लोग डब्ल्यूएचओ के फ़र्ज़ी आंकड़ों को छापने वाले चाटुकार न्यूज़ पेपर पर इतना भरोसा कर के इस संख्या को सही बता, झूठ को साबित करने में शामिल हो गए हैं।  हवा-हवाई लिखने से बेहतर था, कुछ तथ्य लेकर  लिखते हो समझ में आता। कोरोना काल में सभी मोदी सरकार विरोधियों(मोदी विरोध का मतलब समझ गए होंगे) और 99 प्रतिशत गिरोहबंद तरीके से काम करने वाले पत्रकारों ने कोरोना काल में होने वाली सभी मौतों को बढ़ा चढ़ाकर बताकर खूब अफवाह फैलाई। दस साल पहले दफ़न किये गए साधू संतों की कब्रों की खबर को कोरोना से मरे लोगों में गिना था।  ऐसी घटिया पत्रकारिता की किसी को उम्मीद न हो पर मुझे थी।  मुझे अच्छे से पता है कि ये कुछ   प्रतिशत घटिया पत्रकारों काम घर में बैठकर अपने गिरोह के साथियों के साथ मिलकर फर्ज़ी आंकड़ों को इकठ्ठा करके एक ही तरह की न्यूज़ चलाई ताकि कुछ अलग न लिख दें. इसको छोटे पट्टलचाटों ने सही मान कर, जैसा की आपने माना उसे अपने चैनल या छुटभय्ये पोर्टल आदि पर चला कर कमाई कर ली. इन सब ने देश विरोधियों ने मिल कर निजी नर्सिंग होम आदि को सभी तरह के बीमारों को कोरोना बताकर लूटने का भरपूर मौक़ा दिया। इन के मालिकों ने वैसा ही किया।  इनका शिकार हुए भुक्तभोगी के परिजन अच्छे से जानते हैं अब बात करते हैं, विश्व की सब से घटिया संस्था डब्ल्यूएचओ की।  विश्व स्वास्थ्य संगठन उर्फ़ डब्ल्यू एच ओ  उर्फ़ world health organization . कान में तेल दाल कर बैठी हुई थी। ताईवान ने चाइना से आये यात्री विमान के एक पैसेंजर में कोरोना जैसी बिमारी की पुष्टि की थी लेकिन अपने विश्व स्वास्थ्य संगठन के लोग जागे नहीं।  जब चाइना में पटापट लोग मरने लगे तब जाकर इस सतहे संगठन की नींद टूटी। इस मुद्दे पर डॉन टाइप देश अमेरिका के उस समय के राष्टपति डोनाल्ड ट्रम्प ने स्वास्थ्य संगठन को दी जाने वाली मदद बंद कर दी। विश्व स्वास्थ्य संगठन के लोग इतने ही काबिल और ज़िम्मेदार होते तो कोरोना जैसी बिमारी को महामारी न घोषित करते। फर्ज़ी फिकेशन करके इनके ज़िम्मेदारों ने दवा बनाने वाली कंपनियों का सारा कूड़ा बिकवा दिया।  दवाओं का सबसे बड़ा बाज़ार भारत और चाइना है। चाइना तो स्वयं भी निर्माता है।  भारत को कुछ सालों में मोदी सरकार ने भी  जैनरिक दवाओं में पॉवरफुल बन चूका है।  कोरोना की वैक्सीन बनाकर भारत को मोदी सरकार ने विश्व में पहचान दिला दी। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ)को भारत से खुन्नस तब से हुई है जब से मोदीजी ने देश की बागडोर संभाली है। मोदी सरकार ने दुनिया के सबसे बड़े बीमारों के बाज़ार भारत को जैनरिक दवाओं आदि आत्मनिर्भर कर देने के बाद हुई है। दवा माफिया भारत में 1 रुपये की दवा के 6 रुपये वसूलते थे को अब मज़बूरी में अपनी दवा को सस्ता बेचना बज़बूरी बन गया है। अब बात करते हैं विश्व स्वास्थ्य संगठन के फेक आंकड़ों की। कोविड से भारत में 47. 4 lack लोग मरे हैं, कुल मिलकर विश्व भर में डेढ़ करोड़ लोग मरे हैं।  विश्व स्वास्थ्य संगठन शमशान घाट का नगर निगम कार्यालय कैसे बन गया जो मुर्दों की जानकारी करके चेपवा रहा है। अरे भैय्ये नाम ने अनुरूप लोगों के स्वास्थ्य की जानकारी दो। खैर डब्ल्यू एच ओ को एक छोटा सा सर्वे कोविड19 त्रासदी पर। एक फेमली के 5 सदस्य इनमें, एक इन्सुलिन लेने वाली सब कोरोना पॉजिटिव हुए और सब घर में ही स्वस्थ हो गए।  एक फैमली के बाप बेटी कोरोना पॉजिटिव हुए पिता को बीमार बेटी सरकारी हॉस्पिटल लेकर गयी और एक हफ्ते बाद स्वस्थ होकर लौट आये। एक मित्र कोरोना पॉजिटिव हुए कुछ हफ़्तों में घर पर ही स्वस्थ हो गए। एक मित्र को कोरोना हुआ अस्पताल गए ६ लाख खर्च हुआ स्वस्थ हो गए। एक ही परिवार के दो लोग डाइबिटीज के पेशेंट थे बड़े भाई को शुगर प्रॉब्लम होने पर निजी अस्पताल में भर्ती किया ४ लाख खर्च हुआ, कुछ दिन बाद ठीक कह कर घर भेज दिया। एक दिन बात उनकी तबियत बिगड़ी खून की उलटी मर गए। इन्हीं के छोटे भाई अपने ससुराल में थे , बीटेक में  बेटा अच्छे नंबर लाया इसी ख़ुशी में मिटाई के दो तीन पीस खा लिए उलझन हुई अस्पताल ले जाए गए, डॉक्टरों ने मृत घोषित कर दिया। एक परिवार की माता जी बीमार पड़ीं घर पर ही दवा दे रहे थे। सीने में दर्द और सांस लेने में समस्या हुई, निजी अस्पताल ले गये, डॉक्टर ने बताया हार्टअटैक पड़ा है।  2 लाख जमा करें, लेकिन डेथ हो गयी।  इन्हीं के बेटे को एक दिन बाद उलझन होने लगी निजी हॉस्पिटल अकेले गए।  एक दिन बाद घर खबर आयी कि उनकी मृत्यु हो गयी। एक मित्र के भांजे को सीने में दर्द हुआ और घर में डेथ हो गयी। इसमें बेचारे कोरोना का कोई योगदान नहीं था। लेकिन इन सब को कोरोना के नाम से जला दिया गया, तो मुद्दा ये है कि विश्व स्वास्थ्य संगठन ने फर्ज़ी पत्रकारों के गिरोह की घर बैठे तैयार न्यूज़ के माध्यम से आंकड़े दिए हैं या मेरी तरह से बहुत गहराई से की गयी जानकारी के बाद दिए हैं।  मेरी विश्व स्वास्थ्य संगठन को सलाह है कि बिमारी को महामारी बनाने की जगह इसके लिए लोगों जागरूक किया होता तो भारत में लगभग 5 लाख और विश्व भर में डेढ़ करोड़ मौतें न होतीं। जागरूकता से मेरा तात्पर्य ये है कि विश्व के सभी मानवों को कोरोना + और कोविड 19 का अंतर समझाते रहते तो ८० प्रतिशत लोग इसकी दहशत और डिप्रेशन से न मरते। शायद स्तरहीन विश्व स्वास्थ्य संगठन मठाधीश मेरी इस कोरोना + और कोविड19 के अंतर को समझ रहे होंगे। इस छोटे से अंतर की लोगों को जानकारी दे दी गयी होती तो लाखों लोगों की मौतों को कम किया जा सकता था। 


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