बुरी बालाओं को दूर रखते है कौवे : शुभ होता है कौवों को भोजन कराना

कौवे क्यों मानव समाज में महत्वपूर्ण है इसकी जानकारी नहीं है. लेकिन इतना ज़रूर पता है कि कौवे को मीठे पुवे खिलाने की परंपरा आज भी है. अगर देखा जाए तो कौवे आम और ख़ास लोगों के बीच महत्वपूर्ण स्थान रखने है. एक न्यूज़ पेपर से जानकारी मिली है कि मुंबई में कुछ हलवाई कौवों को खिलाने के लिए गाठिया बनाकर बेचते हैं. दूकान मालिक का कहना है कि 70 रुपये प्रति किलो के दम पर बेचते हैं. हर हफ्ते 65 किलो तक इसकी बिक्री हो जाती है. मुंबई में इसके खरीदार गुजराती समाज के लोग हैं. इनका मानना है कि कौवे हमें बुरी आत्माओं से  बचाते हैं. विभिन्नताओं के कारण सभी राज्यों में कौवों को खिलाने के पीछे अलग-अलग सोच है. कुछ लोग अपने मृत बुजुर्गों की आत्मा की शांति के लिए, तो कुछ लोग अपने बच्चों को बुरी नजर से बचाने के लिए कौवों को मीठे पुवे खिलाते हैं. उत्तराखंड में कौवों को खिलाने के लिए बनाए गए खाद्य पदार्थ को घुघूता बोला जाता है जिसे मकर सकरान्ति को कौवों को खिलाया जाता है. जाति विभिन्नताओं के कारण कौवों को क्यों खिलाया जाता है इस पर सबकी अलग सोच है. अगर मानवीय आधार पर देखा जाए तो ये एक नेक काम है. पक्षियों को खाने के लिए देना इंसानों का फ़र्ज़ होता है. इन्हें जीवित रखना मानव समाज की ज़िम्मेदारी होती है. कौवों से जुड़ी कुछ और भी बातें हैं कि अगर किसी के सर पर कौवा बैठ जाए तो उसे अशुभ मानते हैं. दक्षिण भारत के राज्यों में कौवा अगर मुंडेर या वाहन पर बैठ जाए तो उसमें निवास नहीं करना चाहिए. लेकिन लोग पूजा-पाठ करके ही निपट लेना ही उचित समझते हैं. कौवे का सर या वाहर पर बैठ जानेको इतना अधिक अशुभ माना जाता है कि कुछ साल पहले कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री सिद्धारमैया की सरकारी कार पर कौवे के बैठ जाने पर सिद्धारमैया ने उसे बिकवा कर नयी कर खरीदने का आदेश दे दिया था. कौवा शुभ-अशुभ होता है या नहीं, लेकिन कौवे का कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया की कार पर बैठ जाना अशुभ ही रहा. उन्हें इसकी कीमत सत्ता से धोकर चुकानी पड़ी है. अक्सर लोग बोलते हैं कि देखो कितनी लम्बी उम्र है, लगता है कौवा खाकर पैदा हुआ है. कौवों को अशुभ कहना गलत इसलिए है कि सिद्धारमैया की कार पर बैठा तो उनकी कर्नाटक से सरकार खिसक गयी. लेकिन अगर इसे सकारात्मक रूप से सोचा जाए तो कार पर बैठने से कुमारस्वामी की किस्मत चमक गयी और वो मुख्यमंत्री बन गए,जबकि उनके पास 37 विधायक थे. जानकारों के अनुसार कौवा शुभ ही होता है, लेकिन उसके अनिष्ट का सन्देश देना, उसको मनहूस बना देता है. वैसे तो सभी लोग अपनी परम्पराओं के अनुसार ही करते हुए कौवों को इसी बहाने खाने के लिए देकर नेक काम करते हैं. पशु और पक्षियों को खिलाने से बड़ा कोई नेक काम नहीं है. कौवा हमेशा ही शुभ होते हैं. मुंडेर पर काँव-काँव करे तो किसी मेहमान के आने की बात कही जाती है.

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