काजू और मोंटी नामक कुत्तों के लापता होने के पीछे ज़रूर इन होनहारों की कोई समस्या है
खबर पढ़ते समय हंसी को नहीं रोक पा रहा था. ये खबर कुछ इस तरह है कि आईआईटी (इन्डियन इंस्टिट्यूट ऑफ़ टेक्नोलाजी) कैम्पस से विशुद्ध भारतीय नस्ल के काजू और मोंटी नामक कुत्ते लापता हो गए हैं. इसके चलते कैम्पस में हड़कंप मचा हुआ है. आइआइटी परिसर के लोगों ने उनकी तलाश में आस-पास के क्षेत्रों में पोस्टर लगा दिए हैं. खोजकर लाने वाले को दो हज़ार का इनाम देने की भी घोषणा की गयी है. इस खबर को पढने के बाद आईईटियन की इन दोनों कुत्तों काजू और मोंटी के गायब होने से परेशानी कुछ समझ में नहीं आयी. कहीं ऐसा तो नहीं है कि आइआइटी कैम्पस के प्रखर बुद्धि छात्रों ने अपनी समस्याओं के समाधान के लिए इस तरह की अजीबों-गरीब खबर को हवा दी है. अक्सर ऐसे संस्थानों में मैनेजमेंट, छात्रों की समस्याओं के प्रति लापरवाह रहता है, इसके चलते इन होनहारों को स्टडी में बाधा उत्पन्न होती है. इसी के समाधान के लिए छात्रों ने प्रोटेस्ट करने का अनोखा फंडा अपनाया है. ऐसी हलचल से अपनी समस्याओं का समाधन हो जाने की मांग को आसानी से सुप्रीम पावर तक पहुंचाया जा सकता है. अक्सर ऐसे संस्थानों में छात्रों के साथ लापरवाही होती रहती है, लेकिन शिक्षा हासिल करने आये सीधे-साधे छात्र संस्थान के प्रबंधन से इस बात की शिकायत इसलिए नहीं कर पाते है कि कहीं उनके भविष्य पर कोई आंच न आ जाए. अक्सर ऐसा होता है कि अगर कोई छात्र समस्या को उठाता है तो संस्थान का प्रबंधन उसे नेता समझ लेता है. करीब दो वर्ष पहले मित्र के बेटे ने पढ़ाई से सम्बंधित समस्या बतायी थीं. उसने बताया कि हमारे इंस्टिट्यूट में जिस बुक से स्टडी करवाई जाती है वो सिर्फ हमारे इंस्टीट्यूट की लाइब्रेरी में उपलब्ध है. इसे सिर्फ आरक्षित छात्रों को ही दिया जाता है. समस्या तब खड़ी हो जाती है, जब ये खरीदने जाने पर पुस्तक की दुकानों में भी नहीं मिलती है. मित्र के बेटे का कहना है कि संसथान की लाइब्रेरी के कर्ता-धर्ता से सशर्त पुस्तक मांगने पर कि अगर कोई आरक्षित पुस्तक लेने आएगा तो वो उसे लौटा देगा, लेकिन इस पर लाइब्रेरियाँ का दो टूक जवाब होता है कि नहीं हम ऐसा नहीं कर सकते हैं. कुछ ऐसी समस्याएं इन होनहार छात्रों के सामने रहती हैं लेकिन वो इसका खुलकर विरोध नहीं कर सकते हैं. सही मायने में ऐसी पढ़ाई से सम्बंधित समस्या से निपटने का कम इन संस्थानों के मैनेजमेंट का होता है. लेकिन ये इस मामले में मौन साधकर छात्रों के भविष्य से साल-दर साल खिलवाड़ करते रहते है. ऐसे नामी-गिरामी संसथानों में अमीर गरीब हर तबके के छात्रों के अभिभावक मोटी फीस देकर अपने बच्चे का भविष्य बनाने के लिए पढ़ने भेजते हैं. जोकि अपनी सोच और सरकार की दी गयी गाइडलाइन के कारण खुद ही बीमार हैं. आती-जाती सरकारें सब को एक सामान शिक्षा देने की बातें तो करती हैं, लेकिन इन संस्थानों में अन्दर तक घुसी हुई इन समस्याओं का समाधान नहीं करती हैं. जिस तरह से आईआईटी के परिसर से कुत्तों के लापता होने की घटना पढ़ने को मिली है इसके पीछे ज़रूर इन छात्रों की कोई समस्या है. अपनी आवाज़ दूर तक पहुंचाने के लिए ही इन बुद्धिमान देश भविष्य ने कुछ इस तरह की बात को खबर बनवा डाला है. अगर इस समाचार के पीछे कितनी सच्चाई है कि जानकारी करके अगर देश के भविष्य को कोई समस्या है, तो सरकार को संज्ञान लेकर इसका त्वरित निदान करना चाहिए. केंद्र और राज्यों की सरकारों को सचमुच देश के भविष्य की चिंता है तो समय-समय पर ऐसे सभी सरकारी और गैर-सरकारी संस्थानों में छात्रों की पढ़ाई में आड़े आने वाली समस्याओं को संज्ञान लेते हुए समाधान की आवश्यकता है. अगर ऐसा नहीं हो सकता है तो सबको शिक्षा देने का दावा नहीं करना चाहिए.




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