लोकतांत्रिक प्रणाली में पीएम मोदी के कार्यों का ग्रेड राहुल गाँधी नहीं, जनता तय करेगी

खबर पढ़ी कि कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गाँधी ने मोदी सरकार के 4 वर्ष पूरे होने पर पीएम मोदी का ग्रेड देकर आंकलन किया है. चार साल के काम काज के लिए प्रधानमंत्री मोदी को F ग्रेड दिया है. व्यक्तित्व के लिए A ग्रेड दिया. राहुल गाँधी ने अपनी  दूरगामी सोच के अनुसार ही ग्रेड से पीएम मोदी के काम-काज का आंकलन किया है. कितने प्रतिशत पर ए और कितने प्रतिशत पर एफ दिया ये वही समझ सकते हैं. वैसे एक बात साफ़ है वो यह कि राहुल गाँधी अन्य विरोधी नेताओं के मुकाबले पीएम मोदी से बहुत ज्यादा परेशान रहते हैं. कांग्रेस का उपाध्यक्ष पद से अध्यक्ष बनने तक के सफर में उन्हें सब से अधिक परेशान मोदी जी ने ही किया है. राहुल जब महासचिव थे. उस समय नरेंद्र मोदी गुजरात के मुख्यमंत्री हुआ करते थे. कई बार माता सोनिया गाँधी के साथ मिलकर नरेंद्र मोदी को गुजरात में न हरा पाए. समय रफ़्तार के साथ बीतता रहा. राहुल उपाध्यक्ष बने सोनिया गाँधी अध्यक्ष पहले से ही थी ने मिलकर कई बार मोदी को गुजरात से उखाड़ फैंकने का प्रयास किया, लेकिन सफलता हाथ नहीं लगी. इसी दौरान लोकसभा चुनाव आ गए. इन चुनावों में कुछ और बेहतर करने की उम्मीद के साथ राष्ट्रीय अध्यक्ष और उपाध्यक्ष फिर प्रयास किया. लेकिन मोदी ने अपने व्यक्तित्व के अनुरूप आम लोगों पर ख़ासा प्रभाव डाला. कहीं से भी नहीं लगा कि कोई राज्य का मुख्यमंत्री जोकि अचानक से आये और राष्ट्रीय स्तर पर आम लोगों पर छा जाए. कहते हैं कुछ लोगों को गॉड गिफ्ट होती है कि उन्हें कोई हुनर उपर वाला दे देता है. कुछ ऐसा ही हुआ कि मोदी जी ने प्रधनमंत्री पद संभालने के बाद फिर पलट कर नहीं देखा. देश में सभी सरकारी और गैर सरकारी सिस्टम में सुधार लाये. बहुत कुछ नया किया. आते ही आम लोगों से अपील कर डाली कि जो सक्षम हैं वो गैस सब्सिडी छोड़े.लगभग 2 करोड़ से अधिक लोगों ने पीएम मोदी के रूप में कही बातों को माना. जो व्यक्ति राजनीति में इतना ऊपर पहुँच गया हो उसको राहुल गांधी जैसे अपरिपक्व नेता किस तरह से ग्रेड दे सकता है. शायद राहुल इस तरह से प्रधानमंत्री मोदी को ग्रेड देकर राज्यों मिली हार-दर-हार की हताशा को दर्शा रहे हैं. एक दशक से ज़्यादा की एक्टिव राजनीति कर चुके राहुल गाँधी को चाहिए कि बेमतलब की बयानबाजी से बचें. उन्हें अपनी हार से सीखना चाहिए, तभी एक अच्छे और परिपक्व नेता बन सकेंगे. इस तरह की बातों को करके स्कूली बच्चे एक दूसरे से जीतते हैं. राहुल गाँधी को इस बात का ख़याल रखना चाहिए कि वो जिस पीएम मोदी पर टिप्पणी कर रहे हैं वो लोकतांत्रिक प्रणाली के बाद एक प्रधानमन्त्री के पद को सुशोभित कर रहा है. जिसे जनता ने अपना मत देकर चुना है. आज भी राज्यों में उनकी जीत से समझा जा सकता है कि जनता की उन पर कितनी उम्मीदे टिकी हुई हैं जिसके कारण उनके कहने से मतदान करके बीजेपी को जीत दर्ज करवा रही है.

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