अब भारत में जिन्ना के जिन्न ने घेरा एएमयू : मुंह जल जाने तक बासी रोटी सेकते को दिखे नेता
एक राष्ट्रीय स्तर के न्यूज़ चैनल पर जिन्ना की एएमयू में दिवार पर टंगी तस्वीर पर कई दलों के नेता गरम-गरम बहस कर रहे थे. लेकिन बीजेपी के नेताओं को छोड़कर बाक़ी के अन्य दलों के नेता बड़े सफाई के साथ मुस्लिमों के वोट बटोरते ही दिखाई दे रहे थे. बार-बार यही कहा जा रहा था कि बीजेपी जिन्ना की तस्वीर पर राजनीति कर रही है और भारत के मुसलमानों की देश भक्ति सवालिया निशान लगा रही है. जब भी एंकर उनसे पूछती थी कि क्या जिन्ना की तस्वीर को लगे होने को सही मानते हैं तो वो नेता तुरंत आधे बटोर चुके मुस्लिम वोटों को छिपाने के लिए पीछे फेंक कर महात्मा गाँधी का फालोवर बन जाते थे. ये सब देखना बड़ा रोमांचक लग रहा था कि ये नेता तो गिरगिट को पछाड़कर उससे भी ज्यादा तेज़ी से रंग बदल रहे हैं. ये इसलिए कि कट्टर हिन्दुस्तानी जो अस्सी 80 फीसदी हैं को बीजेपी के पाले में जाने से पहले ही लपक ले. एक दाढ़ी वाले बड़े विद्वान लग रहे थे, वो यही कह रहे थे की ये फोटो तो 1938 एएमयू में टंगी है. आज़ादी के 70 साल से क्यों नहीं बीजेपी को इसे हटाने की याद आयी. जब पूछा जाता कि आप लोगों ने कब देखी तो ये सब तुरंत पैतरा बदल कर कहने लगते हमें भी अभी पता चला हम तो महात्मा गाँधी जी के फालोवर है. बार-बार बापू का नाम को ले रहे इन लोगों पर तरस इस बात के कारण आ रहा था कि राजनीति भी क्या चीज है. वोट के लिए चाइनीज लाईट से भी तेज़ रंग बदल रहे थे. इस डिवेट में एक कमी ये दिखी कि कांग्रेस के सबसे वयोवृद्ध नेताओं को भी बैठाना चाहिए था. यह इसलिए लिखा कि आज़ादी के पहले से मोहम्मद अली जिन्ना की जो तस्वीर एएमयू टंगी है उसके बारे में कुछ तो रिकार्ड इन नेताओं के पास होना ही चाहिए. क्योंकि इन्हीं की पार्टी के नेता व प्रथम प्रधानमंत्री स्वर्गीय जवाहर लाल नेहरू ने ही मज़बूर होकर बंटवारा किया था. जिन्ना के दबाव बनाने पर ही कि मुसलमान नये बने देश पाकिस्तान में रहेंगे. जब धर्म के आधार पर बंटवारा हुआ था तो फिर पूरी तौर पर धर्म केआधार पर व्यक्तियों की अदला-बदली क्यों नहीं की गयी. अगर कुछ टपक गए थे, तो उन्हें भेजा जाना चाहिए था. इस बंटवारे की त्रासदी के जिम्मेदार जिन्ना की तस्वीर उस समय के कांग्रेसी लीडरों ने क्यों लगी रहने दी. जब चलते फिरते इंसानों को इधर से उधर खदेड़ा गया तो तस्वीर को तो अपने हाथों से ही कचरे के डिब्बे में डाल देना था. अगर उस समय ऐसा कर लिया गया होता तो आज जिन्ना का जिन्न तस्वीर के रूप में उस भयानक त्रासदी को याद न दिलाता. कुल मिलाकर इस मुद्दे पर आधा दर्ज़न कांग्रेस के नेताओं को बुलाया जाना चाहिए था. ताकि तस्वीर जानबूझ कर टंगी रह जाने दी गयी थी या गलती से टंगी रह गयी थी की बात को साफ़ किया जा सकता था. अक्सर कांग्रेस के नेताओं के मुंह से यही सुनने को मिलता है कि बीजेपी का आज़ादी में कोई योगदान नहीं था. बलिदान कांग्रेस ने दिया है. इसीलिए मेरा मानना है कि कांग्रेस को इस तस्वीर बवाल पर अपनी गलती या भूल वश टंगी रह गयी पर अपनी स्थिति स्पष्ट करने का मौक़ा दिया जाना चाहिए था. इस फालतू की डिवेट को देखकर यही महसूस हुआ कि न्यूज़ चैनलों के ऐसे प्लेटफार्म राजनीतिक दलों के नेताओं के लिए फैशन शो जैसे रैम्प की तरह होते हैं, जिस पर चलते हुए कोमलांगियाँ तन पर पहने परिधानों का प्रदर्शन करती हैं. कुल मिला कर दाढ़ी वाले बुद्धिजीवी जी पूछा जाना चाहिए था कि जिन्ना की तस्वीर टंगी होने की बात पहले पता चल जाती तो क्या हटा दिया जाता ? फोटो टंगे रहने का समर्थन करने वाले वो लोग हैं जो बुरहान वानी जैसे को आतंकवादी के रूप में मारे जाने पर भटका हुआ बता देते हैं. इन मुस्लिमों के झंडाबरदारों को चाहिए कि वो एएमयू के भटके हुए छात्रों को जिन्ना के कुकृत्यों के कारण दोनों देशों को कितनी जनहानि हुई थी के बारे में बताएं. अभी भी वक़्त है कि इन भटके हुए लोगों को मुस्लिम झंडाबरदारों को चाहिए कि अपने नफे को छोड़ इन्हें रास्ता दिखायें, कहीं ऐसा न हो कि ये सीमा पार कर बार-बार भटकने बच सकें.



Comments
Post a Comment