाप अपनी के लिए ऐसे शब्द बोल सकता है? जी हाँ एक पिता के मुंह से अपनी बेटी के लिए ऐसे शब्द किसी ने कभी नहीं सुने थे। दोनों की तस्वीर ने अगर लोगों के मन में आग लगा दी थी तो महेश भट्ट के इस स्टेटमेंट ने आग में घी डालने का काम किया। आज यही पूजा भट्ट कठुआ पर मौन रहने पर महानायक अमिताभ बच्चन से सवाल कर रही हैं. इन्हें की अपने आचरण में सुधार लाना चाहिए था. फ़िल्मी लोगों में बेटी के प्रति बाप ऐसा घटिया नजरिया हो सकता है, लेकिन रियल लाइफ में कोई भी व्यक्ति बेटी के साथ kiss या शादी करने की बात नहीं कर सकता है. कुछ इस तरह की है स्पॉट लाईट के पीछे की फ़िल्मी दुनिया. जो हीरोइनें कुछ रुपयों के लिए अंग पर्दर्शन करती हैं यह बात हर कोई जनता है, इन्हें चाहिए कि रुपहले पर्दे तक ही सीमित रह कर फ़िल्मी दुनिया से बाहर आने का प्रयास न करें. सभी मेल फीमेल कलाकारों को चाहिए कि सबसे पहले अपने अन्दर भरी गंदगी को साफ़ करें तो समाज भी अपने आप साफ़ हो जाएगा.



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