कांग्रेस और जेडीएस को नैतिकता की बात करने से पहले खुद की गयी अनैतिकता पर भी सोचना चाहिए
एक बहुत रोचक कहानी आपको पढ़ता हूँ. गाँव में एक सम्पन्न परिवार रहता था. उनके घर में धन की कमी नहीं थी. परिवार के सदस्यों ने बेहिसाब दौलत हर बुरे हथकंडों से कमायी थी. पूरा परिवार ऐशो आराम की ज़िन्दगी जी रहा था. कहते है जब किसी व्यक्ति के पास दौलत होती है तो उसके दिमाग सातवें आसमान पर होते हैं. धन के घमंड में किसी भी व्यक्ति का अपमान कर देना छोटी बात थी. समय अपनी रफ़्तार से बढ़ता रहा, वहीं इस धनाड्य परिवार की दौलत भी बढती गयी. जिससे उनके अमीर होने की शोहरत भी चारों तरफ फ़ैल गयी थी. समय ने धन के अहंकार में डूबे लोगों पर समय ने आँखें तिरछी कर लीं. इस अहंकारियों से चिढ़े हुए गाँव के कुछ लोगों ने चोरी कर ने का इरादा बनाया. आधी रात को ५-६ लोगों ने घर में घुसकर उस अमीर आदमी के घर की एक तिजोरी जिसमें हीरे जवारत नकद रुपया समेत ले चलते बने. सुबह हुई तो परिवार के सभी सदस्यों को जानकारी हुई. सभी सदस्यों ने फैसला किया कि इस चोरी की रिपोर्ट न लिखाई जाए. अगर रिपोर्ट लिखाते हैं तो चोरी गयी हर चीज़ के बारे में पुलिस को बताना पड़ेगा. समय अपनी रफ़्तार से भागता रहा. उस अमीर आदमी के साथ ही गाँव की दूसरी पीढ़ी ने अपने काम को सम्भालना शुरू कर दिया. इसी दौरान गाँव के बाहर रहने वाले परिवार के लोगों ने घर के आँगन में खुदाई शुरू कि तो उन्हें बड़े से लोहे का बक्सा मिला. परिवार के सभी सदस्य बक्सा देख कर इसलिए घबरा गए कि क्या पता इसमें क्या रखा हुआ है. इस परिवार के मुखिया जो बहुत ही नेक और शरीफ इंसान था ने खा कि कोई एक व्यक्ति जाओ और पुलिस को खबर कर दो. पुलिस आई और गड्ढे से बक्सा निकाल कर खोला गया तो उस स्थान पर खड़े सभी की आँखें चुन्धियाँ गयी, बक्से ढेरों रत्न जडित गहने आदि थे. रुपया सब सड़ गल गया था. इन सभी सामानों के बीच में एक शादी का कार्ड बरामद हुआ जिसमें घर के मुखिया पता निमंत्रण देने वाले के रूप में लिखा हुआ था. इस पर पुलिस को पता चला ये इसी गाँव के अकूत संपत्ति के मालिक फलां व्यक्ति का है. पुलिस ने उस अमीर की कोठी पर जाने से पहले अपने चौकी और थाने के रिकार्ड को खंगाला तो उन्हें इतनी बड़ी कोई भी रिपोर्ट दर्ज नहीं मिली तो पुलिस ने इस शादी के कार्ड का इस चोरी के माल में मिलने का कारण जानता चाहा. बड़े अफ़सरों के साथ कुछ सिपाही उस अमीर आदमी के घर पहुंचे. उस परिवार के 55 साल के मुखिया से जब शादी के कार्ड में छपे नामों की जानकारी की तो पता चला कि उसके पिता जी का नाम है और ये जिनकी शादी का लिखा है वो मेरी बुआ हैं. जब उससे गहने आदि दिखाए गए तो उसने पहचानने के बाद भी इज्ज़त के डर से पहचानने से इनकार कर दिया. इस घर के मुखिया को भी लगा कि उसके बाप ने इस चोरी की रिपोर्ट को क्यों नहीं लिखाया था. कोई तो वज़ह होगी ही. इसके बाद पुलिस ने सारे माल पर ज़ब्ती की कार्रवाई करके उसे सरकारी खजाने में डाल दिया. कुछ ऐसा ही आज घटित हुआ है कर्नाटक में एक वोट से सभी ने मिलकर अटल सरकार गिरा दी थी. तब इन्होंने ये नहीं सोचा कि नैतिकता के आधार पर ऐसा नहीं किया जाना चाहिए. आज वही लोग नैतिकता की बात कर रहे है जो इससे पहले गलत काम कर कर चुके हैं. इन दोनों दलों को चाहिए कि अगर थोड़ा भी आत्म सम्मान बचा है तो चुपचाप इतिहास दोहराया जाने देना था. इसी में सभी की भलाई थी.



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