कायल हो गया टिल्लू के अर्थ-शास्त्र के ज्ञान से, विद्यमान हैं वित्तमंत्री बनने के सारे गुण

पट्रोल...पट्रोल...पट्रोल... चिल्लाने वालों से बुद्धिमान तो पड़ोस के राजू का 14 साल का बेटा टिल्लू है, जो इतना भीषण अर्थशास्त्री होगा मुझे नहीं मालूम था. एक दिन वो अपनी छोटी सी फुटफुटिया में तेज़ी से कहीं जा रहा था, रोक कर पूछा यार टिल्लू कहा जा रहे हो फर्राते भरते हुए, तो वो थोड़ा हाँफते हुए अंदाज़ में बोला. अंकल जाने दीजिये पट्रोल डलवाने जा रहा हूँ... इस पर मैंने जब छेड़ा कि यार इतना... महंगा पट्रोल खरीदने जा रहे हो. जनता त्राहिमाम कर रही है और तुम पट्रोल डलवाने जा रहे हो. बेचारे उन करोड़पतियों का तो ख़याल करो जो कई करोड़ किए चारपहिया वाहन रखे हुए हैं, वो इतना महंगा पट्रोल कैसे खरीद सकते हैं, तुमसे ज़्यादा तो इनको ज़रुरत है,वरना इतनी महंगी गाडी बेकार खड़ी रह जायेगी.  इस पर वो हल्की सी मुस्कान फैंकता हुआ बोला अंकल आपके लिए महंगा है लेकिन मेरे लिए नहीं है. जैसे ही जाने को हुआ तो उसकी फुटफुटिया का हैंडल पकड़ कर पूछा, कुछ तो खुलासा करो यार... इस पर वो थोड़ा रहस्यमय अंदाज़ में बोला, अंकल, मुझसे मम्मी जब टमाटर या अन्य सब्जी मंगाती हैं तो हर चीज में 2 रुपये अपना लाने ले जाने का टैक्स लगा देता हूँ. बस सिंपल सी थ्योरी है. इतना सुनकर बरबस ही हंसी छूट गयी और इसी बीच टिल्लू भी फर्राटे भरता हुआ पट्रोल डलवाने निकल लिया. आँखों से ओझल होते-होते मुझे समझ में आ गया कि ये बड़ा होकर अवश्य ही नेता बनेगा और जनता को मूर्ख बनाने के लिए पट्रोल सस्ता करने के लिए यही फंडा अपनायेगा और देश सफल वित्तमंत्री कहलायेगा. इस तरह से कितना कमाएगा ये तो कोई वित्तमंत्री ही बता सकेगा...सोचता रहा कि ये चवन्नी जितना छोटा टिल्लू मुझे भी अपना अर्थशास्त्र समझा कर चला गया. मेरा मानना है कि मोदी सरकार के वित्त को चाहिए कि टिल्लू से ये फंडा सीख लें, घुमाकर कान पकड़ेंगे तो जनता बहुत खुश रहेगी. पीएम मोदी जी नहीं मालूम कि आज़ादी के बाद से लेकर अब तक आम आदमी इसी तरह से खुश रहता चला आ रहा है. अपने पड़ोसी (पाकिस्तान) के घर से कभी कोई आवाज़ सुनाई देती है, उधर का  प्रधानमंत्री पांच साल तक उधार का, नहीं अब कटोरा लेकर खाड़ी देशों से भाई-भाई होने का कहकर पट्रोल लेता है और पाकिस्तानी अवाम को 50-55 रुपये लीटर बेच देता है, लेकिन इसके बदले में हमारा 10-15 रुपये किलो का टमाटर, 3 सौ रुपये किलो का खिला-खिलाकर एक किलो में कई लीटर पट्रोल की भरपाई करके सारा तेल वापस निकाल लेता था. इसे कहते हैं असली अर्थशास्त्र. पीएम मोदी जी सबका साथ सबका विकास के स्थान पर आपका नारा होना चाहिए था कि 'सबका साथ साथ-सबका तुष्टिकरण. सभी आम और ख़ास को कई दशकों से इसकी आदत पड़ चुकी है. जब तक कोई सत्ताधारी हमें टोपी न पहनाये तब तक पेट में पडा खाना हज़म नहीं होता है. भूख से रोते बिलखते ग़रीबों की आवाजें सुनने के बाद ही पट्रोल...पट्रोल चिल्लाने वालों को तभी सुकून मिलता है. ऐसे देश के कुकुरमुत्तों से जीतने के लिए ज़रूरी है कुछ समय के लिए गुजरात के मुख्यमंत्री का चोला धारण कर लें. तभी हवा में सुनाई देने वाली ऐसी आवाजें कम होंगी. वरना हवन करते हाथ जले वाली मसल से बच नहीं पायेंगे.

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