आतंकवादियों के सरगना हाफ़िज़ सईद को पाकिस्तान की लाहौर कोर्ट ने बताया समाज सेवक..!

जैसा देश, वैसे लोग और वैसा ही क़ानून भी है. एक पड़ोसी मुल्क है पाकिस्तान,जहां भ्रष्टाचार के चलते आम लोग भुखमरी की कगार पर पहुँच चुके हैं. वहां की न्याय व्यवस्था को इनकी चिंता नहीं है, लेकिन संयुक्त राष्ट्र द्वारा घोषित आतंकवादियों की लिस्ट में शामिल आतंकी सरगना हाफ़िज़ सईद की लाहौर हाई कोर्ट को बहुत चिंता है. लाहौर हाई कोर्ट के इस अनोखे फैसले में कहा कि हाफ़िज़ सईद को समाज कल्याण के कार्य करने से न रोका जाए, न उन्हें परेशान किया जाए. अगले आदेश तक इस निर्देश का पालन किया जाए. पढ़ कर हंस आ रही है कि जिस दुर्दांत को संयुक्त राष्ट्र ने समेत ज़्यादातर देश आतंकवादी घोषित कर चुके हैं, उस को पाकिस्तान की न्याय व्यवस्था मेमने का बच्चा बता रही है. लगता है पाकिस्तान में समय से पहले ही ज्यादा गर्मी पड़ने लगी है.लगता हीट स्ट्रोक से इन लोगों के दिमाग पर असर पड़ा है. रोज-रोज कोई न कोई पाकिस्तानी मूर्खतापूर्ण और हताश व्यक्ति की तरह बयान देता सामने आ रहा है कुछ दिन पहले क्रिकेटर शाहिद अफरीदी ने आतंकवादियों के मारे जाने पर ट्वीट किया कि कश्मीर के हालात बेचैन करने वाले है. इस  बयान के बाद पाकिस्तान सरकार के  विदेशमंत्री ने फिल्म स्टार सलमान खान को पांच साल जेल की सज़ा पर बोले कि वो मुसलमान थे, इसीलिए उसको सज़ा हो गयी. और अब पाकिस्तान के न्याय व्यवस्था ने बयान दे डाला कि हाफ़िज़ सईद को परेशान न किया जाए. अगर इन सारे बयानों को घोटा जाए तो समझ में आ सकता है कि न बयानों से भारत सरकार को घेरने की साज़िश है. क्यों और किसके इशारे पर इसे सभी अच्छे से हैं. यूएन ने जिसे आतंकवादी घोषित किया है, उसको पाकिस्तान की न्याय व्यवस्था समाजसेवी बनाये दे रही है. दुनिया में कुख्यात हाफ़िज़ सईद अपने आप में एक नाम बन चुका है को पाकिस्तान की कोर्ट पाक-साफ़ तब बता रही है जबकि उसे खुद ही नज़रबंद किये जाने का आदेश दिया था. इस खत्म करते हुए उसको पूरी छूट दे दी गयी थी कि वो कहीं भी आ जा सकता है. इसके  चलते हाफ़िज़ सईद ने बुलंद हौसलों के साथ चुनाव लड़ने और प्रधानमंत्री बनने में जुटा हुआ है. इसे भी अन्य पाकिस्तानी नेताओं की तरह यह बात समझ में आ चुकी है कि भारत का विरोध करने वाले नेता को पाक में भरपूर जनसमर्थन मिलता है. चाहे देश के हालत बद से बदतर क्यों न हों. लेकिन पाकिस्तान की जनता इतनी वतन परस्त होने के बाद भी इनके झंदाबरादार कोई सुध नहीं लेते हैं कटोरा लेकर देश-देश घूमने के बाद जो मिलता है, उसमें बन्दर बाँट करके के अपना बैंक बैलेंस बढ़ाते रहते हैं. इधर जनता क़र्ज़ में डूबती जाती है. पाकिस्तान सरकार पुरजोर कोशिश में है कि किसी तरह से पाकिस्तान की अवाम के अच्छे दिन न आ पाए. इसी के चलते देश के बदतर हालातों से जूझते पाकिस्तान के नेता बीच-बीच भारत की तरफ मुंह करके एक सुर सियारों की आवाजें निकालने लगते हैं, वहां की जनता भी इस पर हाँ में हाँ मिलाने लगती है कि नेताओं करे बताये अनुसार कहीं भारत हमला करके एक और बांग्लादेश न बना दे. इसीलिए बेचारे 300 रूपये किलो का टमाटर खाने को मज़बूर हैं. पाकिस्तानी नेताओं की बयानबाजी में भारत के हालातों पर चिंता जताने का मक़सद कुछ अपना और कुछ यहाँ के राजनीतिक दलों जो घर फूंक तमाशा देखने के आदि हो चुके हैं को नफ़ा दिला सकें, भारत में लोकसभा चुनाव नजदीक देख पाकिस्तान का राग ए भारत विरोध चालू हो चुका है, अब  ये अपने भेजे आतंकवादियों को भी मासूम बताने लगा है. ये बात लाहौर कोर्ट के फैसले से समझी जा सकती है. पाकिस्तान में जैसा माहौल बनया जा रहा है, उसे देख कर ऐसा लगता है कि पाकिस्तान की न्यापालिका, कार्य पालिका और विधायिका मिलकर हाफ़िज़ सईद को नॉबेल शान्ति पुरस्कार दिला कर मानेगी और मरणोपरांत इसे राष्ट्रपिता न घोषित कर देगी.
     

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