अनमोल पानी के घटते स्तर पर चिंतन का समय बढ़ाना ज़रूरी : अभी न चेते तो भविष्य में संभलने का मौक़ा नहीं मिलेगा

वाशिंगटन की खबर के अनुसार भारत में पानी की बर्बादी और जरूरत से ज्यादा उपयोग के चलते देश में फ्रेस वॉटर तेजी से कम हो रहा है। यह खुलासा नासा द्वारा अपने सेटेलाइट की मदद से की गई अपने तरह की पहली स्टडी में हुआ है। इसके अनुसार भारत उन हॉटस्पॉट्स में शामिल है, जहां फ्रेश वॉटर के स्त्रोतों में कमी आई है, जो काफी गंभीर मामला है। अमेरिका के गोडार्ड स्पेस फ्लाइट सेंटर के वैज्ञानिकों द्वारा किए गए सर्वे में पूरी दुनिया में इंसानों की गतिविधियों द्वारा फ्रेश वॉटर में हो रहे बदलाव को देखा। जर्नल नेचर में छपी इस स्टडी में पाया गया कि धरती पर पानी वाली जगहें और ज्यादा पानी वाली हो रही हैं वहीं सूखे स्थान और ज्यादा सूख रहे हैं। इनके कई कारण हैं जिनमें इंसानों द्वारा पानी का प्रबंधन, क्लाइमेट चेंज और प्रकृतिक साइकल है। भारत के उत्तरी और पश्चिमी हिस्से के अलावा मध्य पूर्व, केलिफोर्निया और ऑस्ट्रेलिया प्रमुख हॉटस्पॉट हैं जहां पानी के अधिक उपयोग से इसके स्त्रोतों में गंभीर कमी आई है। उत्तर भारत में गेंहूं और चावल की खेती के लिए ग्राउंड वॉटर का उपयोग किए जाने से उपलब्ध पानी में स्टडी के दौरान बारिश के बावजूद तेजी से कमी दर्ज हुई है। इस स्टडी के लिए टीम ने अमेरिका-जर्मनी के नेतृत्व वाली ग्रेविटी रिकवरी और क्लाइमेट अनुभव के 14 साल के ऑब्जर्वेशन्स को लिया ताकि दुनिया के 24 रिजन्स में फ्रेश वॉटर के ट्रेंड को समझा जा सके। गोडार्ड के मैट रोडल ने कहा कि यह पहली बार है जब हमने कई सेटेलाइट्स के ऑब्जर्वेशन्स का उपयोग करते हुए इस बात का अनुमान लगाया कि दुनिया में फ्रेश वॉटर की उपलब्धता कैसे बदल रही है। इस खबर के बाद केंद्र और राज्य की सरकारों को इस पानी की कमी पर बहुत ही गंभीरता से मिलकर सोचना पड़ेगा. समय रहते इस समस्या का समाधान खोजना ज़रूरी है. अगर पानी की बर्बादी पर गहनता से विचार करना ज़रूरी है. बहुत पहले एक चेतावनी वाला समाचार पढ़ा था. जिसमें बताया गया था कि तीसरा विश्व युद्ध पानी के लिए होगा. जो गदा से लड़ा जाएगा. भविष्य में झाँक लेने की क्षमता रखने वाले हॉलीवुड के निर्माता ने फ्रेश वाटर के लिए अच्छे-बुरे लोगों में युद्ध पर मूवी भी बनायी थी. जिसके हीरो केविन कोस्टनर थे. इसमें भी दिखाया गया है कि दुनिया में चारों तरफ समुन्द्र का पानी ही पानी फैला हुआ है. पीने के पानी की तलाश में लोग पानी के जहाज और छोटे हवाई जहाज से इधर-उधर समुन्द्र में भटक रहे हैं. इन में बुरे और अच्छे लोग दोनों है. कुछ लोगों के ग्रुप में एक बच्ची है, इसकी पीठ पर उस स्थान का नक्शा बना हुआ. इस नक्शे के माध्यम से समुन्द्र के किनारे पहाड़ों में फ्रेश वाटर मिलने की उम्मीद है.  केंद्र और राज्य की सत्ता पर काबिज होने की जगह देश के झंडाबरदारों को चाहिए कि एकजुट होकर इस प्राकृतिक से निपटने का प्रयास करे.केंद्र सरकार को चाहिए कि पानी की बर्बादी रोकने पर कड़ा क़ानून बनाये, इसके साथ ही पानी के इस्तेमाल और बचत के उपायों आदि पर एक गाइडलाइन की जाए, जिसके माध्यम से लोगों को पानी की बर्बादी और उसकी बचत के प्रति जागरुक किया जा जाए. इसमें सख्त निर्देश दिए जाएँ, ताकि कोई भी पानी की बर्बादी से पहले दस बार सोचे. नासा की इस चेतावनी पर केंद्र की मोदी सरकार को बहुत ही गंभीरता से सोचना चाहिए. देश-दुनिया के वैज्ञानिकों से इस भयानक समस्या के समाधान पर विचार विमर्श जरूरी है. अन्न न हो तो जीवन कुछ समय तक चल सकता है,लेकिन अगर ब्रह्माण्ड शुद्ध पानी और ऑक्सीजन नहीं होगा तो जीवन कुछ ही क्षणों का मेहमान बनकर रह जाएगा. मरेंगे सब, कोई थोड़ा पहले तो कोई थोड़ा बाद में. आम और ख़ास लोगों को चाहिए आज से क्या अभी से अपने स्तर से पानी की बचत के प्रति एक-दूसरे को जागरुक करें इसी में जनमानस की भलाई है.


 

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