अब सख्ती के चलते आरटीओ के दलालों का रिस्क बढ़ जाने से दलाली भी बढ़ जायेगी

प्रदेश की योगी सरकार ने आरटीओ कार्यालय को दलाल मुक्त बनाने के लिए कार्यालय के बाहर लाउडस्पीकर के ज़रिये दलालों दूर रहने की बात कह कर जागरुक किया जाएगा. पढने में सभी को सुखद अनुभूति होगी. इसके प्रदेश सरकार के परिवहन मंत्री को भी अच्छा लगेगा कि योगी सरकार ने एक ईमानदार पहल की है. आरटीओ ऑफिस के बाहर लाउडस्पीकर लगाकर दलालों से सावधान रहें कहने से क्या फायदा, जब दलाल आरटीओ विभाग के चपरासी से लेकर कुछ अधिकारियों के बगल में बैठते हों. अगर तर्क ये है कि कोई भी विभागीय व्यक्ति ऐसी स्थिति में पाया गया तो उसे निलंबित कर जांच की जायेगी. बस यहीं पर झोल है, क्या जांच करने वाला व्यक्ति इतना निष्ठावान होगा जोकि ईमानदारी से जांच को अंजाम दे सकेगा. ये कडुआ सत्य है कि जितनी ज़्यादा सरकारी विभागों में कड़ाई की जाती है उतना ही अधिक करप्शन बढ़ता है. कुछ समय पहले तक आरटीओ जब भ्रष्टाचार से पीड़ित था, तब सभी लोग कम पैसे में अपना काम चला लेते थे. जैसे ही आती-जाती प्रदेश की सरकारों ने नये-नये क़ानून बनाये, उसी के अनुरूप विभाग के कर्मचारियों ने कमाने के फंडे खोज लिए. एक सज्जन आरटीओ अपने स्कूटर का ड्राइविंग लाइसेंस रिन्यूवल कराने गए, मंत्री महोदय के ऑफिस से पहले ही फोन करवा दिया था. जैसा की होना था. उसी के हिसाब से उनकी सेवा हुई. आरटीओ कहाँ मंत्री जी के आदेश का उल्लंघन कर सकते थे. तुरंत अधिकारी महोदय ने पीए के माध्यम से किसी को बुलाकर डीएल रिन्यूवल का काम सौंपने के लिए कहा. आनन-फानन में एक बन्दा आया उसने झटपट उनका रिन्यूवल फ़ार्म घर दिया. कागज़ी कार्रवाई के बाद उन्हें दूसरे दिन डीएल लेने के लिए बुलवाया गया. डीएल मिल गया, ऐसा होना ही था. लेकिन उन्होंने एक बहुत ही रोचक बात ये बतायी कि जिसने उनका डीएल रिन्यूवल फार्म भरा था. वो कोई कर्मचारी नहीं, वहां का दलाल था. जब आरटीओ साहब ही दलाल भरोसे हैं तो कैसे दलाल मुक्त हो पायेगा. बाबुओं से मज़बूत सेटिंग होती है. सब दलालों के अपने कोड हैं. इन्हें डीकोड करना बहुत ही मुश्किल है. इसके अलावा भी बहुत सी समस्याएं है जो जनता के शोषण को बढ़ावा देती हैं. आरटीओ के बाहर एक झोला छाप डॉक्टर भी बैठा रहता है जो बीस रुपये में फिटनेस सर्टिफिकेट देता है. ये समझ से परे है कि स्कूटर चालाने के लिए फिटनेस सर्टिफिकेट इतना ही ज़रूरी है तो किसी भी झोलाछाप डॉक्टर का दिया सर्टिफिकेट आरटीओ में क्यों चलता है. ऐसा अज से नहीं कई दशकों से चल रहा है. जितनी ज्यादा जिस सरकारी विभाग में सख्ती होती है उतना ही अधिक इन लोगों के दाम बढ़ जाते है. ये सख्ती के बाद ज्यादा पैसे लेने की बात पर कहते है यार अब रिस्क बढ़ गया है. अब इस रिस्क से कैसे निपटेंगे परिवहन विभाग के मंत्री बाद में ही पता चलेगा.
     

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