एग्जिट पोल के आंकड़े बता रहे, कर्नाटक में सरकार बीजेपी की बन रही है
रात को खाते समय न्यूज़ सुनने के लिए चैनल लगाया तो चैनलों में कर्नाटक के एग्जिट पोल पर कार्यक्रम चल रहे थे. सभी चैनल के एंकर गंभीर मुद्रा में इस बात पर मंथन कर रहे थे कि राज्य में मोदी को राहुल कड़ी टक्कर दे रहे हैं. सभी कांग्रेसीजन इस बात से इतने उत्साहित दिख रहे थे कि मानो कांग्रेस सरकार बना रही है. क्या यार अब कांग्रेस हालत इतनी खस्ता हो चुकी है कि बीजेपी के पूर्ण बहुमत पाने के बाद भी इसमें ख़ुशी खोजने लगते हैं. जैसा की गुजरात विधानसभा चुनाव में देखने को मिला था. जाति के आधार पर तीन छुटभैय्ये नेताओं को लेकर चुनाव में उतरी, उसके बाद भी बीजेपी से गुजरात की सत्ता न छीन सके और मोदी के गृह राज्य में पांचवीं बार बीजेपी ने पूर्ण बहुमत से वापसी कर ली. इसी में इन कांग्रेसियों ने राहुल गांधी को खुश करने के लिए कहना शुरू कर दिया कि बीजेपी को राहुल ने 99 पर ही रोक लिया. अब इन कांग्रेसियों को कौन समझाए कि बीजेपी ने पूर्ण बहुमत से 7 सीटें अधिक जीती हैं. क्या इन्हें लगता था कि बीजेपी 150 सीटें जीतेगी. अरे कुछ तो अपनी पुरानी पार्टी का मान रखो. हार, हार होती है और जीत, जीत होती है. चाहे एक सीट कम होने पर भी सरकार बन जाए. लगता है कांग्रेस की हालत भारत की 30-35 साल पुरानी क्रिकेट टीम जैसी हो गयी हैं, जो सभी देशों से लगातार टेस्ट सीरिज हारती रहती थी. कभी किसी टेस्ट सीरिज में एक भी मैच जीत लेती थी तो टीम समेत सारा देश खुश हो जाता था कि एक मैच तो जीत लिया. एक न्यूज़ चैनल पर एग्जिट पोल के दौरान एक कांग्रेसी बंदा इतना उत्साहित दिख रहा था कि सिद्धारमैया फिर से सरकार बनाने जा रहे हैं. बैठकर यही बातें छौंक रहा था कि लच्छेदार बातों से जनता वोट नहीं देगी. और अपने 15 लाख के लिए वो मुफ्तखोर रोने लगा. बड़ा तरस आता है कांग्रेस की इस हालत पर कि अब उसके पास कोई ढंग का नेता नहीं बचा है जो पार्टी की बात को जनता इ सामने मज़बूती से रख सके. 15 के लिए रोते-रोते कांग्रेस 10 चुनाव हार गयी. नोटबंदी रो सर्जिकल स्ट्राइक पर रोते-रोते एक दर्ज़न चुनाव हर गयी. हद तो तब हो गयी जब जीएसटी के लिए रोई तो दो दर्ज़न चुनाव हराने का आंकड़ा पार कर लिया. इसके बावजूद बेचारे जनता के पास इन मुद्दों को लेकर जाते रहते हैं कि हो सकता है ह्रदय परिवर्तन हो जाए और पंजे का बटन दबने लगे. कर्नाटक की बुरी तरह हारे या अच्छी तरह(नेक-2-नेक फाईट) में हारे, इसके बाद कांग्रेस में बचे-खुचे वरिष्ठ नेताओं को चाहिए कि आत्म मंथन इस बात पर करे कि अगर हम भी जनता के लिए अच्छे कार्य करें और तब वोट मांगें तो जीतने का हक बनता है. कांग्रेस को अभी से तय कर लेना चाहिए कि 15 मई आने वाले जीत या हार के नतीजों पर संजीदगी से मंथन करना है, तभी लोकसभा चुनाव-2019 में अच्छा करने की उम्मीद रखनी चाहिए. ये नहीं कि नेक टू नेक फाइट में हारने के बाद राहुल गाँधी और उनकी माँ सोनिया गाँधी को खुश करने के लिए ये कहना न शुरू कर दें कि अब राहुल स्थापित होते जा रहे हैं. ये बात कांग्रेस और राहुल गाँधी दोनों के लिए दूध में पड़ी मक्खी को इलायची समझ के खाने जैसा काम हो जायेगी.अगर कर्नाटक में हारने के बाद कांग्रेस संभल गयी तो ठीक है वरना उसे डूबने से कोई नहीं बचा पायेगा.




Comments
Post a Comment