चार साल बेमिसाल : जनता के सहयोग से पीएम मोदी ने दी देश को नयी ऊँचाईयां
मोदी सरकार के चार साल कब पूरे हो गए इसका पता भी नहीं चला. शायद कुछ ऐसा ही एहसास दूसरों को भी हुआ होगा. अक्सर कुछ लिखने या बात करने के पहले ये सोचना पड़ता था कि क्या लिखना है आ क्या बोलना है. कुल मिलाकर मोदी सरकार ने सभी क्षेत्रों में एक साथ कार्य शुरू किया था. सवा सौ करोड़ से अधिक आबादी वाले भारत में सब कुछ कुछ ही वर्षों में दुरुस्त कर लेना टेढ़ी खीर होता है. लेकिन मोदी सरकार ने बहुत कुछ ट्रैक पर ला दिया. भ्रष्ट तरीके से कमाए धन को बाहर निकालना बहुत ही मुश्किल ही नहीं, नमुमकिन था. जिसे असरदार तरीके से नोटबंदी से मुमकिन कर दिखाया. नोटबंदी एक बहुत ही मुश्किल फैसला था. लेकिन प्रधानमंत्री मोदी ने अपनी अपनी दूरगामी सोच के साथ उसे समझने के बाद उसे कर डाला. 8 नवम्बर 2016 को रात 8 बजे मोदी ने 5 सौ और और 1 हज़ार के रुपयों का विमुद्रीकरण कर दिया. और काम में शॉर्टकट अपनाने वाले भारतीय मीडिया ने इसे नोटबंदी कह कर लगों तक ख़बरें पहुंचानी शुरू कर दीं समय के साथ सब ठीक हो जाता है की तर्ज़ पर जितनी भी भ्रष्ट तरीके से की गयी कमाई थी सब बैंकों में कूड़े की तरह काले धनाड्यों ने ये सोचकर जमा करनी शुरू कर दी कि वापस मिल गयी तो ठीक है, वरना इसे कमाने में ज्यादा मेहनत तो लगी नहीं है. इतना धन कैसे कमाया ?, कितने समय में कमाया ? किस तरह से कमाया ? की पूरी डिटेल दो और अपना धन वापस ले जाओ की शर्त के साथ बैंकों ने इन सभी काले धनाड्यों की रीढ़ तोड़ दी. इनमें से ज़्यादातर लोगों के पास इन सवालों के कोई जवाब नहीं होने के कारण इनकी अपने बैंक में जमा धन तक फटकने की हिम्मत नहीं हो पायी. थोड़ी बहुत परेशानी आम लोगों को जरूर हुई लेकिन कुछ प्रतिशत की बात छोड़ दें तो हर व्यक्ति खुश था. इस नोटबंदी से सबसे ज़्यादा मुसीबत बिल्डर,डॉक्टर, फर्जी कंपनियों के मालिक और भ्रष्ट अधिकारियों आदि को हुई, जो कुर्सी पर बैठे-बैठ साल भर में करोड़ों कमा लेते थे. अगर देखा जाये तो मोदी सरकार के नारे सबका साथ-सबका विकास को धरातल पर लाने में नोटबंदी की भूमिका प्रमुख रही. इसी के कारण विरोधी दलों बेवज़ह की खिलाफत शुरू कर दी. उन्हें लगता था कि अगर नोटबंदी के खिलाफ बोलेंगे तो आम और ख़ास सभी उनके साथ आ जायेंगे और वो मोदी सरकार को समय से पहले चलता कर देंगे. इस विरोध का क्या असर हुआ ये आज सही देख रहे हैं, इसके परिणाम स्वरूप बीजेपी ने राज्य दर राज्य जीत लिए. समय के साथ सभी विरोधियों के कस-बल ढीले पड़ गये. आज जो माहौल बनाया गया है कि लोकतंत्र खतरे में है ये सही मायाने में लूट तंत्र की बात करते हैं. आज ज्यादातर राज्यों में 1-2 रुपये किलो गेंहूं और चावल उन ग़रीबों तक पहुँच रहा है जो इतना भी नहीं कमा पाते थे. पडोसी देश पाकिस्तान भी पीएम मोदी के जज्बे के सामने नतमस्तक हो गया है. नोटबंदी करके किस तरह से देश को सुधार दिया इसकी आज पाकिस्तान के लोग भी तारीफ़ करते हुए नहीं थकते हैं.अगर पाकिस्तान के हालातों से भारत की तुलना की जाये तो छोटा सा पाकिस्तान आज विश्व बैंक और विकसित के कारण ज़िंदा है. पाकिस्तान की आवाम का मुंह बन्द रखने के लिए वहां की सरकार खाड़ी देशों से उधारा लिया पट्रोल और डीजल लोगों को भारत से सस्ता मुहैया करा कर मुंह बंद रखने का प्रयास करता रहता है. जो टमाटर 300 और दाल 200 रुपये बिक रही है वो भारत में 10 रुपये तो दाल 55 से 65 रुपये में बिक रही है. मोदी सरकार ने चार साल में क्या किया इसे देखने के लिए गरीब की झोपड़ी या कोठरी में झाँक कर उसके देसी किचन से समझा जा सकता है. अगर इन ग़रीबों को 2 टाइम का भोजन अच्छे से मिल रहा है, तो ये मोदी सरकार के साथ देश की जनता की भी बहुत बड़ी उपलब्धि है. अगर जनता हर राज्य पीएम मोदी को सहयोग न देती तो निराशा के साथ वो भी तिकड़मबाज़ी की राजनीति में फंस जाते और जनता एक बार फिर भ्रष्ट नेताओं की चालों से ठग ली जाती. आज जनता के सहयोग का लाभ उठाकर देश को नयी ऊँचाइयों पर ले जाने वाले को नरेंद्र मोदी कहते हैं.चार साल बेमिसाल के लिए पीएम मोदी और सहयोगियों को बधाई...



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