इमरान की जीत में मोदी फैक्टर :घिसट रहे पाकिस्तान को भी समझ में आ चुका है, भारत से दुश्मनी से कहीं ज़्यादा नफ़ा दोस्ती में है

पाकिस्तान की हलकान अवाम को एक बार फिर से सेना और आईएसआई के सौजन्य से नया प्रधानमंत्री इमरान खान के रूप में मिल गया. पाकिस्तान में बदलते रहे प्रधानमंत्रियों देखा जाए तो ऐसा लगता है कि खांसी की एक्सपायरी दवा का लेबल भर बदल दिया गया है. खांसी की दवा की बोतल लिखा क्योंकि जिस पाकिस्तान की अवाम को आतंकवादियों जैसी कैंसर की बीमारी से छुटकारा चाहिए था. लेकिन पाकिस्तान की अवाम को खांसी की दवा की बोतल थमा दी गई. पाकिस्तान में इस बार के चुनाव में जिस तरह से पाकिस्तान की भ्रष्टाचार,महंगाई और बेरोजगारी से हैरान-परेशान अवाम ने इस उम्मीद से वोट डाला कि भारत की तरह उन्हें इस बार कोई मोदी जैसा नेता मिल जाएगा तो कुछ अच्छा हो जाएगा. यह पाकिस्तान की अवाम के लिए कडुआ सच है कि उन्हें मोदी जैसे काम करने के आश्वासन का लॉलीपॉप दिखाया गया था. यह बात पाकिस्तान के न्यूज़ चैनल के वीडियो से साबित होती है. सभी में नवाज़ शरीफ और पीएम मोदी की तुलना करते हुए पीएम मोदी की ईमानदार छवि की तारीफ करते हुए नज़र आते थे. पाकिस्तानी न्यूज़ चैनल की डिबेट में जब भी नवाज़ शरीफ के घोटालों की बात होती तो मोदी का नाम ज़रूर लिया जाता था. ऐसा ही कुछ इस बार पाकिस्तान के राष्ट्रीय चुनाव में हुआ भी. आतंकवादी से नेता बना हाफ़िज़ सईद और अन्य कट्टरपंथी छोटे दल मोदी और भारत को गरियाते हुए वोट मांग रहे थे तो वहीं, नवाज़ शरीफ, बिलावल भुट्टो और इमरान खान की पार्टियाँ मोदी जैसा ही आम करने के नाम पर्वोत मांगते देखे जा सकते थे. एक सभा में इमरान अपने भाषण में नवाज़ पर भ्रष्टाचार का आरोप लगाते हुए कह रहे थे कि अगर शरीफ ईमानदार हैं तो मोदी की तरह अपनी संपत्ति का खुलासा करें. ये भारत के लिए और पीएम मोदी के लिए गर्व की बात है कि कट्टर दुश्मन देश पाकिस्तान में भारत के पीएम की तारीफ़ हो कोई छोटी बात नहीं है. नवाज़ शरीफ ने जब तक पाकिस्तान की सत्ता संभाली तब तक वो भारत के करीब और दूर दिखने के प्रयास में ही रहे. इसके पीछे कट्टरपंथी सोच के पाकिस्तानी मुल्ला, आर्मी और आतंकवादी थे.याद होगा नवाज़ शरीफ ने पीएम मोदी को बिना वीजा के आने का न्योता दे बुलाया था.इसके पीछे यही सोच थी कि वहां की अवाम में पीएम मोदी अपने गुड वर्क के कारण पाकिस्तान की अवाम लोकप्रिय हैं. अगर पाकिस्तान में मोदी फैक्टर को इमरान खान की पार्टी की जीत के फ्रेम में फिट किया जा सकता है. भारतीय मीडिया का यह कहना कि इमरान खान की तहरीके इन्साफ की आर्मी से फिक्सिंग के कारण जीत हुई है तो कुछ मूर्खतापूर्ण लगता है. अगर पाकिस्तान आर्मी को फिक्सिंग करनी ही थी तो वो आतंकवादी हाफ़िज सईद से करती, जिसे ये अब तक भारत में दहशत फैलाने के लिए इस्तेमाल करते रहे हैं. चुनाव से पहले ही पाकिस्तान की कोर्ट और चुनाव आयोग हाफ़िज़ सईद को क्लीन चिट दे दी थी. उसे चुनाव में जीत दर्ज करवा कर हाफ़िज़ सईद को प्रधानमंत्री न बनाकर उसके किसी भी नज़दीकी को पद पर बैठा के पाकिस्तान आर्मी अपना मक़सद को पूरा कर सकती थी. अगर बहुत गहराई से पाकिस्तान के चुनाव में हुए प्रचार को देखें तो इमरान खान ने पाकिस्तान अवाम के बीच मोदी फैक्टर को अपरोक्ष रूप से बहुत बेहतर तरीके से इस्तेमाल किया. जब भी इमरान ने पिछली नवाज़ शरीफ सरकार को भ्रष्टाचार के मुद्दे पर घेरा, तब तब उन्होंने भारत के पीएम मोदी से नवाज़ शरीफ तुलना कर डाली. इस तरह से इमरान खान मोदी की तारीफ़ से बचे भी रहे और उनकी लोकप्रियता का लाभ भी ले लिया. महंगाई और बेरोजगारी से त्रस्त पाकिस्तान की जनता भी चाहती है कि भारत से सम्बन्ध बेहतर हो जाए. ताकि व्यापारिक संबंधों के चलते दोनों देशों के बीच आवागमन ढील मिल सके. पाक अवाम को मोदी के पीएम बनने के बाद समझ में आ रहा है कि जो सबसे नज़दीक संपन्न देश है वो भारत ही है. इमरान खान ने आर्मी सेर फिक्सिंग की बात का जवाब बॉलीवुड का विलेन न होने की बात कह कर दिया है. इमरान खान को पाकिस्तान की अवाम की भावनाओं का सम्मान करना ज़रूरी हो गया है, उन्हें पाकिस्तान अवाम को दुर्गति से निकालने के लिए पीएम मोदी जैसा बनना ही पड़ेगा. अपनी बदतर हालत से परेशान पाकिस्तान की जनता अगर भारत के कश्मीर के लिए वोट देना होता तो आज हाफ़िज़ सईद की पार्टी एक भी सीट की जगह बहुमत पा चुकी होती. मोदी सरकार के शासन में की गयी सर्जिकल स्ट्राइक से भी पाकिस्तानी अवाम को समझ में आ गया कि अगर भारत की सरकार चाहती तो बड़ा हमला भी आर सकती थी. जिसका पाकिस्तान आर्मी बहुत ज्यादा विरोध नहीं कर सकती थी. जैसा की सर्जिकल स्ट्राइक के बाद हुआ. कुल मिलाकर अगर नव निर्वासित प्रधानमंत्री इमरान खान पाक अवाम के दिए जनादेश का सम्मान करते हुए सकारात्मक सोच के साथ भारत के पीएम मोदी की तरफ दोस्ती का हाथ बढ़ाएंगे तो अपने देश के लिए बहुत कुछ बेहतर कर सकते हैं. अगर ऐसा नहीं करते हैं तो पाकिस्तान और अधिक बुरी स्थिति में पहुँच जाएगा, यह बात पाकिस्तान के भावी प्रधानमंत्री इमरान खान को याद रखनी  चाहिए. साथ ही ये भी समझ लें कि भारत से दुश्मनी से ज्यादा से नफ़ा, दोस्ती में है.

Comments